रिपोर्टर प्रवीण सिंह राजपूत
मिरज तहसील से
मिरज के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक एवं ‘शिवतीर्थ’ मे स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की अश्वारोही प्रतिमा, लगभग 1900 किलोग्राम वजन वाली ब्राँझ धातु से बनी, गर्मी, हवा और बारिश को सहने हुए आज भी मजबूत स्थिती मे खड़ी है। उस समय शिव भक्तों की भीड़ द्वारा स्थापित की गई यह प्रतिमा आज भी बहुत अच्छी स्थिति में खड़ी है। कुछ दिन पहले जब मालवण के राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरी तो पूरे महाराष्ट्र में शिव भक्तों में गुस्से की लहर फैल गई, लेकिन इस अवसर पर मिरज में शिवतीर्थ पर खड़ी यह मूर्ति एक उस समय के मूर्तिकारों की मूर्तिकला का प्रतीक.है ।इस प्रतिमा का उद्घाटन 15 मई 1972 को किया गया था। मूर्तिकार दादा ओतारी ने चित्र तपस्वी भालजी पेंढारकर की देखरेख में ५९००० रुपये मे 1900 किलोग्राम वजन वाली कांस्य ब्राँझ से बनी यह मूर्ती बनाइ थी। लागभग अजसे आजसे बावन साल पहिले यहा के शिवभक्त
नारायण भोंगळे, विश्वनाथ भिसे, विठ्ठलराव माळवदे, वसंत गवंडी, दत्तात्रय रानभरे और अन्य नागरिको कि मदत से सांगली के भाई ताराचंद शहा कि मदत से नागरिको ने जामाये हुवे उन सठ हजार कि लागत मे यह पुतला घडा किया गया । मशहूर शिल्पकार दादा ओतारी जी ने चित्र तपस्वी भालजी पेंढारकर कि निर्देशन मे यह ब्राँझ का उन्नीसो किलो का पुतला बनाया जो आज भी बिलकुल अच्छी स्थतीची मे खडा है और जब कि कुछ हि महिनो पहिले खडा राजकोट किले पर खडा छत्रपती शिवाजी महाराज का पुतला गीर जाता है यह बात सारे महाराष्ट्र को शर्मिन्दगी और दुख दायक है ।