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कनाडा ने वीजा नियमों में किया बड़ा बदलाव, 10 साल के लिए मल्टीपल एंट्री की गई खत्म, विजिटर वीजा में बदलाव से आई मुसीबत…4.5 लाख पंजाबियों को एक माह में छोड़ना होगा कनाडा..

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Vishal Leel
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कनाडा और भारत के बीच बढ़ता तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच ट्रूडो सरकार ने विजिटर वीजा नियमों में बड़े बदलाव किए जा रहे है। पहले स्टूडेंट वीजा, अब विजिटर वीजा के नियमों में बदलाव कर दिए गए हैं। इसका असर पंजाब के लोगों पर पड़ना स्वाभाविक है।

कनाडा ने पर्यटक वीजा नीति में बड़ा बदलाव किया है। देश में नियमित रूप से 10 साल मल्टी एंट्री वीजा को बंद कर दिया गया है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) ने गुरुवार को नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की है, जिसके तहत अधिकारियों को विवेकाधिकार दिया गया है। इसके तहत अधिकारी विस्तारित अवधि के बजाय व्यक्तिगत मूल्यांकन के आधार पर कम अवधि के वीजा जारी करेंगे। कनाडा में बड़े प्रवासी समूह के रूप में भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर होगा।

बदलाव का क्या होगा असर?

आईआरसीसी ने बदलावों के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि यह अस्थायी इमिग्रेशन के स्तरों को प्रबंधित करने, आवास की कमी को दूर करने और जीवन की बढ़ती लागत को नियंत्रित करने के उद्येश्य से एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। इस बदलाव का मतलब है कि कनाडा में बार-बार आने वालों को अब कम अवधि के वीजा का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो नियमित रूप से काम का छुट्टी मनाने के लिए यात्रा करते हैं।

पहले क्या था नियम?

पिछली प्रणाली के तहत आईआरसीसी दो तरह के वीजा जारी करता था- मल्टीपल एंट्री और सिंगल एंट्री। हालांकि, आवेदकों को उनके बीच चुनाव करने की जरूरत नहीं थी। सभी आवेदकों को स्वचालित रूप से मल्टीपल एंट्री वीजा के लिए माना जाता था। इससे कनाडा आने वालों वीजा की वैधता अवधि के बीच में कई बार कनाडा में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। यह 10 साल तक या पासपोर्ट की अवधि समाप्त होने तक में जो पहले हो, उस समय तक हो सकती थी।

सिंगल एंट्री वीजा वाले यात्री केवल एक बार कनाडा में प्रवेश कर सकते थे। ये वीजा आम तौर पर खास मामलों के लिए रिजर्व थे, जैसे कि शुल्क छूट के लिए पात्र विदेशी नागरिकों की आधिकारिक यात्राएं, कनाडा में एक बार के आयोजनों में भागीदारी जैसे मामले। सिंगल एंट्री वीजा धारक अगर कनाडा छोड़ देते थे, तो उन्हें आम तौर पर फिर से प्रवेश के लिए एक नए वीजा की आवश्यकता होती थी।

ऐसे में अब पंजाबियों का कनाडा में स्थायी रूप से बसने का सपना अधूरा रह जाएगा। बता दें कनाडा सरकार ने दस वर्ष का विजिटर वीजा देने में बदलाव किया है। इसके बंद होने से अब लोगों को केवल एक महीने तक का विजिटर वीजा मिलेगा और एक महीने बाद कनाडा में लौटना होगा।
पहले लोग दस वर्ष का कनाडा वीजा लगाकर रख लेते थे और कभी भी घूमने के लिए निकल जाते थे। इससे पहले सरकार ने स्टडी वीजा के नियमों के बदलाव कर दिए थे। दोगुनी जीआइसी के साथ-साथ वर्क परमिट वाले विद्यार्थियों को काम भी नहीं मिल रहा है।

वर्ष 2023 में 12 लाख विजिटर वीजा जारी किए थे

कनाडा वीजा एक्सपर्ट सुखविंदर नंद्रा व दविंदर कुमार ने बताया कि विजिटर वीजा का समय दस वर्ष खत्म होने पर पंजाबियों पर अधिक असर पड़ेगा। वर्ष 2023 की बात करें तो 12 लाख वीजा मिला था, जिसमें 55 फीसद पंजाबी थे। वर्ष 2021 में भारतीयों को 2.37 करीब विजिटर वीजा जारी किए थे। लेकिन 2022 में यह गिनती 11 लाख हो गई थी। हर वर्ष की बात करें पंजाब ने छह से सात लाख लोगों को विजिटर वीजा लेते है।

