श्री चिंताहरण बालाजी मंदिर पुजारी पंडित विजय शर्मा के अनुसार
15 दिसंबर की रात से मलमास की शुरुआत शुभ मांगलिक कार्य होंगे वर्जित
15 से मलमास नहीं होंगे मांगलिक कार्य, सूर्य को जल अर्पित करने से मिलेगी शांति
सत्यार्थ न्यूज से पत्रकार
मनोज कुमार माली सोयत कला
*मलमास को खरमास के नाम से भी जाना जाता है मलमास को अशुभ और अशुद्ध महीना माना जाता है और इस दौरान विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं सूर्य द्वारा धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करने पर मलमास या खरमास लगता है 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत हो रही है मलमास की शुरुआत भले ही 2024 आखिरी महीने में हो रही हैं लेकिन इसकी समाप्ति 14 जनवरी 2025 को होगी। सूर्य द्वारा जब धनु राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश किया जाएगा तब मलमास समाप्त हो जाएगा मलमास के दौरान शुभ कार्य नहीं करनी चाहिए इसमें गृह प्रवेश ,शुभ मांगलिक कार्य, नवीन व्यापार, जनेऊ , मुंडन सगाई आदि कार्य न करें। मलमास के दौरान प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें, पशु पक्षियों की सेवा करें। भगवान विष्णु व तुलसी की पूजा करें, जप, तप,दान आदि का भी विशेष महत्व है गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए मलमास के दौरान हर गुरुवार को केले का दान करें।
कैसे हुआ खरमास का जन्म
गधे रात को खींचने लगे, लेकिन उसकी मराठी के कारण सूर्य का तेज कम हो गया इस दुनिया गति के कारण यह अवधि खरमास कहलाने लगी। यह अवधि साल में दो बार आती हैं जब सूर्य धनु राशि में होता है व सूर्य मीन राशि में होता है
खरमास के प्रभाव
इस दौरान सूर्य का तेज पृथ्वी की उत्तरी गोलार्ध पर पूरी तरह नहीं पड़ता है जिससे इसे अशुभ माना जाता है इससे शुभ कार्य वर्जित होते हैं लेकिन इस समय सूर्य और बृहस्पति की आराधना विशेष मानी जाती है।
मलमास और खरमास मे अंतर
ध्यान देने योग्य है कि खरमास ओर मलमास अलग-अलग होते हैं। सूर्य सूर्य धनु व मीन राशि में आने पर खरमास होता है जो साल में दो बार आता है। मलमास का संबंध चंद्रमा की चक्र से हैं यह कथा सूर्य देव की निरंतरता, दया और मानव के शुभ अशुभ विचारों की झलक प्रदान करती है
भीष्म पितामह की प्रतीक्षा
गरुड़ पुराण के अनुसार खरमास मे प्राण त्यागने पर सद्ग़ति नहीं मिलती महाभारत काल में भीष्म पितामह ने खरमास के दौरान प्राण त्यागने से इनकार किया और सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया।