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किसानों और मवेशियों के लिए उपयोगी गडढों में कम्पनी कर रही फ्लाईऐश

किसानों और मवेशियों के लिए उपयोगी गडढों में कम्पनी कर रही फ्लाईऐश

 कविन्द पटैरिया पत्रकार 
ग्रामीणों ने कहा खदानों की पुराई हो जाने पर पानी के लिए तरसेगें मवेशी और किसान
टीकमगढ। जिले की मोहनगढ तहसील की कुछ ग्राम पंचायतों में बजाज पावर प्लांट जनरेशन ललितपुर से निकलने बाली अनुपयोगी और जहरीली राखड से गडढों का पुराव किया जा रहा  है। जिसके लिए जिला प्रशासन ने बेखवर बनकर इन गडढों में फ्लाईऐश करने की अनुमति भी दे दी है। जबकि इन ग्राम पंचायतों में खुदें गडढों में शासन द्वारा करोडों रूपऐं खर्च कर बनाऐ गए तालाबों से ज्यादा पानी का स्टोरेज रहता है। जो पूरे गर्मियों भर मवेशियों के लिए और सिचाई के समय पर किसानों के लिए बरदान साबित होते है। किसानों को जैसे ही गडढों के पुराव की जानकारी मिली तो उन्होनें इसका विरोध किया। जिस पर कंपनी के ठेकेदारों के द्वारा किसानों के साथ बदसलूकी कर धमकी तक दी गई है। जिस पर ग्रामीणों ने इस मामले की कलेक्टर कार्यालय और खनिज विभाग में शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन शिकायत के बाद भी कंपनी को खदानें पुराव की अनुमति निरस्त नही की गई है।
गौरतलब है कि मोहनगढ तहसील की ग्राम पंचायत मडखेरा के ग्राम सेमरखेरा के खसरा नम्बर 408/1 एवं ग्राम चंदौखा में खसरा नम्बर 20/1 साथ ही ग्राम पंचायत गोर के खसरा नम्बर 29/5/3 पर पुराव का काम किया जा रहा है। जिसके लिए एसटेक कंपनी लिमिटेड और वीर एसोसिऐट कंपनी के ठेकेदारों के द्वारा बार-बार खदानों पर पहुंचकर पुराव की बात की जा रही है। और जब कोई ग्रामीण इसका विरोध करता है तो उन्हें झूठे मामलें में फसाने की धमकी दी जाती है। धनबल और बाहुबल का सहारा लेकर पुलिस बुलाकर ग्रामीणों को डराया धमकाया जाता है। जिसके लिए बीते शुक्रवार-शनिवार को कंपनी के कर्मचारी सेमरखेरा और चंदौखा स्थित खदान पर पहुंचे और रविवार से खदानें पुराव की बात कही। जिस पर ग्रामीणों ने विरोध करते हुए कहा कि अगर यह खदानें के पुराव की अनुमति निरस्त नही की गई तो ग्रामीण उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे। जिसकी प्रशासन की जबाबदारी होगी। इसी प्रकार टीकमगढ जनपद पंचायत अंतर्गत आने बाले ग्राम सुनवाहा में भी गहरें गडढों में कंपनी स्वीकृति कराकर पुराव कराया जा रहा है।
इस मामले को लेकर ग्रामीण राजेश यादव, अरविन्द्र यादव, सुनील शुक्ला, रहीश यादव सहित अन्य लोगों ने कलेक्टर कार्यालय में 13 मार्च 2025 और खनिज विभाग में 17 मार्च 2025 को शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद भी इन कंपनियों की अनुमति निरस्त नही की गई है। ग्रामीणों ने बताया कि वैसे भी पंचायतों में अब तालाबों का निर्माण नही किया जा रहा है, जिससे पानी का स्टोरेज हो सके। अगर कोई गहरा तालाबनुमा गडढा खुदा हुआ है, तो उसका पुराव नही कराया जाऐ। जिससे आने बाले समय में किसानों की सिचांई का काम चलता रहे और मवेशियों के पीने के लिए पानी बना रहे। साथ ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह राखड खदानों में डलने से बाद में खेतों के लिए हानिकारक होगी।
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इन गडढों से ज्यादा नही रहता शासकीय तालाबों में पानी
ग्रामीणों ने बताया कि शासन द्वारा राशि खर्च कर बनाए गए तालाबों में इन गडढों के बराबर पानी नही रूकता है। जबकि उन शासकीय तालाबों के लिए शासन द्वारा लाखों की राशि खर्च की गई है। जबकि यह गडढें बगैर राशि खर्च कर ग्रामीणों द्वारा मिटटी उठाकर खोद दिए गए है। जो अब किसानों और मवेशियों के लिए उपयोगी साबित हो रहे है।
बॉक्स-
तालाब बनाकर किया जा सकता और गहरीकरण
सिंचाई के लिए पानी निकालने बाले किसानों ने बताया कि शासन द्वारा कुछ राशि खर्च कर इन गडढों को और गहरा किया जा सकता है। जो एक अच्छे तालाब को रूप ले सकता है। लेकिन जनपद पंचायत जतारा सीईओ सिद्वगोपाल वर्मा के द्वारा तालाब बनवाने और गहरीकरण न करवाकर पुराव के लिए अनुमति दे दी है। जो कि नियम विरूद्व हैजिसे तत्काल निरस्त किया जाऐ।
इनका कहना-
मामले की जानकारी पता करते है। और अगर ऐसा किसी कंपनी के द्वारा पुराव किया जा रहा है तो उसे दिखवाते है। अगर गडढें किसानों के लिए और मवेशियों के लिए उपयोगी है तो उनका पुराव नही कराया जाऐगा।
        विवेक श्रोतिय, कलेक्टर टीकमगढ
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