भारत विकास परिषद शाखा भिंड ने किया 50 शिक्षकों का सम्मान
भिंड से पत्रकार अभिषेक शर्मा की खबर
गुरु वही जो अंधकार में प्रकाश का मार्ग दिखाता है – अपर कलेक्टर
शिक्षक प्रतिभाओं का सृजक होता है – आनंद बरुआ
भिंड……. गुरु शिष्य परंपरा हमारे देश में प्राचीन काल से विद्यमान है। गुरु वो है जो संकट काल में अंधकार में प्रकाश का मार्ग दिखाता है। हमें अपने जीवन के उद्देश्य व लक्ष्य का बोध कराता है। मनुष्य अपने मनुष्यत गुण के कारण और जीवो से भिन्न होता है और इस गुण को गुरु मनुष्य को परिचित कराता है इसलिए उसे महान माना जाता है। गुरु अपने शिष्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें नई सोच और दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। एक अच्छे गुरु का महत्वपूर्ण कार्य होता है बाल विकास, शिक्षा के माध्यम से समाज के साथियों का निर्माण करना और राष्ट्रीय निर्माण में मदद करना। उक्त उद्गार अपर कलेक्टर श्री एल.के. पांडे ने कही। वे भारत विकास परिषद शाखा भिण्ड द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर में गुरुवंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम अंतर्गत आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन मां सरस्वती, भारत माता एवं विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपर कलेक्टर श्री एल.के. पांडे जी, विशिष्ट अतिथि श्री आनंद बरुआ, प्रांतीय संयोजक डॉ हिमांशु बंसल,, कमलेश सैंथिया, राजमणि शर्मा, वीरेंद्र जौशी, मोहित दीक्षित मंचासीन रहे। प्रारंभ में शाखा अध्यक्ष कमलेश सैंथिया द्वारा स्वागत भाषण पड़ते हुए भारत विकास परिषद के पांच सूत्र संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा, समर्पण पर प्रकाश डालते हुए सभी को परिषद की परिकल्पना, कार्यों के वारे में अवगत कराया। मोहित दीक्षित द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह एवं संस्कार प्रकल्प अंतर्गत विध्यालयों में आयोजित गुरुबंदन-छात्रअभिनंदन कार्यक्रम के उद्देश्य के वारे में अवगत कराते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। प्रांतीय संयोजक डॉ हिमांशु बंसल ने कहा कि परिषद के जो पंच प्रण हैं वही उसकी आत्मा है। जिनको लेकर परिषद निरन्तर समाज के बीच कार्य कर रहा हैं शास्त्रों में गुरु को ब्रह्म विष्णु महेश से भी ऊपर का स्थान दिया गया है। गुरु और भगवान दोनों साथ हो तो कबीर दास जी गुरु को पूजने में प्रमुखता देते है। पुराने समय में भगवान राम वशिष्ठ , श्री कृष्ण संदीपनी, स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण परमहंस, शिवाजी समर्थ गुरु रामदास, अर्जुन श्रीकृष्ण का प्रमुखता से गुरु शिष्य के रूप में उल्लेख होता है।
आजकल ये संस्कार कम दिखते है दोनों के बीच दूरी आने लगी है। आजकल नकल, शिक्षा का व्यवसायीकरण और अन्य कारणों से शिक्षक की गरिमा में कमी आई है। उस सबको समझते हुए परिषद गुरु वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन विद्यालय में करता है ताकि इस परंपरा को जीवित रखा जा सके। विशिष्ट अतिथि श्री आनंद बरुआ ने कहा गुरु के दिए संस्कार शिष्य को आगे बढ़ने में मददगार साबित होते हैं। गुरु का हमारे समाज की महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। वे शिष्य के जीवन में प्रभावी प्रेरणा स्रोत हैं और उन्हें ज्ञान और संस्कार देते हैं। भारत विकास परिषद गुरु वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम के माध्यम से समाज में संस्कारों को जीवित रखने में अग्रणी भूमिका में कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालय परिवार से नामांकित पचास शिक्षक-शिक्षकाओ को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री जय प्रकाश शर्मा एवं आभार श्री राजमणि शर्मा ने किया।
कार्यक्रम में रामजी लाल शुक्ल, प्रेम शर्मा,ओमप्रकाश अग्रवाल बाबूजी, सुरेश बरुआ, अशोक शर्मा, जे. एन. पाठक, अश्विनी डंडोतिया, गंगाधर थापक, संदीप मिश्रा,अमित चौधरी, श्रीमती रेखा शुक्ला, श्रीमती रेखा भदौरिया, श्रीमती रश्मी खटीक, व्योम भारद्वाज, महेश दुवे, आदि उपस्थित रहे। राष्ट्रीय गान के उपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ।