सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
*दिनांक:- 28/11/2024, गुरुवार*
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीर्ष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– त्रयोदशी अहोरात्र तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र————- चित्रा 07:35:01
योग———- सौभाग्य 16:00:33
करण————- गर 19:34:18
वार———————- गुरूवार
माह——————– मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि——————- तुला
सूर्य राशि—————- वृश्चिक
रितु———————— हेमंत
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर) ————-कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————– 06:51:35
सूर्यास्त————— 17:22:51
दिन काल———— 10:31:16
रात्री काल————-13:29:29
चंद्रास्त————– 15:21:04
चंद्रोदय—————- 28:57:45
लग्न—- वृश्चिक 12°6′ , 222°6′
सूर्य नक्षत्र————— अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र—————— चित्रा
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
री—- चित्रा 07:35:01
रू—- स्वाति 14:17:37
रे—- स्वाति 20:58:53
रो—- स्वाति 27:38:42
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 12°45, अनुराधा 3 नू
चन्द्र=तुला 06°30 , चित्रा 4 री
बुध =वृश्चिक 28°52 ‘ ज्येष्ठा 4 यू
शु क्र= धनु 25°05, पूoषा०’ 4 ढा
मंगल=कर्क 11°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 23°30 मृगशिरा, 1 वे
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 09°10 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 09°10 उ o फा o 4 पी
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 13:26 – 14:45 अशुभ
यम घंटा 06:52 – 08:10 अशुभ
गुली काल 09:29 – 10: 48अशुभ
अभिजित 11:46 – 12:28 शुभ
दूर मुहूर्त 10:22 – 11:04 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:35 – 15:17 अशुभ
वर्ज्यम 13:51 – 15:38 अशुभ
प्रदोष 17:23 – 20:08 शुभ
चोघडिया, दिन
शुभ 06:52 – 08:10 शुभ
रोग 08:10 – 09:29 अशुभ
उद्वेग 09:29 – 10:48 अशुभ
चर 10:48 – 12:07 शुभ
लाभ 12:07 – 13:26 शुभ
अमृत 13:26 – 14:45 शुभ
काल 14:45 – 16:04 अशुभ
शुभ 16:04 – 17:23 शुभ
चोघडिया, रात
अमृत 17:23 – 19:04 शुभ
चर 19:04 – 20:45 शुभ
रोग 20:45 – 22:26 अशुभ
काल 22:26 – 24:08* अशुभ
लाभ 24:08* – 25:49* शुभ
उद्वेग 25:49* – 27:30* अशुभ
शुभ 27:30* – 29:11* शुभ
अमृत 29:11* – 30:52* शुभ
होरा, दिन
बुध 06:51 – 07:43
चन्द्र 07:43 – 08:36
शनि 08:36 – 09:29
बृहस्पति 09:29 – 10:22
मंगल 10:22 – 11:14
सूर्य 11:14 – 12:07
शुक्र 12:07 – 12:59
बुध 12:59 – 13:52
चन्द्र 13:52 – 14:45
शनि 14:45 – 15:38
बृहस्पति 15:38 – 16:30
मंगल 16:30 – 17:23
होरा, रात
सूर्य 17:23 – 18:30
शुक्र 18:30 – 19:38
बुध 19:38 – 20:45
चन्द्र 20:45 – 21:52
शनि 21:52 – 22:59
बृहस्पति 22:59 – 24:07
मंगल 24:07* – 25:15
सूर्य 25:15* – 26:22
शुक्र 26:22* – 27:29
बुध 27:29* – 28:37
चन्द्र 28:37* – 29:44
शनि 29:44* – 30:52
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृश्चिक > 04:56 से 07:24 तक
धनु > 07:24 से 09:36 तक
मकर > 09:36 से 12:24 तक
कुम्भ > 12:24 से 12: 56 तक
मीन > 12:36 से 14:28 तक
मेष > 14:28 से 15:52 तक
वृषभ > 15:52 से 17:56 तक
मिथुन > 17:56 से 20:04 तक
कर्क > 20:04 से 22:36 तक
सिंह > 22:36 से 00:26 तक
कन्या > 00:26 से 02:42 तक
तुला > 02:42 से 04: 52 तक
*विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
* अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 13 + 5 + 1 = 34 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
*शिव वास एवं फल -:*
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
।। चा o नी o।।
जो व्यक्ति दुराचारी, कुदृष्टि वाले, एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य के साथ मित्रता करता है, वह शीघ्र नष्ट हो जाता है।
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन्
गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे।,
अनन्त देवेश जगन्निवास
त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत् ॥,
हे महात्मन्! ब्रह्मा के भी आदिकर्ता और सबसे बड़े आपके लिए वे कैसे नमस्कार न करें क्योंकि हे अनन्त! हे देवेश! हे जगन्निवास! जो सत्, असत् और उनसे परे अक्षर अर्थात सच्चिदानन्दघन ब्रह्म है, वह आप ही हैं॥,37॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-पार्टनरों का सहयोग समय पर मिलने से प्रसन्नता रहेगी। स्थायी संपत्ति की खरीद-फरोख्त से बड़ा लाभ हो सकता है। प्रतिद्वंद्विता रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। व्यवसाय ठीक-ठीक चलेगा। आय में वृद्धि होगी। चोट व रोग से बाधा संभव है। दूसरों के काम में दखलंदाजी न करें।
🐂वृष-क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। पुराना रोग बाधा का कारण रहेगा। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। छोटी सी गलती से समस्या बढ़ सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। मित्र व संबंधी सहायता करेंगे। आय बनी रहेगी। जोखिम न लें।
