हर्षल रावल
19 दिसंबर, 2024
सिरोही/राज.
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राजस्थान में अगले एकेडमिक सेशन से स्थानीय भाषा में आरंभ होगी शिक्षा, मदन दिलावर शिक्षामंत्री ने किया ऐलान
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सिरोही। राजस्थान प्रदेश में राजस्थान भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं, लेकिन अब राजस्थानी लोगों की मांग सरकार को नजर आ रही हैं। भारत में प्रत्येक राज्य की अपनी भाषा हैं। लेकिन अब राजस्थान सरकार अपनी मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने में दिख रही है।राजस्थान में विभिन्न प्रकार की बोलियां हैं। टीचर और बच्चो की भाषाओं के बीच अंतर अक्सर सीखने में बाधाएं उत्पन्न करता है। स्थानीय भाषा में पढ़ाई से बच्चों को समझने में सरलता होगी।
राजस्थान के 9 जिलों में अगले एकेडमिक सेशन से स्थानीय भाषा में शिक्षा आरंभ हो जाएगी। स्कूली शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने बुधवार देर शाम इसका ऐलान करते हुए कहा, ‘राजस्थान में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 को लागू करने के पश्चात किंडरगार्टन यानी प्री-प्राइमरी क्लासेस में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई आरंभ होगी। राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च और ट्रेनिंग ने इस पहल के लिए आवश्यक सिलेबस पहले ही तैयार कर लिया है।’
पहले इन 9 जिलों में होगा लागू:-
शिक्षा मंत्री ने बताया कि वर्तमान में सिरोही और डूंगरपुर जिलों में एक मल्टीलिंग्वल लैंग्वेज प्रोग्राम चलाया जा रहा है। अगले सत्र से इस कार्यक्रम का विस्तार 9 जिलों तक हो जाएगा, जिसके पश्चात सिरोही, पाली, उदयपुर, जयपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डुंगरपुर में स्थानीय भाषा में शिक्षा आरंभ हो जाएगी। 2026 शैक्षणिक सत्र तक इसे 25 जिलों तक विस्तारित करने की योजना है।
मंत्री ने बताए स्थानीय भाषा में शिक्षा के लाभ:-
स्थानीय भाषा में शिक्षा के लाभ बताते हुए दिलावर ने इस बात पर जोर दिया कि जब बच्चों को उनके तत्काल परिवेश की भाषा में पढ़ाया जाता है तो वे कान्सेप्ट्स को समझते हैं और अधिक प्रभावी ढंग से सीखते हैं। राजस्थान में विभिन्न प्रकार की बोलियां हैं। शिक्षक और बच्चो की भाषाओं के बीच अंतर अक्सर सीखने में बाधाएं उत्पन्न करता है। आरंभ के वर्षों में स्थानीय भाषाओं को सम्मिलित करने से बच्चों को स्कूली भाषा को उत्तम ढंग से समझने और उसमें ढलने में सहायता मिलेगी। स्थानीय भाषाओं में सीखने से बच्चों को समझने में सरलता होगी।
मान्यताओं पर आधारित नहीं होनी चाहिए:-
दिलावर ने आगे कहा, ‘बच्चों की शिक्षा केवल मान्यताओं पर आधारित नहीं होना चाहिए। इसीलिए हमें एक ऐसे सिलेबस की आवश्यकता है जो भावी पीढ़ियों को आकार देने और राष्ट्र-निर्माण की नींव को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हो। बच्चों को प्रेरित करने के लिए राजस्थान के महान वीर और क्रांतिकारियों के बारे में सीखना चाहिए।