बिजली के अंधाधुंध निजीकरण पर रोक लगाने की मांग, कोटपूतली उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
आशीष मित्तल 2 अप्रैल 2025
कोटपुतली, – राजस्थान में बिजली उत्पादन, प्रसारण और वितरण के बढ़ते निजीकरण के खिलाफ संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कोटपूतली उपखंड अधिकारी को भी मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्थानीय स्तर पर विद्युत निजीकरण से होने वाले संभावित दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला गया। समिति ने कोटपूतली और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए निजीकरण की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग की। समिति का कहना है कि सरकार भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं और मॉडल के नाम पर अंधाधुंध निजीकरण कर रही है, जिससे आम जनता, किसानों और उद्योगों को भारी नुकसान होगा।
संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि राज्य सरकार की यह नीति लोक कल्याणकारी भूमिका के खिलाफ है, क्योंकि बिजली क्षेत्र का संचालन हमेशा जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाता रहा है। समिति ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बिजली क्षेत्र को लाभ-हानि के आधार पर चलाना चाहती है, जिससे आम उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदनी पड़ेगी।
संयुक्त संघर्ष समिति की मुख्य आपत्तियां:
1️⃣ वितरण क्षेत्र में निजीकरण का बढ़ता प्रभाव: वर्तमान में तीनों डिस्कॉम में अधिकतर कार्य आउटसोर्स, एफआरटी, ठेके व सीएलआरसी आदि के माध्यम से निजी हाथों में दिए जा रहे हैं। अब HAM मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड के फीडर सेग्रिगेशन व सोलराइजेशन को निजी हाथों में दिया जा रहा है, जो कि ग्रिड सेफ्टी कोड का सीधा उल्लंघन है। इसके चलते राज्य व देश की सामरिक सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है, विशेषकर आंदोलनों, प्रदर्शनों एवं युद्ध के समय।
2️⃣ प्रसारण निगम में निजीकरण का दबाव: वर्षों से लाभ देने वाले प्रसारण निगम के ग्रिडों का संचालन अब क्लस्टर मॉडल के तहत ठेके पर दिया जा रहा है, जबकि यह मॉडल पहले ही असफल साबित हो चुका है। कई निजी कंपनियां क्लस्टर छोड़कर भाग चुकी हैं। अब INVIT मॉडल के माध्यम से 765 केवी व 400 केवी ग्रिड सब-स्टेशन की आय निजी कंपनियों को सौंपकर प्रसारण निगम को घाटे में लाने की कोशिश की जा रही है।
3️⃣ उत्पादन निगम पर निजीकरण की साजिश: उच्च गुणवत्ता और कम लागत वाले तापीय विद्युत उत्पादन गृह, जो राजस्थान को विद्युत आत्मनिर्भर बना रहे हैं, उन्हें नए प्लांट्स के लिए धन की कमी का बहाना बनाकर केंद्रीय सार्वजनिक निगमों के साथ संयुक्त उपक्रम (Joint Venture) में सौंपने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। राजस्थान सरकार बिना किसी पूंजीगत निवेश की आवश्यकता के भी अपने हिस्से और आधिपत्य को छोड़ रही है, जो प्रदेश की जनता व कर्मचारियों के साथ विश्वासघात है।
समिति की मांग:
🔹 बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए।
🔹 राज्य सरकार अपनी लोक कल्याणकारी जिम्मेदारी निभाए।
🔹 बिजली प्रशासन द्वारा जल्द से जल्द सकारात्मक कदम उठाए जाएं।
संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि बिजली क्षेत्र के निजीकरण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, अन्यथा संघर्ष तेज किया जाएगा।संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कोटपूतली उपखंड अधिकारी को भी मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्थानीय स्तर पर विद्युत निजीकरण से होने वाले संभावित दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला गया। समिति ने कोटपूतली और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए निजीकरण की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग की।संयुक्त संघर्ष समिति के अनुसार, यदि सरकार जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।इस मौके परप्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार,jen रामलखन, कृष्णा, अनिल, बुधराम, अजय,पवन, सुमित, रूप सिंह,महेश, सुशील,गिरवर, प्रकाश, पुष्कर, मेघराज, निरंजन, कर्मपाल,यादराम, विनोद, शरद,उमेश, संदीप, देशराज आदि विद्युत कर्मी मौजूद रहे।