जिला नागरिक अस्पताल पलवल में 23 से 29 सितंबर तक विश्व बधिरता सप्ताह मनाया जाएगा
पलवल-22 सितंबर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
विश्व बधिरता दिवस, हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है. इसका मकसद, बधिर लोगों और बधिर समुदाय की उपलब्धियों को आम लोगों, राजनेताओं, और विकास प्राधिकरणों के सामने लाना है. इसके अलावा, बधिरों से जुड़े कई मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी यह दिन मनाया जाता है.इस कड़ी में जिला नागरिक अस्पताल पलवल में सिविल सर्जन डॉक्टर जय भगवान जाटान के दिशा निर्देशन एवं अध्यक्षता में विश्व बधिरता दिवस मनाया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ जय भगवान जाटान ने बताया कि विश्व बधिरता सप्ताह 23 से 29 सितंबर तक मनाया जाएगा। जो कि हर वर्ष सितंबर मास में मनाया जाता है। विश्व बधिरता सप्ताह का थीम है “सांकेतिक भाषा अधिकारों के लिए पंजीकरण करें’।
इस सप्ताह विश्व भर में बहरे समुदाय की समृद्ध संस्कृति और योगदान का जश्न मनाया जाता है।यह सप्ताह बहरे व्यक्तियों के लिए सुलभता और समानता के महत्व की याद दिलाता है। हमें उनके सामने आने वाली विशेष चुनौतियों को स्वीकारना चाहिए और उनकी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। हमें सांकेतिक भाषा, शिक्षा और समान अवसरों को बढ़ावा देना चाहिए। जिला नागरिक अस्पताल पलवल में सभी नवजात शिशुओं की सुनवाई की जांच जन्म के समय व 3 से 6 महीने की उम्र में मुफ्त की जाती है। सभी मूक, बधिर और कम सुनाई देने वाले मरीजों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र हर रोज बनाए जा रहे हैं। ताकि यह लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर मुख्य धारा से जुड़ सकें। ईएमटी सर्जन डॉक्टर दीप किशोर ने बताया कि जिला नागरिक अस्पताल पलवल में अब बेरा टेस्ट और ए एस एस आर टेस्ट की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मूक व बधिर बच्चों का कोकलियर इंप्लांट का मुफ़्त ऑपरेशन कराया जा रहा है। जो इन बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने में बहुत कारगर साबित होगा। ईएनटी सर्जन डॉ शिल्पा अरोड़ा ने बताया कि कान की देखभाल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गंदे पानी में तैरने से या नहाने से, बच्चों या व्यक्ति के कान पर मारने से, तेज आवाज में लाउडस्पीकर सुनने से, पटाखों के अत्यधिक शोर से बचें । उन्होंने बताया कि कान में संक्रमण, बचपन की बीमारियां जैसे खसरा, कनफेडे (मम्स) व मस्तिष्क ज्वर, दुर्घटना से कान या सिर में चोट लगने, कान से मवाद बहने, लाउडस्पीकर, होर्न , ऊंची आवाज में संगीत सुनना आदि बहरेपन के कारण होते हैं। डॉ शिल्पी अरोड़ा ने बताया कि कान में पानी न जाने दें, कान में कोई नुकीली वस्तु ना डालें व ना हीं कोई तरल पदार्थ डालें, मवाद में बदबू या खून आना गंभीर रोग के लक्षण हो सकते हैं तथा लगातार कान का बहाना बहरेपन का कारण हो सकता है। ऐसी अवस्था में तुरंत अपने ईएनटी सर्जन से संपर्क कर परामर्श लें।बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वासुदेव गुप्ता ने छोटे बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों देने वाले बच्चों के रोगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विश्व बधिरता सप्ताह सभी लोगों से मूक बधिर बच्चों व व्यक्तियों की जांच कराएं।