कनाडा का वीजा लगाकर रख लेते थे पंजाबी
कई पंजाबी पासपोर्ट पर कनाडा का वीजा लगाकर रख लेते थे। साथ ही यूएसए का वीजा अप्लाई करते थे। कनाडा का वीजा लगा होने की वजह से यूएसए का वीजा जल्द मिलने के आसार होते है। कई लोग कनाडा से यूएसए वीजा अप्लाई की अप्वाइंटमेंट लेते थे।

अप्वाइंटमेंट मिलने के बाद वीजा की तारीख मिल जाती थी। वीजा लगभग मिल जाता था। यूएसए का वीजा लगने के बाद कई पंजाबियों ने वापस आने की बजाए यूएसए में काम करना शुरु कर दिया है। पंजाबी कनाडा में वर्क परमिट व विजीटर वीजा पर गए है वह यूएसए का वीजा लगाकर काम कर रहे है।

अब पंजाबियों का बसने का सपना टूटने के कगार पर

कनाडा सरकार दस वर्ष का वीजा देती थी। अगर व्यक्ति विजिटर वीजा लगाकर कनाडा गया है तो छह महीने से पहले भारत लौटना पड़ता था। भारत में दो-तीन महीने रहकर दोबारा कनाडा की टिकट लेकर जा सकता था। विजिटर वीजा लेने के लिए अप्लाई करने वाले व्यक्ति को कोई रीजन देना पड़ता था।

बता दें अगर किसी का बच्चा कनाडा में स्टडी वीजा के लिए गया है। उक्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज का दीक्षांत समारोह है तो बच्चा अपने अभिभावक को आमंत्रित कर सकता है।
भारत में बैठे अभिभावकों को विजिटर वीजा के लिए अप्लाई करना पड़ता है। वीजा अप्लाई करने के लिए कोई ना कोई रीजन कनाडा एंबेसी को बताना होता था। जिसके आधार पर वीजा पर मुहर लगती है। अब कनाडा सरकार दस वर्ष की बजाए वीजा अप्लाई के दौरान बताए गए रीजन को देखते हुए वीजा जारी कर सकती है।

विजिटर वीजा को वर्क परमिट में कर लेते थे कनवर्ट

कनाडा का दस वर्ष का वीजा लेकर पंजाबी विजिटर वीजा को वर्क परमिट में कनवर्ट कर लेते थे। विजिटर वीजा पर आप कनाडा में किसी जगह पर काम नहीं कर सकते।
अधिक होने की वजह से काम नहीं मिल रहा है। घर का रेंट अधिक है। जिसके कारण स्टडी पर गए विद्यार्थी को मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

विजिटर वीजा पर गए लोग कम डॉलर लेकर करते थे काम
चार से पांच वर्ष पहले की बात करें तो विजीटर वीजा पर गए लोग कनाडा में कम डालर में काम करते थे। कनाडाई लोगों को काम मिलने में मुश्किल हो गई। यह भी कारण हो सकता है कि कनाडा सरकार ने विजिटर वीजा पर काम करने पर रोक लगा दी। दस वर्ष के वीजा बंद से पंजाबियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

अगर काम करते पकड़े जाते है तो काम करवाने वाले को जुर्माना और जो काम करने वाले को डिपोर्ट किया जाता है। कैश के काम में डॉलर भी कम मिलते थे। इसी के चलते पंजाबियों ने विजिटर वीजा को वर्क परमिट पर कनवर्ट और एक वर्ष बाद पीआर की फाइल लगा लेते थे ताकि मेहताना पूरा मिले।

चुनावी राजनीतिकरण को लेकर किए जा रहे है बदलाव

कनाडा में बसे पंजाबियों का कहना है कि चुनावी माहौल को देखते हुए यह फैसले लिए जा रहे है। नए-नए नियम निकाले जा रहे है। भारतीयों की गिनती अधिक होने की वजह से काम नहीं मिल रहा है। घर का रेंट अधिक है। जिसके कारण स्टडी पर गए विद्यार्थी को मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

विजिटर वीजा पर गए लोग कम डॉलर लेकर करते थे काम
चार से पांच वर्ष पहले की बात करें तो विजीटर वीजा पर गए लोग कनाडा में कम डालर में काम करते थे। कनाडाई लोगों को काम मिलने में मुश्किल हो गई। यह भी कारण हो सकता है कि कनाडा सरकार ने विजिटर वीजा पर काम करने पर रोक लगा दी। दस वर्ष के वीजा बंद से पंजाबियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

