रिपोर्टर रजनीश पाण्डेय सुरत गुजरात सत्यार्थ न्यूज़
शिवाजी ने सूरत को लूटा था’, अब पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बयान पर महाराष्ट्र की सियासत में घमासान
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में गिरी शिवाजी की प्रतिमा पर विवाद बढ़ता जा रहा है। नारायण राणे ने कहा कि शिवाजी महाराज ने सूरत को लूटा था, जबकि देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस पर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया। इतिहास में उल्लेख है कि शिवाजी ने 1664 और 1670 में सूरत पर हमला किया था।
मुंबई : महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में गिरी शिवाजी की प्रतिमा का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। प्रतिमा ढहने की खराब गुणवत्ता से शुरू हुई सियासत अब आरोप-प्रत्यारोप पर आ गई है। बीजेपी पर कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना निशाना साध रही है तो वहीं बीजेपी ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया है। इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बयान ने भी हलचल मचा दी है। नारायण राणे ने कहा कि मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने वास्तव में सूरत को लूटा था।
फडणवीस के बयान से इतर राणे का बयान
राणे का बयान रविवार को उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शिवाजी के खिलाफ झूठे प्रचार के लिए कांग्रेस पर हमला करने के एक दिन बाद आया। इसमें कहा गया था, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी सूरत को नहीं लूटा।’
क्या बोले देवेंद्र फडणवीस
फडणवीस ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने योद्धा राजा को सूरत को लूटने वाले के रूप में पेश करने के लिए अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में शिवाजी महाराज को गलत तरीके से पेश किया था। हालांकि, ये तथ्यात्मक रूप से गलत धारणाएं थीं।
जवाहर लाल नेहरू पर निशाना
फडणवीस ने कहा, ‘आजादी के बाद कांग्रेस ने जानबूझकर सिखाया कि शिवाजी ने सूरत को लूटा। जबकि, सही स्थिति यह है कि शिवाजी ने ‘स्वराज्य’ के लिए सही लोगों से खजाना लूटा या राष्ट्र के व्यापक कल्याण के लिए उन पर हमला किया।’ वहीं बीजेपी प्रवक्ता ने जवाहरलाल नेहरू के परनाती राहुल गांधी से उनके नाना के दिए बयान पर माफी मांगने को कहा है।
महाराष्ट्र में शिवाजी पर सियासत जारी
सिंधुदुर्ग जिले के मालवन में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने के बाद सत्तारूढ़ और विपक्षी पक्ष एक-दूसरे पर राजा के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा रहे हैं। यहां यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि इतिहास की पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि शिवाजी ने 1664 और 1670 में सूरत पर दो बार हमला किया था और लूटपाट की थी, जो उस समय आर्थिक रूप से समृद्ध शहर और मुगलों का एक प्रमुख बंदरगाह था।
मीडिया से बातचीत के दौरान, नाराण राणे ने कहा, ‘विपक्ष चुनावों को ध्यान में रखते हुए शिवाजी की प्रतिमा गिरने का राजनीतिकरण कर रहा था जो दुर्भाग्यपूर्ण था। शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता को सामने आकर शांति की अपील करनी चाहिए थी। लेकिन यह स्पष्ट है कि विपक्ष इस घटना का इस्तेमाल माहौल खराब करने के लिए कर रहा है।’