पुरुषोत्तम शर्मा दत्तात्रेय बंध- बारैठ
बयाना
भरतपुर
राजस्थान
पीएमओ से आया बेतुका जबाव, भरतपुर जिले को एनसीआर-टीटीजेड से निकालने के जवाब में कहा, यह भारत सरकार का मामला, हम नहीं कर सकते कार्रवाई
प्रधानमंत्री कार्यालय से एक शिकायत के समाधान का अजीब जवाब मिला है। जवाब में कहा गया है कि उक्त प्रकरण भारत सरकार से संबंधित है, इस कार्यालय यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई कारवाई किया जाना संभव नहीं है। जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार का ही होता है। माना जा रहा है कि शिकायत को ठंडे बस्ते में डालने के लिहाज से ऐसा कहा गया है। ऐसे में परिवादी को अब न्याय कैसे मिलेगा, ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। पोर्टल पर आए जवाब से ऐसा लग रहा है कि मानो प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार का नहीं है।
दरअसल, भरतपुर जिला बचाओ संघर्ष समिति के जिला संयोजक सुरेंद्र सिंह कंसाना ने गत 18 जनवरी को जिला कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया था। ज्ञापन में भरतपुर जिले को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और ताज ट्रेपीजियम जोन (टीटीजेड) के दायरे से बाहर निकालने की मांग की गई थी। जिला कलेक्टर कार्यालय से इस शिकायत को उप शासन सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार को भेजा गया। लेकिन अब प्रधानमंत्री कार्यालय के पोर्टल पर इस शिकायत का जवाब आया है। जिसमें लिखा गया है कि उक्त प्रकरण भारत सरकार से संबंधित है। इस कार्यालय से कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है। ऐसा लिखकर शिकायत को क्लोज कर दिया गया है। ऐसे में अब परिवादी के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि आखिर अब किससे शिकायत का समाधान कराएं। जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार का ही होता है। इस संबंध में परिवादी ने जब राजस्थान सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी श्यामलाल मीणा से पूछा तो उन्होंने कहा कि परिवाद को दोबारा पीएमओ भेजा जाएगा।
जिला बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सुरेंद्र सिंह कंसाना ने बताया कि समिति की ओर से पिछले काफी समय से भरतपुर जिले को एनसीआर और टीटीजेड के दायरे से बाहर निकालने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को लगातार ज्ञापन दिए जा रहे हैं। लेकिन पीएमओ के बेतुके जवाब से वे हतप्रभ हैं।
कंसाना ने बताया कि भरतपुर जिले के एनसीआर-टीटीजेड में होने के कारण जिले का औद्योगिक विकास ठप हो गया है। नए उद्योग धंधे विकसित होने के बजाय पहले से चल रहे ईंट भट्टा, स्टोन क्रशर, माइंस एंड मिनरल्स उद्योगों पर संकट के बादल बन रहे हैं इसके साथ ही चार-पांच साल पहले खरीदे गए बीएस-4 वाहनों को भी बंद किया जा रहा है। इससे ट्रांसपोर्ट उद्योग को भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। कंसाना ने बताया कि राष्ट्रीय अभियांत्रिकी पर्यावरण नीरी की ओर से पूर्व में कराए गए सर्वे के अनुसार स्टोन क्रेशर से उड़ने वाली धूल और धूल के कणों का प्रभाव क्षेत्र अधिकतम 1350 मी ही होता है जबकि भरतपुर जिले से ताजमहल आगरा की दूरी काफी अधिक है। यानी आगरा शहर में होने वाले प्रदूषण का भरतपुर जिले से कोई लेना देना नहीं है। इसके बावजूद भरतपुर जिले को टीटीजेड के दायरे में रखा हुआ है। इसी तरह भरतपुर जिले को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल करने पर जिले के औद्योगिक विकास की उम्मीद जगी थी लेकिन औद्योगिक विकास होने के बजाय पहले से चल रहे उद्योग धंधे छाप होते जा रहे हैं यानी किसी भी मायने में एनसीआर और टीटीजेड भरतपुर जिले के लिए फायदेमंद नहीं है।