सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है।शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है।पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
श्री गणेशाय नमः
जय श्री कृष्णा
चोघडिया, दिन
अमृत 06:10 – 07:48 शुभ
काल 07:48 – 09:25 अशुभ
शुभ 09:25 – 11:03 शुभ
रोग 11:03 – 12:40 अशुभ
उद्वेग 12:40 – 14:18 अशुभ
चर 14:18 – 15:55 शुभ
लाभ 15:55 – 17:33 शुभ
अमृत 17:33 – 19:10 शुभ
चोघडिया, रात
चर 19:10 – 20:33 शुभ
रोग 20:33 – 21:55 अशुभ
काल 21:55 – 23:18 अशुभ
लाभ 23:18 – 24:40* शुभ
उद्वेग 24:40* – 26:03* अशुभ
शुभ 26:03* – 27:26* शुभ
अमृत 27:26* – 28:48* शुभ
चर 28:48* – 30:11* शुभ
(*) समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले.
🙏🏻आज का राशिफल🙏🏻
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन मिश्रित फल देने वाला रहेगा। दिन के आरंभ में थोड़ी सुस्ती रहने के कारण कार्यो में विलंब होगा। कार्यो में भी अधिक परिश्रम के बाद ही सफलता मिलेगी। महिलाओं को भी घरेलू कार्यो के लिए दौड़-धूप करनी पड़ेगी फिर भी लोग आपके कार्यो में नुक्स निकालेंगे। व्यवसाय से थोड़े इंतजार के बाद आवश्यकता अनुसार धन लाभ हो जाएगा। मध्यान के बाद कार्यो से उबन होने पर मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे। आर्थिक रूप से परिस्तिथि अनुकूल ना होने पर भी खर्च करने के कारण धन की कमी बनेगी। धार्मिक क्षेत्र की लघु यात्रा हो सकती है। उदर शूल की संभावना है।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप सभी कार्यो को देख परख कर ही करेंगे फिर भी कार्य सफलता में विलंब अथवा कार्य हानि होगी। मन के नकारात्मक भाव शारीरिक एवं मानसिक रूप से विचलित करेंगे। आपके अंदर विवेकि भरा रहेगा भले-बुरे का पूर्व ज्ञान भी कर सकेंगे इसके बावजूद मन अनैतिक कार्यो में भटक सकता है। प्रतिकूल स्वास्थ्य कार्यो में विघ्न डालेगा। सामाजिक क्षेत्र एवं घर मे धैर्य का परिचय दें किसी की बातों पर शीघ्र प्रतिक्रिया माहौल खराब करेगी मामूली बाते भी दिल को चुभेगी। महिला वर्ग अतिआत्मविश्वास की भावना से ग्रस्त रहेंगी जिससे मान भंग के प्रसंग बन सकते है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन सुख शान्ति से बितायेंगे लेकिन स्वभाव में ईर्ष्या की भावना रहेगी अन्य लोगो के कामो में मीन मेख निकालने से विवाद भी हो सकता है। कार्य व्यवसाय में मध्यान तक का परिश्रम संध्या के बाद फल देने लगेगा आज आकस्मिक रूप से किसी शुभ समाचार की प्राप्ति उत्साहित करेगी धन लाभ भी निश्चित समय पर ना होकर आकस्मिक ही होगा। अधिकारियों का स्वभाव आज संदिग्ध रहेगा सतर्क रहें। धार्मिक कार्यो के लिए कम ही समय निकाल पाएंगे। सरकारी कार्यो में ढील ना दे अन्यथा बाद में लंबित रहेंगे। प्रेम प्रसंगों में नजदीकियां बढ़ेंगी। संताने संध्या के समय अपने व्यवहार से परेशान करेंगी।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आपको शारीरिक रूप से अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आकस्मिक दुर्घटना अथवा अन्य कारणों से शारीरिक कष्ट पहुँच सकता है। हाथ पैरों में भी शिथिलता रहेगी जिससे दैनिक कार्य कुछ प्रभावित होंगे। व्यावसायिक कार्यो में भी आज दौड़ धूप अधिक रहेगी इसका उचित लाभ विलंब से ही मिल सकेगा। पारिवारिक वातावरण आज अधिक भावुक रहेगा। घर के सदस्य आपसी परेशानी को समझेंगे फिर भी अधिक बोलने की आदत से बचें। आर्थिक रूप से दिन उत्तम रहने के कारण आकस्मिक खर्च विचलित नही कर सकेंगे। स्त्री सुख मिलेगा।