• खाते में पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद प्रीमियम का चैक किया बाउंस शाखा प्रबंधक को देना होगा हर्जाना।
• आयोग ने लगाया एक लाख रुपए का जुर्माना शाखा प्रबंधक को अपने वेतन से देना होगा हर्जाना अथवा अपनी पेंशन से
चंदौसी/सम्भल, गुन्नौर तहसील के ग्राम बोना नगला निवासी अश्वनी कुमार ने अपने एक वाहन ट्रक का बीमा रिन्युवल कराने के लिए भारतीय स्टेट बैंक शाखा जुनावाई में स्थित अपने बचत खाता से 61430 रू का प्रीमियम का चैक बीमा कंपनी को दिया था।
बीमा कंपनी ने चैक लेकर परिवादी के वाहन की इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्युवल कर जारी कर दी तथा चैक को भारतीय स्टेट बैंक में भुगतान हेतु प्रस्तुत किया गया वादी के खाते में पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद शाखा प्रबंधक द्वारा चैक को इन सफिशिएंट बैलेंस लिखकर बाउंस कर दिया गया जिस कारण बीमा कंपनी को प्रश्नगत पॉलिसी के भुगतान का प्रीमियम प्राप्त नहीं हुआ और इसी दौरान वादी का वाहन ट्रक से एक दुर्घटना हो गई और दुर्घटना में एक की मृत्यु हो गई उक्त के संबंध में मृतक व्यक्ति की तरफ से मोटर दुर्घटना वाहन अधिनियम के अंतर्गत न्यायालय मोटर वाहन दुर्घटना अधिकरण जनपद संभल में एक परिवाद योजित किया गया और मुआवजा की मांग की गई जहां वादी द्वारा बताया गया की प्रश्नगत वाहन का बीमा है यदि उसे पर कोई मुआवजा बनता है तो उसके लिए बीमा कंपनी उत्तरदायि है तो बीमा कंपनी ने आकर बताया कि बीमा पॉलिसी पर दावा नहीं बनता है क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रीमियम देने से इनकार कर दिया गया था ऐसी स्थिति में वाहन स्वामी ही उत्तर दुर्घटना में हुई आर्थिक क्षति के लिए जिम्मेदार है और 44 लाख 75680 रुपए का भुगतान दुर्घटना में घटित व्यक्ति के परिजनों को करें उक्तवाद के बाद वादी उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय से मिला और उन्हें अपनी सारी स्थिति से अवगत कराया तो उनके द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग में एक परिवाद भारतीय स्टेट बैंक के विरुद्ध दाखिल किया गया और आयोग के समक्ष अपनी बात रखते हुए लव मोहन वार्ष्णेय एडवोकेट ने बताया की वादी के प्रश्न खाते में चैक जारी करने के दिनांक के बाद हमेशा पर्याप्त धनराशि थी और पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद शाखा प्रबंधक द्वारा पर्याप्त धनराशि न होने का कारण दिखाकर चैक के प्रीमियम धनराशि देने से इनकार किया गया है इसलिए बैंक उक्त आधार पर दुर्घटना में हुई क्षति के लिए जिम्मेदार है आयोग ने स्टेट बैंक के लिए नोटिस जारी किया परंतु स्टेट बैंक की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं आया तो आयोग ने वादी के अधिवक्ता की बहस सुनकर अपना आदेश दिया और कहा कि इंश्योरेंस कंपनी ने समय रहते वादी को सूचना दी थी और बताया कि चैक का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी को बैंक द्वारा नहीं किया गया है परंतु बैंक के प्रबंधक द्वारा पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद चैक को अनादरित करना बैंक की सेवा में घोर कमी व लापरवाही है आयोग ने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय की बात सुनी और आदेश दिया कि वाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है विपक्षी भारतीय स्टेट बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह शाखा प्रबंधक जुनावई संभाल के तत्कालीन कार्यरत शाखा प्रबंधक के वेतन और यदि वह सेवानिवृत हो गए हो तो उनकी पेंशन से मुबलिग एक लाख की कटौती कर के परिवादी को अंदर 2 माह बतौर क्षतिपूर्ति दिलायी जाए इसके अलावा तत्कालीन शाखा प्रबंधक परवादी को ₹10000 वाद व्यय की मद में भी अदा करेंगे नियत अवधि में धनराशि अदा न किए जाने की दशा में 9% वार्षिक ब्याज की दर से दे होगा।