• बोहरा समाज के चेहल्लुम की नारियल की पाल 26 को भराई जाएगी।
• साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना चेहल्लुम, देशभर से मन्नत मांगने आते है लोग।
सुसनेर। इमाम हुसैन की यावद में मनाया जाने वाला पर्व चेहल्लुम बोहरा समाज द्वारा इस बार सुसनेर नगर में सोमवार 26 अगस्त से शुरू होगा। इस पर्व के दौरान लोग मन्नत मांगते हैं कहा जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है पूरी हो जाती है।
मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के सुसनेर में आयोजित चेहल्लुम पर्व में सोमवार की सुबह से साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल सुसनेर नगर में देखने को मिलेगी। जहां लोग चेहल्लुम पर मन्नत मांगने और मन्नत पूरी करने के लिए आएंगे। विभिन्न सम्प्रदाय के लोग एक अरदास लेकर आते हैं और मन्नत पूरी होने पर नारियल चढ़ाते हैं। जिसकी सोमवार शनिवार 26 अगस्त से नारीयल की पाल भरने की शुरुआत होगी एवं मंगलवार 27 अगस्त को खत्म होंगी।
26 अगस्त को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का चेहल्लुम के ताजिये बनाने की कई दिनों से मेहनत करते तैयारी कर रहे ताजिये खुदमदगार स्थानीय बोहरा समाज के वरिष्ठ शब्बर भाई बोहरा ने उक्त जानकारी देते देते हुए बताया कि सुसनेर में बोहरा समाज के लोगों ने 154 वर्षों से चली आ रही परम्परा का निवर्हन करते हुए इमाम हुसेन के चेहल्लूम पर्व की शुरूआत शनिवार से होगी। क्षेत्र में यह पर्व साम्प्रदायिक सोहार्द की एक मिसाल बना हुआ है। कहा जाता है कि यहां मन्नत मांगने से सारी मुरादे पूरी हो जाती है इसी के चलते हर साल यहां मन्नत मांगने के लिए मुम्बई, दिल्ली, इन्दौर, कोटा, उज्जैन, राजगढ़, ब्यावरा सहित देश के कई राज्यों से लोग आते हैं। इमाम हुसैन का यह चेहल्लूम पर्व 155 वर्षो से मनाया जाता है। यह पर्व इमाम हुसेन की शहादत के 40 दिन बाद उनकी याद में मनाया जाता है। वहीं पर्व के दूसरे दिन शहर में ताजिए निकाले जाएंगे।
बोहरा समाज का चेहलुम, मंगलवार को निकलेंगे ताजिये
स्थानीय बोहरा मुस्लिम समाज के चेहल्लुम के ताजिये के जुलूस की शुरुआत मंगलवार 27 अगस्त को स्थानीय इतवारिया चौराहे पर प्रातः 10 होगी जो पूरे शहर में प्रमुख मार्गों से निकाला जाएगा एवं देर रात्रि को चेहलुम पर्व मनाया जाएगा जो मंगलवार दिन भर शहर ताजिये के साथ जुलूस निकालेगे। इसको लेकर समाज के युवकों ने नगर में झंडिया आदि बाँधकर तैयारियां शुरू कर दी थी। वही वर्षो पुरानी नगर के इतवारीया क्षेत्र में स्थित शब्बर हुसैन बोहरा एवं आशिकहुसेन बोहरा के निवास के सामने नारीयल की मन्नत के अंतर्गत नारियल चढ़ाने के लिए विशाल मंच बनाया गया है। जिसमे मुस्लिम समाज के साथ साथ अन्य समाज के लोग भी अपनी मन्नत पूरी होने पर नारियल चढ़ाते है।
क्या है चेहलुम ओर क्यों मनाते
चेहलुम अथवा चेहल्लुम एक मुस्लिम पर्व है जिसे मुहर्रम के ताज़िया दफ़नाए जाने के चालीसवें दिन मनाया जाता है। चेहलुम वस्तुत: इज़ादारी असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। वास्तव में चेहलुम हज़रत हुसैन की शहादत का चालीसवां होता है। इस दिन न केवल भारत, बल्कि संपूर्ण विश्व में चेहल्लुम का आयोजन किया जाता है। वैसे सफ़ेद ताज़िया इसलिए भी निकाला जाता है कि हज़रत इमाम मेंहदी के पिता हज़रत इमाम अस्करी की भी शहादत हुई थी। कुछ लोग इस बात का आरोप भी लगाते हैं कि चेहल्लुम हज़रत उमर की मृत्यु की खुशी में मनाया जाता है, जो सरासर अनुचित है। वास्तव में इसका रिश्ता तो ‘मरग-ए-यज़ीद’ से है। सुप्रसिद्ध उर्दू कवि व स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद अली ने कहा है कि-
‘कत्ल-ए-हुसैन अस्ल में मरग-ए-यज़ीद है।
इस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद॥’[1]
उद्देश्य
इसका आयोजन निस्संदेह इस्लाम धर्म के लिए हज़रत मुहम्मद के निवासे इमाम हुसैन की सेवाओं और उनके बलिदानों को स्वीकार करना है। इमाम हुसैन का व्यक्तित्व हमेशा से बलिदान का आदर्श रहा है। उससे बड़ा बलिदान इस नश्वर संसार में विरले ही मिलेगा। इमाम हुसैन का युग इस्लामी इतिहास में ऐसा युग था, जिसमें इस्लाम के विरुद्ध ऐसी शक्तियां उठ खड़ी हुई थीं, जो सीधे-साधे मुसलमानों को अपना निशाना बनाती थीं। ऐसे में हज़रत हुसैन ने इस्लाम की खोई हुई गरिमा को वापिस लाने और उसे सुदृढ़ करने का भरसक प्रयास किया, यहां तक कि इस पथ पर चलते हुए उन्होंने अपने जान की भी परवाह नहीं की।
चित्र 1 सुसनेर में चेहलुम पर्व को मनाने को लेकर बोहरा मुस्लिम समाज के युवकों द्वारा की जा रही तैयारी।
चित्र : सुसनेर बोहरा समाज के चेहल्लुम पर्व की शुरुआत आज से होगी। चढ़ाएंगे जायेगे मन्नत के नारियल।