रिपोर्टर राहुल सिंह चौहान सरदारपुर धार
राजा सिद्धार्थ एवं त्रिशला रानी के यहां जन्में प्रभु महावीर,
भगवान के जयकारों से गूंजा समूचा वातावरण
बखतगढ़- आचार्यश्री उमेशमुनिजी की प्रेरणा से गठित एवं दिव्य कृपा से संचालित व धर्मदास गणनायक, प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आशीर्वाद से स्वाध्यायी सेवा के लिए निरंतर गतिमान श्रीधर्मदास जैन स्वाध्यायी संघ थांदला के स्वाध्यायी अमृता बहन मारू व संगीता बहन सखलेचा (दोनों नागदा जंक्शन) एवं विशेष अतिथि रूप में उपस्थित बदनावर के अंगुरबाला बहन ओसतवाल के सानिध्य में श्री वर्धमान स्थानक भवन बखतगढ़ पर पर्युषण महापर्व के अंतर्गत भगवान महावीर स्वामी का जन्म वाचन हुआ
प्रभु महावीर के मुख्य रूप से 27 भव हुए
नवकार महामंत्र एवं भगवान महावीर के स्तवन की स्तुति से धर्मसभा प्रारंभ हुई इस अवसर पर स्वाध्यायी बहनों ने भगवान महावीर स्वामी के जन्म वाचन के दौरान कहा कि भगवान के वैसे तो कई भव हुए लेकिन मुख्य रूप से 27 भव हुए इन भवों के जीवन वृत्तांत पर सारगर्भित प्रकाश डाला। पश्चात राजा सिद्धार्थ एवं त्रिशला रानी के यहां जन्म लिया जैसे ही जन्म का वाचन हुआ समूची धर्मसभा जयकारों से गूंज उठी
श्राविकाओं व बच्चों ने स्तवन प्रस्तुत किए
इशिता व्होरा, झलक डांगी, श्रद्धा व्होरा, रीना वरमेचा, प्रियंका गादिया, नीलू वरमेचा आदि ने सुंदर स्तवन प्रस्तुत किया इस मौके पर संवत्सरी मौके प्रतिक्रमण की बोली लगाई गई जिसमें अंतिम बोली का लाभ वर्धमान बोहरा ने लिया आतिथ्य बोली का संचालन विशुल चौरड़िया ने किया। धर्मसभा का संचालन दिलीप दरड़ा ने किया जन्म वाचन के बाद श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा प्रभावना वितरित की गई। आतिथ्य सत्कार का लाभ जसपाल सौभाग्यमल बड़ौला परिवार ने लिया वहीं व्याख्यान के बाद प्रभावना वितरण का लाभ मंगलेश, राजेश, अविश, भव्य व्होरा परिवार ने लिया
पौषध शाला में चौदह स्वप्नों की बोली लगाई
उधर पौषध शाला जैन उपाश्रय बखतगढ़ में श्वेतांबर मूर्ति पूजक जैन श्रीसंघ द्वारा आयोजित समारोह में चौदह स्वप्नों, पालना, चंवर, आरती आदि की बोली में बढ़ चढ़कर भाग लिया यहां जन्म वाचन मनीष गादिया ने किया भगवान के जन्म के दौरान हर्ष का वातावरण निर्मित हो गया यहां बोली का संचालन संचालन दिलीप दरड़ा ने किया जैन मंदिर में आदिनाथ प्रभु एवं दादा गुरुदेव की आरती हुई। सभी ने आरती करने का लाभ लिया पश्चात श्री श्वेतांबर मूर्ति पूजक जैन श्रीसंघ की ओर से प्रभावना वितरित की गई पश्चात बोली लेने वाले परिवार के सदस्य सिर पर सपना जी प्रतिमाएं लेकर ढोल ढमाके से शोभायात्रा निकाली गई मार्ग में श्राविकाएं खूब नांचे नगर भ्रमण कर शोभायात्रा जैन मंदिर पहुंची
मौन भी वाणी संयम का उत्कृष्ट उदाहरण है