जम्मू में हुआ ‘प्रतिभिज्ञा’ पर मंथन
जम्मू एवं कश्मीर के युवाओं को वितरित की we”अहं शिवम् “
पलवल-04 दिसम्बर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू द्वारा लिखित पुस्तक अहं शिवम् पर जम्मू में विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का उद्देश्य युवाओं को अद्वैत कश्मीर शैववाद की मूल अवधारणा, ‘प्रतिभिज्ञा’ के गहन दर्शन से अवगत करवाना है। शैववाद के विषय में जागरूकता के उद्देश्य से पुस्तक का वितरण किया गया।
डॉ. राज नेहरू ने कहा कि शिव के सन्दर्भ में जिज्ञासाएं और प्रश्न बहुत आदिकाल से हैं। इस पुस्तक के माध्यम से सभी प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश की गई है। कश्मीर शैव दर्शन में निहित प्रतिभिज्ञा का दर्शन, आत्म-पहचान और परिवर्तन की कुंजी है। यह ज्ञान केवल आध्यात्मिक जागृति नहीं है, बल्कि हमारे विचारों और कार्यों को मानवता और प्रकृति की भलाई के साथ जोड़ने का आह्वान है। विकास संतोष पंडिता को इस कालातीत ज्ञान को फैलाने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद। उम्मीद है कि हमारे युवा इन शिक्षाओं में उद्देश्य और रचनात्मकता पाएंगे, जिससे उन्हें एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण भविष्य बनाने में मदद मिलेगी।
इस मौके पर विकास संतोष पंडिता ने कहा कि मैंने हमेशा समाज को बदलने के लिए ज्ञान की शक्ति में विश्वास किया है और प्रतिभा का दर्शन इस विश्वास का प्रमाण है। डॉ. राज नेहरू की पुस्तक अहं शिवम् आज की पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश है, जो प्राचीन ज्ञान और आधुनिक चुनौतियों के बीच की खाई को पाटती है। इन सत्रों को प्रायोजित करके, मेरा उद्देश्य युवाओं में जिज्ञासा और आत्म-खोज की चिंगारी को प्रज्वलित करना है, जिससे वे रचनात्मक रूप से सोच सकें, प्रामाणिक रूप से कार्य कर सकें और स्थाई रूप से नेतृत्व कर सकें। इस नेक काम में योगदान देना और यह सुनिश्चित करना मेरा सौभाग्य है कि कश्मीर शैव धर्म की गहन विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे। एसआर टेक्नोमेड प्राइवेट लिमिटेड का विशेष सहयोग रहा।