• (हिन्दू धर्म) में बहुत से ऐसे शब्द हैं, जिनका अंंग्रेजी में कोई पर्यायवाची शब्द नहीं है. फ्रंकोईस गौइटर, हिन्दूइज्म के जानकार और प्रसिद्ध लेखक, लिखते हैं कि हिंदुओं को निम्न 10 बातों का पालन अवश्य करना चाहिये :-
1● ‘गाड फियरिंग’ शब्द का प्रयोग कभी भी न करें. हिन्दू ईश्वर से डरता नहींं है. हिंदू के लिए, ईश्वर हर जगह है और वह ईश्वर का अंश हैं. ईश्वर कोई अलग व्यक्तित्व नहीं कि उससे डरा जाए. वह अंतरात्मा में है।
2 ● किसी की मृत्यु पर निरर्थक शब्द RIP का प्रयोग न करें. ‘ऊं शांति’, ‘सदगति’ या ‘आत्मा को मोक्ष/ सदगति/ उत्तम लोक मिले शब्द प्रयोग करें. हिन्दूइज्म में न “सोल” और न “रेस्टिंग” की अवधारणा है. ध्यान रहे “आत्मा” और “जीव” का प्रयोग एक तरह से “सोल” शब्द के विलोम के रूप में होता है.
3 ● रामायण और महाभारत के लिए ‘माइथोलॉजी’ शब्द का प्रयोग न करें. *राम और कृष्ण* ऐतिहासिक हैं, हमारे भगवान हैं, कोई काल्पनिक चरित्र नहीं हैं।हमारे पास इनके होने के हजारों प्रमाण हैं।
4 ◆ मूर्तिपूजा को लेकर खेद या हीन भावना कभी व्यक्त न करें या यों ना कहें कि वह तो सिर्फ प्रतिकात्मक है. सभी धर्मों में मूर्ति किसी न किसी रुप में है- क्रॉस, शब्द, अक्षर (कैलिग्राफी) या दिशा. और, हमें आइडोल, स्टैच्यू, इमैज जैसे शब्दों का प्रयोग, जो हम अपनें ईश्वर या भगवान की मूर्तियों/कलाकृतियों को लेकर करते हैं, बंद कर देना चाहिए. *मूर्ति या विग्रह* शब्द का प्रयोग करें. अगर कर्म, योग, गुरु और मंत्र जैसे शब्द अंग्रेजी भाषा में प्रचलन में हैं तो *मूर्ति या विग्रह* क्यों नहीं?
5 ◆ गणेश और हनुमान को कृपया एलीफेंट गॉड या मंकी गॉड कभी न कहें. हम उन्हें श्री गणेशजी और श्री हनुमानजी ही कहें।
6 ◆ मंदिरों को प्रार्थना कक्ष न कहें. *मंदिर देवालय हैं* (ईश्वर का निवास स्थान) प्रार्थनालय नहीं।
7 ◆ बच्चों का “काला जन्मदिन” न मनायें. दीपक बुझाने न दें और दिये को जन्मदिन केक के ऊपर रखें. अग्नि देव (दीपक) पर फूंक न मारें. बल्कि दीप प्रज्वलित कर प्रार्थना करें कि हे अग्नि देव महाराज हमें अंधकार से प्रकाश की तरफ ले चलो ( तमसो मा ज्योतिर्गमय). *इसकी गहरी छाप मन पर पड़ती है।
8 ◆ ‘स्प्रिचुअलिटी’ और ‘मैटेरियलिस्टिक’ शब्दों का प्रयोग न करें. एक हिन्दू के लिए, हर चीज डिवाईन है, ईश्वरमय है. आध्यात्मिकता और भौतिकता ये दोनों शब्द ईसाई धर्म प्रचारकों और योरोपियनों के हैं, जहां चर्च बनाम स्टेट की अवधारणा है. या, साइंस बनाम रिलिजन है. ठीक इसके विपरीत भारत में ऋषि-मुनि वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म की बुनियाद विज्ञान था और है।
9 ◆ ‘पाप’ की जगह ‘सिन’ शब्द का प्रयोग न करें. हमारे पास केवल धर्म ( कर्तव्य, शुचिता, जिम्मेदारी और प्रिविलेज) और अधर्म ( जब हम धर्म का अनुसरण नहीं करते) है. धर्म का सामाजिक और धार्मिक नैतिकता से कोई मतलब नही है. अधर्म से पाप आता है।
10 ■ ध्यान के लिए मेडिटेशन और प्राणायाम के लिए ब्रीदिंग इक्सरसाइज शब्द का प्रयोग न करें. इसका गलत अर्थ होता है. मूल शब्द – ध्यान और प्राणायाम – का प्रयोग ही करें।
ध्यान रखेंं, दुनिया उसी की इज्जत करती है जो अपनी इज्जत खुद करता है.अच्छा होगा, यदि हम खुद इसका पालन करें और दूसरों को प्रेरित करने के लिए इसे भेजें। सत्य सनातन धर्म की पुनर्स्थापना व वैदिक संस्कृति का संरक्षण,देवभूमि भारत का रक्षण करने हेतु 100 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय सनातन समाज को जागृत और संगठित करना होगा।