न्यूज रिपोर्टर मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
व्यक्ति अपने कर्म योग से ही पहचान बनाता है। जानिए फिटनेस गुरू ओम कालवा के साथ।
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक फिटनेस गुरू ओम कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 58 वां अंक प्रकाशित करते हुए कर्म योग के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। कर्म-योग के संबंध में गीता कहती है कि यह चतुराई और विज्ञान के रूप में कार्य करना है; कार्य करना जानकर व्यक्ति महानतम परिणाम प्राप्त कर सकता है। मनुष्य विभिन्न उद्देश्यों से कार्य करता है। कुछ लोग प्रसिद्धि पाना चाहते हैं और वे प्रसिद्धि, धन, शक्ति आदि के लिए कार्य करते हैं।
कर्मयोग अर्थात कर्म में लीन होना। योगा कर्मो किशलयाम, योग: कर्मसु कौशलम्। धर्माचरण करके पापों का क्षय करना और अपने विकास की ओर बढ़ना; परन्तु “फल की आकांक्षा न रखते हुए कर्म करना” ही कर्मयोग है।
कर्म योग
-आसक्ति रहित कर्म का मार्ग
वेदांत उन लोगों के लिए कर्म योग का सुझाव देता है जो व्यस्त, बाहर जाने वाले या समुदाय-आधारित स्वभाव के हैं। कर्म योग क्रिया का मार्ग है। यह वह इरादा है जिसे हम अपने कार्यों में बुनते हैं,जो अधिक कार्यों और हमारे मन की चल रही स्थिति को बनाए रखता है (जिसे कर्म भी कहते हैं)।
कर्म दो प्रकार के होते हैं
-सकाम और निष्काम। सकाम कर्म बन्धन के जनक हैं, निष्काम कर्म बन्धन के उच्छेदक हैं। हम किसी कामना या इच्छा से प्रेरित होकर ही शारीरिक या मानसिक कर्म करते हैं, यही सकाम कर्म कहा जाता है। उदाहरणार्थ, स्त्री, पुत्र, धन आदि सभी के लिये किये गये कर्म सकाम हैं।
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।