नई दिल्ली:-भारतीय शेयर बाजार में पिछले हफ्ते दिखी रैली पर आज ब्रेक लग गया। पिछले हफ्ते शानदार रिकवरी के बाद इस हफ्ते के पहले दिन सोमवार को भी बाजार ने अच्छी बढ़त के साथ कारोबार बंद किया था। जिसके बाद मंगलवार को बाजार बिल्कुल फ्लैट बंद हुआ था लेकिन ज्यादातर शेयरों में गिरावट दर्ज की गई थी। आज हफ्ते के तीसरे दिन भारतीय शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए। बुधवार को बीएसई सेंसेक्स 728.69 अंकों की गिरावट के साथ 77,288.50 अंकों पर बंद हुआ। वहीं दूसरी ओर, एनएसई का निफ्टी 50 इंडेक्स भी आज 181.80 अंकों के बड़े नुकसान के साथ 23,486.85 अंकों पर बंद हुआ।
23,736.50 से गिरते हुए 23,451.70 अंकों तक पहुंचा निफ्टी 50
बताते चलें कि आज भारतीय शेयर बाजार ने फ्लैट शुरुआत की थी, जो करीब 11 बजे तक इसी तरह चलता रहा था। लेकिन 11 बजे के बाद बाजार में बिकवाली ने रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया, लिहाजा मार्केट में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया। आज कारोबार के दौरान सेंसेक्स 78,167.87 अंकों के इंट्राडे हाई से लेकर 77,194.22 अंकों के इंट्राडे लो तक पहुंचा। इसी तरह, निफ्टी 50 भी 23,736.50 अंकों के इंट्राडे हाई से लेकर 23,451.70 अंकों के इंट्राडे लो तक पहुंच गया था।शेयर बाजार में बुधवार, 26 मार्च को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। लगातार सात सत्रों की तेजी के बाद Sensex ने 700 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की। कारोबार के अंत में Sensex 729 अंकों की गिरावट के साथ 77,288.50 पर बंद हुआ, जबकि Nifty 50 में 182 अंकों की गिरावट आई और यह 23,486.85 के स्तर पर बंद हुआ।
सिर्फ Sensex और Nifty 50 ही नहीं, बल्कि स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में भी भारी गिरावट देखी गई। BSE स्मॉलकैप इंडेक्स 1.45% गिरा, जबकि मिडकैप इंडेक्स 0.67% गिरावट के साथ बंद हुआ।
निवेशकों के 4 लाख करोड़ रुपये स्वाहा
शेयर बाजार में इस बिकवाली का सीधा असर निवेशकों की संपत्ति पर पड़ा। BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप ₹415 लाख करोड़ से गिरकर ₹411 लाख करोड़ रह गया, यानी निवेशकों को एक ही दिन में ₹4 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
बाजार में इस बिकवाली का सबसे ज्यादा असर बैंकिंग, मीडिया और रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ा। Nifty Bank 0.77% गिरा, PSU बैंक 1.19% और प्राइवेट बैंक 0.90% कमजोर हुए। वहीं, Nifty मीडिया इंडेक्स 2.40% लुढ़ककर टॉप लूजर बना। रियल्टी, हेल्थकेयर और ऑयल एंड गैस सूचकांकों में एक-एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।
एनटीपीसी के शेयर में भयानक गिरावट
बुधवार को सेंसेक्स की 30 में से सिर्फ 4 कंपनियों के शेयर ही बढ़त के साथ हरे निशान में बंद हुए। जबकि बाकी की सभी 26 कंपनियों के शेयर नुकसान के साथ लाल निशान में बंद हुए। वहीं दूसरी ओर, निफ्टी 50 की 50 में से सिर्फ 10 कंपनियों के शेयर तेजी के साथ हरे निशान में बंद हुए और बाकी की 40 कंपनियों के शेयर नुकसान के साथ लाल निशान में बंद हुए। आज सेंसेक्स की कंपनियों में शामिल इंडसइंड बैंक के शेयर सबसे ज्यादा 3.36 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए जबकि एनटीपीसी के शेयर सबसे ज्यादा 3.45 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।
लाल रंग में दिखा सेंसेक्स का चार्ट
इनके अलावा, आज टेक महिंद्रा के शेयर 2.97 प्रतिशत, जोमैटो 2.53 प्रतिशत, एक्सिस बैंक 2.29 प्रतिशत, बजाज फाइनेंस 2.18 प्रतिशत, इंफोसिस 2.07 प्रतिशत, मारुति सुजुकी 1.44 प्रतिशत, भारतीय स्टेट बैंक 1.36 प्रतिशत, कोटक महिंद्रा बैंक 1.08 प्रतिशत, रिलायंस इंडस्ट्रीज 1.08 प्रतिशत, हिंदुस्तान यूनिलीवर 1.04 प्रतिशत, एचडीएफसी बैंक 0.97 प्रतिशत, टाटा स्टील 0.96 प्रतिशत, सनफार्मा 0.93 प्रतिशत, टीसीएस 0.72 प्रतिशत, आईसीआईसीआई बैंक 0.65 प्रतिशत, नेस्ले इंडिया 0.65 प्रतिशत, आईटीसी 0.61 प्रतिशत, एशियन पेंट्स के शेयर 0.53 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।
शेयर बाजार में गिरावट की बड़ी वजहें
मुनाफावसूली की मार- मार्च में भारतीय शेयर बाजार ने जबरदस्त रिकवरी की थी, लेकिन अब निवेशक अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए शेयर बेच रहे हैं। HDFC बैंक, Infosys, Reliance Industries, Axis Bank और ICICI Bank के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का डर– अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। 2 अप्रैल की समय सीमा नजदीक है और यह साफ नहीं है कि ट्रंप किन सेक्टरों पर नए टैरिफ लगाएंगे। इस वजह से IT और फार्मा सेक्टर में बिकवाली देखी गई।
विदेशी निवेशकों की निकासी का खतरा– चीन के शेयर बाजार में सुधार और वहां के आकर्षक वैल्यूएशन की वजह से विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बाजार से हट सकता है। ‘Buy China, Sell India’ ट्रेंड को लेकर बाजार में चिंता बनी हुई है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, “मॉर्गन स्टेनली के रणनीतिकारों ने एक महीने से थोड़े अधिक समय में दूसरी बार चीनी शेयरों के लिए अपने दृष्टिकोण को बढ़ाया है, जिसमें आय के लिए बेहतर दृष्टिकोण के बीच मूल्यांकन में वृद्धि का हवाला दिया गया है।”