सवांददाता ब्यूरो चीफ रमाकान्त झंवर बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
श्रीडूंगरगढ़। कालूबास मे नेहरूपार्क में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम समारोह- पूर्वक हुआ। भागवतजी को गाजे – बाजे के साथ स्त्री-पुरुषों के श्रद्धालु समूह के साथ झंवरों के मंदिर में पहुंचाया गया। विश्राम दिवस की कथा के प्रारंभ में संत शिवेन्द्रजी ने कहा कि गृहस्थ में कियाँ रैवणो चाइजै,इणरी विशद् विवेचना भागवत रै दसवें स्कंध में विस्तार सूं लाधै।”महाराज ने सातों दिवस भागवत का तात्विक विवेचन सरल राजस्थानी भाषा में किया। आपने बताया कि एक बार भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मिणीजी से परिहास किया था कि वे चाहें तो उन्हें छोड़कर जा सकती हैं। इतनी-सी बात सुनते ही वे बेहोश हो गईं। यह पतिव्रता स्त्रियों के लिए प्रेरणादाई उदाहरण है। पतिव्रता स्त्रियां अपने पति से विलग होने का किंचित भी विचार नहीं करतीं। आज की कथा में दान की महिमा का भी वर्णन किया गया। संत शिवेन्द्रजी ने कहा कि एक सनातनी गृहस्थ को प्रति दिन छह कार्य आजीवन नैमितिक रूप से करने चाहिए। प्रातः उठते ही स्नान, त्रिकाल संध्या, जप, देवपूजन,बलिवैश्व तथा अतिथि का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचदेवोपासना के रूप में संसार की उत्पत्ति के पर्याय सूयदेव, स्थिति के देव विष्णु, संहार के देव शिव, अनुग्रह के देव गणेश, निग्रह की देवी जगदम्बा, तथा बलिवैश्व के प्रतीक अग्निदेव की पूजा करनी चाहिए। कथा के विश्राम दिवस नेहरू पार्क में तनिक भी जगह शेष नहीं रही। बहुत बड़ी संख्या में जनसमूह ने कथा श्रवण किया। कथा के मंच संचालक डॉ चेतन स्वामी ने कथा में भाग लेनेवाले सुधि श्रोताओं तथा कथा के निमित्त आयोजक बने सभी जनों तथा सरस कथा वाचक संत शिवेन्द्रजी का कोटिशः आभार ज्ञापित किया।