• वाराणसी में सनातन रक्षक दल नें 14 मंदिरों से हटाई सांई बाबा की मूर्ति, 100 अन्य मंदिरों की भी सूची तैयार, सपा नें लगाया माहौल ख़राब करनें का आरोप…
वाराणसी : काशी में मंगलवार को सनातन रक्षक दल नें 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाया। दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सनातन मंदिरों में केवल सनातन देवी-देवताओं की मूर्तियां होनी चाहिए। इस कार्रवाई के बाद समाजवादी पार्टी नें आरोप लगाया है कि ये लोग काशी का माहौल खराब कर रहे हैं।
साईं बाबा की कुछ मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया गया, जबकि अन्य मूर्तियों को उनके मंदिरों में भेजा जा रहा है। सनातन रक्षक दल नें 100 और मंदिरों की सूची तैयार की है, जिनसे वे मूर्तियां हटानें की योजना बना रहे हैं। इस अभियान की शुरुआत तीन दिन पहले वाराणसी के प्रमुख बड़ा गणेश मंदिर से हुई, जहां से साईं बाबा की मूर्ति को हटाकर गंगा में विसर्जित कर दिया गया था। पुरुषोत्तम मंदिर से भी साईं की मूर्ति हटाई गई है, और कई अन्य मंदिरों में मूर्तियों को सफेद कपड़े में लपेट कर रखा गया है। यह अभियान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा शुरू किया गया था, और अब सनातन रक्षक दल इसे आगे बढ़ा रहा है। बड़ा गणेश मंदिर के पास रहनें वाले बुजुर्गों नें इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक बुजुर्ग नें कहा, “आज हमने देखा कि साईं बाबा की मूर्ति यहां से हटा दी गई थी। अगर सनातन मंदिर में साईं की मूर्ति से आपत्ति थी, तो उसे लगाना ही नहीं चाहिए था। अगर मूर्ति लगा दी थी, तो उसे सम्मान के साथ हटाना चाहिए था। गलियों में मूर्ति के टुकड़े फेंक देना उचित नहीं है।”
दूसरे बुजुर्ग नें भी इस कार्रवाई को गलत ठहराया और कहा कि इस तरह मूर्तियों को लगाकर उन्हें हटाना अनुचित है। रविवार को बड़ी संख्या में सनातन रक्षक दल के सदस्य लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर पहुंचे थे, जो एक ऐतिहासिक स्थल है और जहां रोज हजारों भक्त आते हैं। यहां स्थापित 5 फीट की साईं मूर्ति को कपड़े में लपेटकर गंगा में विसर्जित कर दिया गया।
समाजवादी पार्टी के नेता और MLC आशुतोष सिन्हा नें इस घटना पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “बनारस आस्था का केंद्र है, और आजकल यहां नई-नई बातें सुनने को मिल रही हैं। इससे पहले यहां लगातार पूजा होती रही है। मैं किसी धर्म या भगवान पर टिप्पणी नहीं कर रहा, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस तरह की कार्रवाई की आवश्यकता क्यों पड़ी। बनारस की मुख्य समस्या आज सीवर और पानी है, जबकि गंगा के प्रदूषण पर कोई बात नहीं हो रही है। विकास के नाम पर यहां 50 से ज्यादा मंदिर तोड़े गए हैं, लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो रही है। आखिर कब तक हम मंदिरों, मस्जिदों और भगवानों पर चर्चा करते रहेंगे? हमें पढ़ाई-लिखाई, बनारस की तरक्की और रोजगार पर ध्यान देना चाहिए।”