कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए किया गया प्रेरित
पलवल-8 नवम्बर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। गांव कुलैना के प्रगतिशील किसान बलराम नेचुरल खाद तैयार कर प्राकृतिक खेती कर रहे है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल के सहायक तकनीकी प्रबंधक अतुल कुमार शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खाद ऐसी खाद है जिसे वो अपने खेतों के लिए कम से कम खर्चे में सिर्फ 18 दिनों में तैयार कर सकते है। इससे कई लाभ हैं जैसे – मृदा उपजाऊ बनती है, उपज में कई प्रतिशत तक की वृद्धि होती है, फसलों में पानी कम लगता है, फसलों में बीमारियों से लडऩे की क्षमता बढ़ती है एवं इसके साथ साथ खेत में यूरिया, डीएपी, एमओपी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है । इस खाद के पहली बार उपयोग करने के बाद से ही मृदा की स्थिति सुधरने लगती है जिससे किसानों की रसायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है और पैसों की बचत में वृद्धि होती है।
प्रगतिशील किसान बलराम ने बताया कि प्राकृतिक खाद एक प्रकार की कम्पोस्ट है जो जैविक पदार्थों के अपघटन से बहुत ही कम समय मेंं बनकर तैयार हो जाती है। ये रासायनिक खाद की तुलना में अधिक उत्पादन देती है, जैविक खाद मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णतया सहायक है। इसका उपयोग खेती में करने से उत्पादन की लागत कम होती है। जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा में कृषक भाई अधिक उत्पादन और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि खाद बनाने के लिए मुख्यत गोबर,भूसा,सूखी घास,सूखा खरपतवार,सूखी पत्तियां या पौधों का कोई भी सूखा हिस्सा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे पूर्ण रूप से बनने में 18 दिन लगता है। अच्छी खाद बनाने के लिए इसे बार बार पलटना होता है, पहली पलटाई 4 दिन में होती है इसके बाद हर दूसरे दिन में होती है।
सर्वप्रथम चयनित जगह को साफ कर, जाली को एक गोल ढांचे जैसा खड़ा कर लें। अब 9 तसला सूखी सामग्री माप कर पहली पर्त लगाए फिर 1.5 तसला पानी का छिडक़ाव ढेर पर करें, अगली पर्त के लिए 6 तसला हरी सामग्री सूखी सामग्री के ऊपर डालें और इसके ऊपर 1 तसला पानी का छिडक़ाव करें, इसके बाद अगली पर्त के लिए 3 तसला गोबर डालें और आधा तसला पानी छिडक़ें। इसे बिना जाली के भी बना सकते हैं बस ढेर बनाते समय उसे एक फुट चौड़ा रखें एवं सामग्री डालने के तुरंत बाद उसे किनारों में अच्छे से दबाते रहे इससे ढेर स्थिर रहेगा और गिरेगा नहीं । इसके बाद इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक की ढेर 4 फुट तक पूरा भर न जाए। अब ढेर को ढकने के लिए सबसे उपर सूखी घास की एक पर्त लगायें और उसमे ऊपर से पानी छिडक़ाव करें, यदि ढेर से हल्का पानी निकल रहा है तो ढेर में पानी की मात्रा सही है। इसके बाद ढेर को चारों तरफ से तिरपाल से ढंक दें। अब तीन दिन छोड़ चौथे दिन ढेर को पहली बार पलटें इससे ढेर में उपस्थित सूक्ष्म जीवों को हवा और पानी मिलता है जिससे ज्यादा अच्छी खाद बनती है। पलटते समय ध्यान रखे की अंदर की सामग्री बाहर व बाहर की सामग्री अंदर की तरफ आ जाए, अब इस प्रक्रिया को हर 2 दिन में दोहराएं जैसे पहली पलटाई अगर 4 तारीख को करते हैं तो अगली पलटाई 6 को करेंगे फिर इसी प्रकार 8, 10, 12, 14, 16 तारीख को और 18 तारीख को ये बन कर तैयार हो जाएगा)। इस दौरान ध्यान रखे की ढेर का तापमान 55-65 डिग्री सेल्सियस एवं नमी उचित मात्रा में हो। यदि नमी की मात्रा कम है तो पानी तब तक छिडक़ें जब तक नमी परीक्षण में खाद खरा न उतरे और यदि ढेर ज्यादा गीला है तो ढेर को पलटते समय उसे कुछ समय के लिए धूप में सुखा दें।