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप धैर्य धारण करने पर उम्मीद से अधिक लाभ कमा सकते है। आपकी दिनचर्या भी धीमी ही रहेगी प्रत्येक कार्य धीमी गति से करेंगे जिस कारण लोगो से आलोचना सुननी पड़ेगी। आज आप यथार्थ को छोड़ काल्पनिक दुनिया मे अधिक रहेंगे जिस वजह से लोग आपकी हंसी उड़ाएंगे। आज आय की अपेक्षा व्यय अधिक रहेगा घरेलू सुख के साधन एवं मौज शौक पर केवल दिखावे के लिए खर्च करेंगे जिससे बाद में आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। घर मे किसी ना किसी से रूठना मनना चलता रहेगा फिर भी शान्ति भंग नही होगी। महिलाओ में आत्मबल अधिक रहेगा आलस्य के कारण प्रदर्शित नही कर सकेंगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन धन-धान्य वृद्धि कारक रहेगा। विरोधी भी नतमस्तक रहेंगे आज आप महत्त्वपूर्ण घरेलु अथवा व्यावसायिक निर्णय लेंगे। स्वतंत्र विचार रहने से लोगो के मन की बात आसानी से जान लेंगे। व्यवहार कुशलता से नए लाभदायक संबंध बनाएंगे। शेयर अथवा अन्य जोखिम के कार्यो में निवेश
का शीघ्र फल मिलेगा। कई दिनों से निरस्त यात्रा आज बेमन से करनी पड़ सकती है। मित्र रिश्तेदारो से नजदीकियां बढ़ेंगी। घरेलू वातावरण सामान्य रहेगा फिर भी महिलाओं की आवश्यकता का विशेष ध्यान रखें अन्यथा बेवजह कलह के प्रसंग बन सकते है।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप स्वयं को अन्य लोगो से श्रेष्ठ आंकेंगे मनमाना व्यवहार करने से आस पास रहने वालों को असुविधा होगी व्यर्थ की बहस भी होगी। घर एवं बाहर आज संतुलित व्यवहार रखें लोग आपकी सही बातों को भी गलत बना कर विवाद खड़ा करेंगे। सेहत आज ठीक रहेगी लेकिन कलह-क्लेश के कारण मानसिक रूप से बेचैन रहेंगे। जिस भी कार्य का मन बनाएंगे उसमे कोई ना कोई व्यवधान आने से मन खिन्न होगा। धन संबंधित लेन-देन में स्पष्टता रखें लिख कर ही करें भूल होने की आशंका है। आकस्मिक यात्रा हो सकती है। जोड़ तोड़ की नीति से धन लाभ होगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप ना चाहकर भी व्यर्थ के झगड़ो में पड़ेंगे सेहत में भी उतार-चढ़ाव लगा रहेने से कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था फैलेगी। छाती में संक्रमण अथवा मासपेशियो में खिंचाव आने से पीड़ा होगी। जिम्मेदारी ठीक से नही संभालने पर बड़े लोग नाराज होंगे। धन लाभ की उम्मीद नही होने पर भी अचानक होने से आश्चर्यचकित होंगे। फिर भी खर्च आय की तुलना में अधिक ही रहेंगे। घर अथवा रिश्तेदारी मे पूजा पाठ के आयोजन में भाग ले सकते है। महिलाये जल्दबाजी में गलत निर्णय लेने से परेशान हो सकती है। लंबी यात्रा आज ना करें ठंडे प्रदार्थो से परहेज रखें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपका आज का दिन आर्थिक रूप से पहले की अपेक्षा बेहतर रहेगा। आज जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे देर-अबेर उससे धन प्राप्ति होकर ही रहेगी। नए कार्य अनुबंध अथवा व्यवसाय की शुरुआत आज करना शुभ रहेगा परन्तु अधूरे कार्यो में ढील ना दें हानि भी हो सकती है। भविष्य के लिए आज संचय भी कर सकेंगे। गृहस्थ में आज कुछ ना कुछ कारण से भाग-दौड़ लगी रहेगी। महिलाये अतिरिक्त कार्य आने से असहज रहेंगी स्वभाव भी चिड़चिड़ा रहेगा। व्यर्थ में किसी से बहस ना करें सरकारी कार्य मे उलझन बढ़ेगी आज निरस्त रखें। महिला वर्ग आज विशेष खर्चीली सिद्ध होंगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप मन ही मन आंनदित रहेंगे। लापरवाही व्यवहार में रहने से दिन में कई बार कलह का कारण बनेगी। असंयमित दिनचर्या के कारण शारीरिक रूप से भी थकान एवं अस्वस्थ्यता अनुभव होगी। आज आप किसी भी एक निर्णय पर नही टिकेंगे अपनी बातों से पलटने के कारण व्यावसायिक स्थल एवं गृहस्थ में झगड़े होने की संभावना है। मौज शौक को कार्यो से ज्यादा महत्त्व देने के कारण हानि हो सकती है। धन संबंधित योजनाए मन मे चलती रहेंगी वर्जित कार्यो से शीघ्र पैसा कमाने का प्रयास भी करेंगे परन्तु सफलता में संदेह रहेगा। आज महिला वर्ग अधिक चंचल रहेंगी।