किसी व्यक्ति के लोग कनाडा के निवासी है। उनसे मिलने के लिए भारत में बैठे रिश्तेदारों कोे बार-बार वीजा अप्लाई करना होगा। वीजा अबेंसी फीस भरनी होगी। किसी ट्रेवल एजेंट के पास जाते है तो 50 से 60 हजार रूपये वीजा अप्लाई फाइल चार्ज का भुगतान करना होगा।

भारतीय नागरिकों के विजिटर वीजा की अवधि को कनाडा सरकार ने एक महीने तक सीमित कर दिया है। इससे 4.5 लाख पंजाबियों पर संकट आ गया है। अब उन्हें हर साल टूरिस्ट वीजा लेना होगा। साथ ही एक माह में कनाडा छोड़ना होगा। यह कदम कनाडा सरकार ने वीजा प्रणाली में कड़े प्रावधान लागू करने के उद्देश्य से उठाया है। इससे भारतीय नागरिकों को लंबी अवधि के वीजा की सुविधा समाप्त हो जाएगी। इसका सबसे अधिक असर पंजाबी समुदाय के लोगों पर होगा, जिनका कनाडा आना-जाना लगा रहता है। कनाडा के वैंकुवर के रहने वाले नामचीन लेखक व पंजाबी चिंतक सुखविंदर सिंह चोहला का कहना है कि दो साल पहले जब से ब्याज दरें बढ़ने लगीं, कई कनाडाई लोगों के लिए घर खरीदना असंभव हो गया। बड़े पैमाने पर आप्रवासन लहर के कारण कनाडा की जनसंख्या भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।

2023 में 12 लाख टूरिस्ट वीजा, इनमें 60 फीसदी पंजाब मूल के

कनाडा वीजा एक्सपर्ट सुकांत का कहना है कि टूरिस्ट वीजा की अवधि दस साल खत्म होने का असर पंजाब पर सर्वाधिक होगा। कनाडा में 2021 में भारतीय लोगों को 2 लाख 36 हजार टूरिस्ट वीजा जारी किए गए थे, लेकिन 2022 में 393 फीसदी इजाफा हुआ और संख्या 11 लाख 67 हजार पहुंच गई और 2023 में यह संख्या 12 लाख पार कर गई थी, जिसमें 60 फीसदी से अधिक पंजाब मूल के हैं। हर साल 1.5 लाख बच्चे पढ़ाई के लिए पंजाब से कनाडा जाते हैं, वह भी प्रभावित होंगे।

पहले छह माह का समय मिलता था
नए नियम से कनाडा में 10 लाख लोगों पर संकट आ गया है, जो विजिटर या मल्टीपल वीजा पर कनाडा में हैं। इसमें 4.5 लाख के करीब तो पंजाब मूल के हैं। चोहला का कहना है कि कनाडा सरकार ने भी इसमें पूरी तरह से तस्वीर साफ नहीं की है, क्या सुपर वीजा पर भी इसका असर होगा? सुपर वीजा उन लोगों को दिया जाता है, जिनके बच्चे कनाडा में पीआर हैं या सिटीजन हैं। वह बिना कनाडा छोड़े 5 साल तक धरती पर रह सकते हैं।

Canada SDS Program Closed:कनाडा ने शुक्रवार को अपने स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) प्रोग्राम को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया है।

कनाडा ने 8 नवंबर को इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (एसडीएस) वीजा प्रोग्राम को बंद कर दिया. इमिग्रेशन, रिफ्यूजी, और सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) ने इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए स्टडी परमिट आवेदनों में तेजी लाने के लिए 2018 में यह वीजा कार्यक्रम लागू किया था.

इस क्रार्यक्रम को ब्राजील, चीन, कोलंबिया, मोरक्को, पाकिस्तान, पेरू, कोस्टा रिका, भारत, फिलीपींस और वियतनाम सहित 14 देशों के इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए लागू किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कनाडा सरकार ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि इस पहल को ‘सभी स्टूडेंट्स को आवेदन प्रक्रिया में समान और निष्पक्ष पहुंच प्रदान करने’ के लिए बंद किया जा रहा है.

