अयोध्या/ महराजगंज
शिवरतन कुमार गुप्ता “राज़”
भगवान श्री रामलला की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 025 को मनाई जाएगी
भगवान राम की नगरी अयोध्या से, इस वक्त बड़ी जानकारी सामने आ रही है।
वर्ष 2024 में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई थी।
पूरे विधि विधान के साथ रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की गई थी।
यह ऐतिहासिक दिन का एक – एक ऐतिहासिक छड़ न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का मौका था।
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के के अगुवाई में प्राणप्रतिष्ठा का आयोजन सम्पन्न हुआ था।
जो साढ़े पांच सौ साल के लंबे संघर्ष और प्रतिक्षा के बाद संभव हो सका था।
लेकिन इस बार राम मंदिर प्रबंधन के द्वारा रामलला के प्राणप्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 025 को मनाने की घोषणा की गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि – इस बार रामलला के प्राणप्रतिष्ठा की वर्षगांठ 22 जनवरी को न मना कर क्यों 11 जनवरी को मनाई जाएगी…?
हिंदू पञ्चांग के अनुसार इस भ्रम का कारण हमारी तिथियों के निर्धारण का तरीका है।
दअरसल ! सनातन धर्म में किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन की तिथि का निर्धारण हिन्दू पञ्चांग के अनुसार किया जाता है।
प्राणप्रतिष्ठा का यह शुभ कार्य पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि यानी कूर्म द्वादशी तिथि के दिन संपन्न हुआ था।
पिछले वर्ष यह तिथि अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार 22 जनवरी को पड़ी थी। लेकिन इस बार यह तिथि यानी कूर्म द्वादशी की तिथि अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार 11 जनवरी को पड़ रही है।
इसलिए रामलला के प्राणप्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का भव्य उत्सव 11 जनवरी को ही मनाई जाएगी।
2024 में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और R.S.S. प्रमुख मोहन भागवत इस ऐतिहासिक पूजा में मुख्य यजमान की भूमिका में थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूजा के लिए विशेष 11 दिनों का अनुष्ठान किया था, और अन्न का त्याग करते हुए देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया था।
इस ऐतिहासिक आयोजन में भारत सहित दुनिया भर से रामभक्त और राजनयिक शामिल हुए थे।
11 जनवरी को पहली वर्षगांठ के लिए भी विशेष आयोजन किए जा रहे हैं।
राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि – रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी को मनाई जाएगी। जो 3 दिनों तक आयोजित की जाएगी।
इस दौरान पांच प्रमुख स्थानों पर विशेष आयोजन किया जाएगा।
जिसमें सबसे पहले यज्ञ मण्डप जहां अग्नि देव को 1975 मंत्रों से आहुति दी जाएगी।
दूसरा है प्रार्थना मण्डप यहां भगवान श्रीराम की राग सेवा होगी।
तीसरा है मंदिर प्रांगण यहां बधाई गान होंगे और संगीत का आयोजन होगा।
चौथा यात्री सुविधा केंद्र यहां पर संगीतमय मानस पाठ का आयोजन किया जाएगा।
और पांचवा है अंगद टीला यहां राम कथा,प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
यह उत्सव सनातन परंपरा और आधुनिक प्रबंधन का अनोखा संगम है।
हिंदू पञ्चांग का अनुसरण करके इस तरह के आयोजन यह साफ संदेश देते हैं कि – भारत अपनी परंपराओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों का पूरा – पूरा सम्मान करता है।
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का उत्सव यह दर्शाता है कि – राममंदिर केवल धार्मिक आस्था का ही केंद्र नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति और आधुनिक प्रबंधन का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है।