अंकुर कुमार पाण्डेय ब्यूरो चीफ
सत्यार्थ न्यूज वाराणसी
वाराणसी। शर्मनाक मोक्षदायिनी मां गंगा जिनके लिए हजारों करोड़ों की परियोजना चलाने के बाद भी गंगा में गिर रहा दूषित जल, जहां तुलसी ने की मानस की रचना, वहां गंगा की इतनी दुर्दशा
वाराणसी। पृथ्वी पर जीव जंतुओं को मुक्ति प्रदान करने वाली मां गंगा आज खुद ही प्रदूषण से कराह रही है। मां गंगा में बढ़ते प्रदूषण को देखकर ही प्रसिद्ध साहित्यकार एवं गीतकार भारत रत्न भूपेन हजारिका को लिखना पड़ा मां गंगा तुम बहती हो क्यों? श्रावण मास में जिस गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक होता है, आज इस गंगाजल में लाखों लीटर दूषित जल बिना शोधन के प्रवाहित हो रहा है
आज की कड़वी सच्चाई यही है कि हम बात गंगा को साफ एवं निर्मल करने की करते हैं, लेकिन आज गंगा पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है। आज उनका जल आचमन करने लायक भी नहीं रह गया है नहाना तो दूर की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा की स्थिति दयनीय हो गई है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि नगर का पूरा सीवर सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया है और सीवर जाम होने के कारण सीवर का मल सीधे गंगा में प्रवाहित हो रहा है। स्थानीय जनता के अनुसार सावन महीने को आने में अब गिनती के ही दिन रह गए लेकिन नगर निगम साफ सफाई के नाम पर सिर्फ कागज पर ही मुस्तैद दिखाई दे रहा है। नगर निगम का पूरा सिस्टम फेल हो गया है। कहने को तो काशी में गंगा सफाई के नाम पर तमाम योजनाएं चल रही हैं, लेकिन वह सिर्फ और सिर्फ अखबार और मीडिया में छपने के लिए ही काम कर रही है। हालात यह है कि तुलसी घाट से सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में प्रवाहित हो रहा है। इसी तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस लिखा था। आज उस तुलसी घाट पर सीवर के बहुत से गंदा पानी के कारण बैठने योग्य भी नहीं है। समाजसेवी रामयश मिश्र ने बताया कि संबंधित विभाग को सूचना दी गई थी। उनके कर्मचारी आए और खाना पूर्ति करके चले गए। बता रहे थे कि कल मशीन लगेगी तो उसी से सफाई होगी। यही हाल पूरे बनारस का है चाहे तुलसी घाट हो, या शहर का अन्य कोई क्षेत्र हर जगह स्थिति यही है। सीवर सिस्टम जाम होने के कारण दूषित पानी गंगा जी में जा रहा है। रामयश मिश्र ने कहा की गंगा में गिर रहे गंदे पानी को देखकर काशी में आने वाले हजारों सैलानियों एवं प्रतिदिन स्नान करने वाले स्नानार्थियों को काफी कष्ट हो रहा है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ नगर निगम, जल संस्थान के लोगों को शायद ये दिखाई नहीं दे रहा है। वह तो अपने कागज पर मां गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बताकर सम्मान ग्रहण कर रहे हैं।