भारत के साथ चल रही राजनीतिक तनातनी के बीच कनाडा ने भारतीयों समेत 14 देशों के छात्रों को झटका दिया है। कनाडा ने शुक्रवार को अपने स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) प्रोग्राम को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) अब अपनी फास्ट-ट्रैक स्टडी परमिट प्रोसेस के तहत एप्लिकेशन स्वीकार नहीं करने वाला है। इस प्रक्रिया की वजह से बहुत से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को जल्दी वीजा मिलने में मदद होती थी।

ऐसा नहीं है कि कनाडा ने सिर्फ SDS सिस्टम को ही बंद किया है, बल्कि नाइजीरिया के छात्रों के लिए नाइजीरिया स्टूडेंट एक्सप्रेस (NSE) स्ट्रीम को भी बंद कर दिया गया है। अब सभी स्टडी परमिट आवेदन स्टैंडर्ड एप्लिकेशन प्रोसेस का इस्तेमाल कर जमा किए जाएंगे। कनाडा के इस फैसले को भारतीय छात्रों के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। हर साल लाखों की संख्या में भारतीय कनाडा में पढ़ने जाते हैं। मौजूदा राजनयिक तनाव की वजह से पहले से ही उन्हें वीजा हासिल करने में देरी हो रही थी।

क्या है SDS और कैसे भारतीय छात्रों को मिलती थी इससे मदद?

कनाडा सरकार ने 2018 में SDS को लॉन्च किया था। इसे भारत समेत 14 देशों के छात्रों के वीजा एप्लिकेशन में तेजी लाने के मकसद से डिजाइन किया गया था। ये एक सरल स्टडी परमिट प्रोसेसिंग प्रोग्राम था, जिसका फायदा लाखों छात्रों को मिल रहा था। फास्ट-ट्रैक स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम प्रोग्राम के जरिए 20 दिनों के भीतर एप्लिकेशन को प्रोसेस करना होता था। हालांकि, छात्रों को स्टडी परमिट हासिल करने के लिए जरूरी बायोमेट्रिक्स जमा करने पड़ते थे और एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया पूरा करना पड़ता था।

पिछले कुछ सालों में SDS और नॉन-SDS आवेदकों
खासतौर पर भारतीयों के बीच वीजा एप्लिकेशन की स्वीकृति दर में बड़ा गैप दिख रहा था। SDS प्रोग्राम से अप्लाई करने पर जल्दी वीजा मिल रहा था, जिस वजह से ज्यादा भारतीय छात्र इसके जरिए स्टडी परमिट हासिल कर रहे थे। कोविड महामारी के समय भारतीय छात्रों के लिए नियमित स्ट्रीम की तुलना में SDS का अप्रूवल रेट बढ़ गया था। 2021 और 2022 में SDS आवेदकों का अप्रूवल नॉन-SDS आवेदकों के अप्रूवल के मुकाबले तीन गुना ज्यादा था।

कनाडा का स्टडी परमिट हासिल करने की सोच रहे भारतीय छात्रों के बीच SDS प्रोग्राम का सबसे ज्यादा प्रचलन था। 2022 में कनाडा में पढ़ने गए 80 फीसदी भारतीयों ने इसी प्रोग्राम का इस्तेमाल कर वीजा हासिल किया था।

अब वीज़ा मिलने में लग सकता है लंबा समय

इस स्कीम के तहत 8 नवंबर को दोपहर 2 बजे तक प्राप्त आवेदनों पर ही कार्रवाई की जाएगी, जबकि इसके बाद सभी आवेदनों पर रेगुलर स्टडी परमिट स्ट्रीम के तहत कार्रवाई की जाएगी. एसडीएस में अप्रूवल रेट ज्यादा थी और प्रोसेसिंग टाइम भी तेज था. इस प्रोग्राम के बंद होने से भारत और 13 दूसरे देशों के स्टूडेंट्स को ज्यादा लंबी वीजा प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा.

सत्ता में बने रहने के लिए कोशिश कर हैं ट्रुडो

कनाडा कई सालों में पहली बार मुल्क में आने वाले आप्रवासियों की संख्या में भारी कमी करने पर विचार कर रहा है. यह सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही एक अलोकप्रिय सरकार एक नाटकीय नीतिगत परिवर्तन है. कनाडा एक ऐसा देश रहा है जो लंबे वक्त से नए लोगों का स्वागत करने में गर्व महसूस करता रहा है, लेकिन अब यह प्रवासियों के प्रति अपनी नीति बदल रहा है.

कनाडा में होने वाले हैं चुनाव

यह मुद्दा कनाडा की राजनीति में सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक बन गया है, क्योंकि वहां अक्टूबर 2025 से पहले संघीय इलेक्शन होने हैं. सर्वे से पता चलता है कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा यह सोचता है कि कनाडा में बहुत ज्यादा आप्रवासी हैं.

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