भौतिक वैज्ञानिक ‘चन्द्रशेखर वेंकटरमन’-जयंती
जन्म : 07 नवंबर 1888
मृत्यु : 21 नवंबर 1970
पलवल-7 नवंबर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
प्रसिद्ध वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरमन भौतिक-शास्त्री थे. प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष 1930 में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया. उनका आविष्कार उनके ही नाम पर “रमन प्रभाव” के नाम से जाना जाता है. 1954 ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया गया था.
चंद्रशेखर वेंकटरमन पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वैज्ञानिक संसार में भारत को ख्याति दिलाई. प्राचीन भारत में विज्ञान की उपलब्धियाँ थीं, जैसे- शून्य और दशमलव प्रणाली की खोज, पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के बारे में तथा आयुर्वेद के फॉर्मूले इत्यादि. मगर पूर्ण रूप से विज्ञान के प्रयोगात्मक कोण में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई थी. रमन ने उस खोये रास्ते की खोज की और नियमों का प्रतिपादन किया जिनसे स्वतंत्र भारत के विकास और प्रगति का रास्ता खुल गया. रमन ने स्वाधीन भारत में विज्ञान के अध्ययन और शोध को जो प्रोत्साहन दिया उसका अनुमान कर पाना कठिन है.
चन्द्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 7 नवंबर सन् 1888 ई. में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान में हुआ था. उनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर एस. पी. जी. कॉलेज में, भौतिकी के प्राध्यापक थे. उनकी माता पार्वती अम्मल एक सुसंस्कृत परिवार की महिला थीं.
सन् 1892 ई. में उनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर विशाखापतनम के श्रीमती ए. वी.एन. कॉलेज में भौतिकी और गणित के प्राध्यापक होकर चले गए. उस समय उनकी अवस्था चार वर्ष की थी.
उनकी प्रारम्भिक शिक्षा विशाखापत्तनम में ही हुई. केवल ग्यारह वर्ष की उम्र में वह दसवीं की परीक्षा में प्रथम आये. वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और विद्वानों की संगति ने उनको विशेष रूप से प्रभावित किया.
देश के प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने उनके सामने ‘भारत के उपराष्ट्रपति’ पद का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने बड़ी विनम्रता से उसे अस्वीकार कर दिया था. सचमुच उनके जैसे वैज्ञानिक धरती पर कभी-कभी ही जन्म लेते हैं. 21 नवम्बर 1970, को 82 वर्ष की आयु में बंगलुरु में उनका निधन हो गया.