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपको किसी भी कार्य में मध्यान के बाद असुविधा नही होगी व्यावसायिक स्थल पर भी कार्य सरलता से चलने लगेंगे। पूर्व की गलतियों से मार्गदर्शन मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। उधार की वसूली कर सकेंगे। सरकारी अथवा पैतृक कार्यो को आज पूर्ण करने का प्रयास करे लाभदायक रहेगा। घर के बुजुर्गो से किसी बात पर मतभेद खड़ा होगा पर कुछ समय मे स्थिति सामान्य भी हो जाएगी। सामाजिक आयोजनों में भाग लेंगे। आपकी कार्य कुशलता की घर को छोड़ सर्वत्र प्रशंशा होगी। महिलाये स्वभाव से थोड़ी जिद्दी फिर भी गृहस्थ के लिए सहायक रहेंगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपको सामाजिक क्षेत्र से मान-सम्मान दिलाएगा परन्तु घरेलू माहौल किसी गलतफहमी के कारण खराब होगा फिर भी स्थिति आज हर प्रकार से आपके पकड़ में रहेगी। शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहेगा आज की दिनचर्या से लाभ पाने के लिए आलस्य से बचना अधिक आवश्यक है। व्यवसायी वर्ग भगीदारो से पुरानी खट-पट भुला कर नए सिरे से कार्य करने का प्रयास करेंगे इसमें सफल भी रहेंगे। सहकर्मी भी आपके व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे जिससे अपने कार्य निश्चित अवधि में पूर्ण कर सकेंगे। दोपहर के बाद किसी शुभसमाचार की प्राप्ति हर्षित करेगी। महिलाये शारीरिक कमजोरी महसूस करेंगी।
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रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त
आज 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसे में भद्रा काल का विशेष ध्यान रखना होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया 7 घंटे और 39 मिनट तक रहेगा। दरअसल इस वर्ष रक्षाबंधन पर सुबह से भद्रा का समय शुरू हो जाएगा जो दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस तरह से भद्राकाल की समाप्ति के बाद ही राखी बांधना शुभ होगा। हालांकि कुछ विद्वानों का कहना है कि जब भद्रा पाताल लोक में निवास करती है तो भद्रा का प्रभाव नहीं रहता है।
आज श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। आइए जानते हैं क्या राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
राखी बांधने का मुहूर्त : दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से लेकर रात्रि 09 बजकर 07 मिनट तक
अवधि: 7 घंटे 32 मिनट
रक्षाबंधन अपराह्न मुहूर्त: 13:42 से 16:19 मिनट तक
रक्षाबंधन प्रदोष मुहूर्त : 18:56 मिनट से 21:07 मिनट तक
रक्षाबंधन पर क्या रहेगा भद्राकाल का समय
भद्रा काल की शुरुआत 19 अगस्त सुबह 2 बजकर 21
मिनट पर
भद्रा काल का अंत 19 अगस्त दोपहर 01 बजकर 31 मिनट पर
भद्रा काल पूंछ- सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट पर
भद्रा काल मुख- सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12
बजकर 37 मिनट पर
🙏🏻 हर हर महादेव 🙏🏻
प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है। प्रदेशों के अनुसार यह बदलता रहता है। सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरम्भ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृ्त्य करते है। जिन जनों को भगवान श्री भोलेनाथ पर अटूट श्रद्धा विश्वास हो उन जनों को त्रयोदशी तिथि में पडने वाले प्रदोष व्रत का नियम पूर्वक पालन कर उपवास करना चाहिए। यह व्रत उपवासक को धर्म,मोक्ष से जोडने वाला और अर्थ काम के बंधनों से मुक्त करने वाला होता है. इस व्रत में भगवान शिव की पूजन किया जाता है। भगवान शिव कि जो आराधना करने वाले व्यक्तियों की गरीबी,मृ्त्यु,दु:ख और ऋणों से मुक्ति मिलती है।
प्रदोष व्रत की महत्ता
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शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दौ गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि एक दिन जब चारों और अधर्म की स्थिति होगी अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगी। तथा व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यो को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख शिव आराधना करेगा उस पर शिव कृ्पा होगी इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म- जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है। उसे उतम लोक की प्राप्ति होती है।
व्रत से मिलने वाले फल