👫मिथुन-अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। व्यवस्था नहीं होने से परेशानी रहेगी। व्यवसाय में कमी होगी। नौकरी में नोकझोंक हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। थकान महसूस होगी। अपेक्षित कार्यों में विघ्न आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में निश्चितता रहेगी।
🦀कर्क-मन की चंचलता पर नियंत्रण रखें। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति। अनुकूल रहेगी। जीवनसाथी पर आपसी मेहरबानी रहेगी। जल्दबाजी में धनहानि हो सकती है। व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में सुकून रहेगा। निवेश लाभप्रद रहेगा। कार्य बनेंगे। घर-बाहर सुख-शांति बने रहेंगे।
🐅सिंह-उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। जुए, सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। निवेश शुभ रहेगा। प्रमाद न करें।
🙎♀️कन्या-नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामजिक कार्य करने की इच्छा जागृत होगी। प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। नौकरी में वर्चस्व स्थापित होगा। आय के स्रोत बढ़ सकते हैं। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर सहयोग व प्रसन्नता में वृद्धि होगी।
⚖️तुला-प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़े कार्य की समस्याएं दूर होंगी। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। कर्ज में कमी होगी। संतुष्टि रहेगी। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। अपना प्रभाव बढ़ा पाएंगे। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य न करें।
🦂वृश्चिक-दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। व्यवसाय में जल्दबाजी से काम न करें। चोट व दुर्घटना से बचें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर स्थिति मनोनुकूल रहेगी। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। वस्तुएं संभालकर रखें।
🏹धनु-घर-बाहर अशांति रहेगी। कार्य में रुकावट होगी। आय में कमी तथा नौकरी में कार्यभार रहेगा। बेवजह लोगों से कहासुनी हो सकती है। दु:खद समाचार मिलने से नकारात्मकता बढ़ेगी। व्यवसाय से संतुष्टि नहीं रहेगी। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाज न करें।
🐊मकर-यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। बगैर मांगे किसी को सलाह न दें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। धनार्जन होगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। अज्ञात भय व चिंता रहेंगे।
🍯कुंभ-पार्टी व पिकनिक की योजना बनेगी। मित्रों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी।
🐟मीन-पूजा-पाठ व सत्संग में मन लगेगा। आत्मशांति रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। मातहतों का सहयोग मिलेगा। किसी सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। दूसरे के काम में दखल न दें।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
एक बार भगवान शंकर के मन में भी विष्णु के बाल स्वरूप के दर्शन करने की इच्छा हुई। भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी के दिन भगवान शंकर अलख जगाते हुए गोकुल में आए। शिव द्वार पर आकर खड़े हो गए। तभी नंद के भवन से एक दासी शिव के पास आई और कहने लगी कि- “यशोदाजी ने ये भिक्षा भेजी है, इसे स्वीकार कर लें और लाला को आशीर्वाद दे दें।” शिव बोले- “मैं भिक्षा नहीं लूँगा, मुझे किसी भी वस्तु की अपेक्षा नहीं है, मुझे तो बालकृष्ण के दर्शन करना है।”दासी ने यह समाचार यशोदाजी के पास पहुँचा दिया। भगवान शिव ने आवाज़ लगाई- “अरी मईया! दिखा दे मुख लाल का,तेरे पलने में, पालनहार दिखा दे मुख लाल का।”माँ यशोदा ने खिड़की से बाहर देखकर कह दिया कि “लाला को बाहर नहीं लाऊँगी। तुम्हारे गले में सर्प है, जिसे देखकर मेरा लाला डर जाएगा।”शिव बोले- “माता तेरा कन्हैया तो काल का काल है, ब्रह्म का ब्रह्म है। वह किसी से नहीं डर सकता, उसे किसी की भी कुदृष्टि नहीं लग सकती और वह तो मुझे पहचानता है।यशोदाजी बोलीं- “कैसी बातें कर रहे हैं आप? मेरा लाला तो नन्हा-सा है, आप हठ न करें।”शिव ने कहा- “तेरे लाला के दर्शन किए बिना मैं यहाँ से नहीं हटूँगा। मैं यहीं समाधि लगा लूँगा।”
बाल कन्हैया ने भी यह जान लिया कि शिवजी पधारे हैं और माता उन्हें वहाँ ले नहीं ले जा रही हैं और शिव दर्शन न मिलने पर समाधि लगा लेंगे। बाल कन्हैया भली प्रकार जानते थे कि भोले बाबा की समाधि लग गई तो हज़ारों वर्ष के बाद ही खुलेगी तो उन्होंने ज़ोर से रोना शुरू कर दिया। जब कन्हैया किसी भी प्रकार चुप नहीं हुए तो यशोदाजी को लगा कि सचमुच वे योगी परमतपस्वी हैं। यशोदाजी बालकृष्ण को बाहर लेकर आईं। शिव ने सोचा कि अब तो कन्हैया मेरे पास आएंगे ही। उन्होंने बालकृष्ण के दर्शन करके प्रणाम किया, किन्तु इतने से ही उनकी तृप्ति नहीं हुई। वे बालकृष्ण को अपनी गोद में लेना चाहते थे। शिव यशोदाजी से बोले कि- “तुम बालक के भविष्य के बारे में पूछती हो, यदि इसे मेरी गोद में दिया जाए तो मैं इसके हाथों की रेखा अच्छी तरह से देख लूँगा। यशोदा ने बालकृष्ण को शिव की गोद में रख दिया। शिव की गोद में आते ही बालकृष्ण खिलखिला कर हँस पड़े। वे योगी के रूप में आये हुए शिव के कभी गाल नोंचते तो कभी उनकी बड़ी-बड़ी दाढ़ी के केशों को खींचते।