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अलग- अलग वारों के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ प्राप्त होते है। जैसे-सोमवार के दिन त्रयोदशी पडने पर किया जाने वाला वर्त आरोग्य प्रदान करता है। सोमवार के दिन जब त्रयोदशी आने पर जब प्रदोष व्रत किया जाने पर उपवास से संबन्धित मनोइच्छा की पूर्ति होती है। जिस मास में मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो।उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थय लाभ प्राप्त होता है एवं बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो। उपवासक की सभी कामना की पूर्ति होने की संभावना बनती है। गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं के विनाश के लिये किया जाता है। शुक्रवार के दिन होने वाल प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिये किया जाता है। अंत में जिन जनों को संतान प्राप्ति की कामना हो, उन्हें शनिवार के दिन पडने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए। अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किये जाते है। तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृ्द्धि होती है।
व्रत विधि
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सुबह स्नान के बाद भगवान शिव,पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं। फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप नैवेद्य (भोग),फल,पान,सुपारी,लौंग और इलायची चढ़ाएं। फिर शाम के समय भी स्नान करके इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करें। फिर सभी चीजों को एक बार शिव को चढ़ाएं।और इसके बाद भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजन करें। बाद में भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। इसके बाद आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। जितनी बार आप जिस भी दिशा में दीपक रखेंगे दीपक रखते समय प्रणाम जरूर करें। अंत में शिव की आरती करें और साथ ही शिव स्त्रोत, मंत्र जाप करें। रात में जागरण करें।
प्रदोष व्रत समापन पर उद्धापन
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इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए। इसे उद्धापन के नाम से भी जाना जाता है।
उद्धापन करने की विधि
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इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए इसे उद्धापन के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का उद्धापन करने के लिये त्रयोदशी तिथि का चयन किया जाता है। उद्धापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है।पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है।प्रात: जल्द उठकर मंडप बनाकर,मंडप को वस्त्रों या पद्म पुष्पों से सजाकर तैयार किया जाता है. “ऊँ उमा सहित शिवाय नम:” मंत्र का एक माला अर्थात 108 बार जाप करते हुए, हवन किया जाता है। हवन में आहूति के लिये खीर का प्रयोग किया जाता है। हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है। और शान्ति पाठ किया जाता है।अंत: में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है। तथा अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है।
शनि प्रदोष व्रत कथा
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सूत जी बोले – “पुत्र कामना हेतु यदि हो विचार शुभ शुद्ध शनि प्रदोष व्रत परायण,करे सुभक्त विशुद्ध ॥”
व्रत कथा
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प्राचीन समय की बात है। एक नगर सेठ धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न था। वह अत्यन्त दयालु था उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था। वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा देता था। लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्नी स्वयं काफी दुखी थे दुःख का कारण था- उनके सन्तान का न होना। सन्तानहीनता के कारण दोनों घुले जा रहे थे। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्र पर जाने का निश्चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सोंप चल पडे अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े । दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए । पति-पत्नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे । सुबह से शाम और फिर रात हो गई, लेकिन साधु की समाधि नही टूटी । मगर सेठ पति-पत्नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे । अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे । सेठ पति-पत्नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले- ‘मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स। मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं। साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई।
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार। शिव शंकर जगगुरु नमस्कार ॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार । शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार ॥
हे उमाकान्त सुधि नमस्कार । उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार । विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥
तीर्थयात्रा के बाद दोनों वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे । कालान्तर में सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया । शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहां छाया अन्धकार लुप्त हो गया । दोनों आनन्दपूर्वक रहने लगे।”
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कथा एवं स्तोत्र पाठ के बाद महादेव जी की आरती करें
ताम्बूल, दक्षिणा, जल -आरती
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तांबुल का मतलब पान है। यह महत्वपूर्ण पूजन सामग्री है। फल के बाद तांबुल समर्पित किया जाता है। ताम्बूल के साथ में पुंगी फल (सुपारी) लौंग और इलायची भी डाली जाती है दक्षिणा अर्थात् द्रव्य समर्पित किया जाता है। भगवान भाव के भूखे हैं। अत: उन्हें द्रव्य से कोई लेना-देना नहीं है। द्रव्य के रूप में रुपए,स्वर्ण,चांदी कुछ भी अर्पित किया जा सकता है। आरती पूजा के अंत में धूप, दीप, कपूर से की जाती है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती में एक तीन,पांच,सात यानि विषम बत्तियों वाला दीपक प्रयोग किया जाता है।
भगवान शिव जी की आरती
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ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।
कर्पूर आरती
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कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥
मंगलम भगवान शंभू
मंगलम रिषीबध्वजा ।
मंगलम पार्वती नाथो
मंगलाय तनो हर ।।
मंत्र पुष्पांजलि
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मंत्र पुष्पांजली मंत्रों द्वारा हाथों में फूल लेकर भगवान को पुष्प समर्पित किए जाते हैं तथा प्रार्थना की जाती है। भाव यह है कि इन पुष्पों की सुगंध की तरह हमारा यश सब दूर फैले तथा हम प्रसन्नता पूर्वक जीवन बीताएं।
नाना सुगंध पुष्पांनी यथापादो भवानीच पुष्पांजलीर्मयादत्तो रुहाण परमेश्वर ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री सांबसदाशिवाय नमः। मंत्र पुष्पांजली समर्पयामि।।
प्रदक्षिणा
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नमस्कार, स्तुति -प्रदक्षिणा का अर्थ है परिक्रमा। आरती के उपरांत भगवन की परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा हमेशा क्लॉक वाइज (clock-wise) करनी चाहिए। स्तुति में क्षमा प्रार्थना करते हैं। क्षमा मांगने का आशय है कि हमसे कुछ भूल गलती हो गई हो तो आप हमारे अपराध को क्षमा करें। यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ:
जाने अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए।
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