सत्यार्थ न्यूज़
मनोज कुमार माली सुसनेर
बिना डिग्री के झोलाछाप डॉक्टर नही कर सकेंगे मरीजो का इलाज, नाम के साथ नही लगा सकते डॉ शब्द
शासन के लोक स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने दिए झोलाछाप डॉक्टरों पर नियंत्रण के आदेश
सुसनेर। बिना डिग्री के इलाज करने वाले झोला डॉक्टर अब लोगो के स्वावस्थ के साथ खिलवाड़ नही कर सकेंगे। क्योकि प्रदेश सरकार ने झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसने का काम शुरु कर दिया है। साथ ही डॉ अभिधान का उपयोग भी वही व्यक्ति कर सकेगा जो मान्यता प्राप्त चिकित्सीय अर्हता धारित हो या किसी बोर्ड अथवा परिषद में चिकित्सा व्यवसायी के रूप में रजिस्ट्रीकृत हो। इस सम्बंध में हाल ही में मध्यप्रदेश शासन के लोक स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के नए आदेश जारी किए है। अब सवाल यह उठता है कि विभाग के इस आदेश के बाद क्या जिले का स्वास्थ्य विभाग नगर सहित आसपास के गाँवो में उपचार कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कारवाई की हिम्मत जुटा पाएगा। मध्यप्रदेश शासन के लोक स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त तरूण कुमार पिथो द्वारा प्रदेश के समस्त कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारीयो को 15 जुलाई को जारी किए गए आदेश में अपात्र व्यक्तियों अथवा झोलाछाप चिकित्सको द्वारा अनैतिक चिकित्सीय व्यवसाय को नियंत्रित करने हेतु ऐसे अमानक क्लीनिक व चिकित्सीय संस्थानों को तत्काल प्रतिबंधित करने, जनसमुदाय में ऐसे अपात्र व्यक्तियों से उपचार प्राप्त करने पर सम्भावित दुष्परिणामों के सम्बंध में जनजागरूकता लाने के निर्देश दिए गए है। आदेश में उल्लेखित किया गया है कि ऐसे अपात्र व्यक्तियों द्वारा फर्जी चिकित्सीय डिग्री, सर्टिफिकेट का उपयोग कर झोलाछाप चिकित्सको के रुप में अमानक चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग से रोगियों का उपचार किया जा रहा है। ऐसे अधिकांश अपात्रों द्वारा एलोपैथी पद्धति की औषधियों का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में बगैर चिकित्सीय ज्ञान के अनुचित उपचार रोगियों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे कई प्रकरण उजागर भी हुए है जिनमे झोलाछाप चिकित्सको द्वारा गलत औषधियों के उपयोग करने से रोगियों की मृत्यु भी हुई है। आदेश में उल्लेखित है कि मानव अधिकार आयोग द्वारा भी समय समय पर झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कारवाई के निर्देश दिए गए है। उक्त आदेश के बाद क्या स्वास्थ्य विभाग क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में इलाज कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कारवाई की हिम्मत जुटा पाएगा या क्षेत्रवासी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज का शिकार होते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह झोलाछाप डॉक्टर अपना व्यवसाय फैला कर बैठे है। इस तरह उपचार कर रहे झोलाछाप डॉक्टरो में अधिकांश डॉक्टर बिना किसी सक्षम लायसेंस के दवाइयां भी अपने क्लीनिकों से बेच रहे है तो कई डॉक्टर गॉव गाँव जाकर दवाइयां बेचने के साथ इलाज कर रहे है। जो कि गैर कानूनी श्रेणी में आता है।
आदेश से जिला अधिकारीयो पर आया कारवाई का धर्मसंकट
झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए लोक स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश से स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयो पर कारवाई का धर्म संकट आ गया है। क्योंकि क्षेत्र में अधिकांश झोलाछाप डॉक्टर जिला अधिकारी की शह पर पनप रहे है। सूत्रों के अनुसार झोलाछाप डॉक्टरों पर कारवाई न हो इसके लिए नगर के एक निजी चिकित्सक द्वारा सभी झोलाछाप डॉक्टरों से राशि एकत्रित कर स्वास्थ्य विभाग के जिला अधिकारी को मोटी रकम पहुँचाई जाती है। जिसका एक उदाहरण हाल ही में सुसनेर सीबीएमओ डॉ राजीव बरसेना द्वारा झोलाछाप डॉक्टरो के क्लिनिकों का निरीक्षण करने पर सीएचएमओ डॉ राजेश गुप्ता द्वारा कारवाई को गलत ठहराते हुए नोटिस जारी कर समाचार पत्रों में जानकारी दी थी। अब ऐसे में सवाल उठता है कि झोलाछाप डॉक्टरों से रकम लेने वाले अधिकारी इन पर कारवाई करके शासन के आदेश का पालन कर पाते है या कारवाई को टाल देंगे।
झोलाछाप के इलाज से ग्रामीण की मौत पर मचा था बवाल
बीते अप्रेल माह में एक युवक ने अपनी बीमारी का इलाज नगर के एक झोलाछाप डॉक्टर से करवाया था जिसके इंजेक्शन से उसकी तबियत बिगड़ गई थी। जिसे सुसनेर ओर आगर के अस्पताल में भी नही झेला गया और आखरी में उज्जैन के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। युवक के परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर पर आरोप लगाए थे जिसका समाचार भी अखबारों में प्रकाशित हुआ था। बाद में झोलाछाप डॉक्टर की रसूख के चलते मामला गोलमोल कर दबा दिया गया। झोलाछाप डॉक्टरों के जिला संगठन द्वारा पत्रकार के खिलाफ़ एसडीएम, तहसीलदार व थाना प्रभारी को ज्ञापन देकर अपना बचाव किया गया था। उसके बाद अभी तक किसी झोलाछाप डॉक्टर पर कोई प्रभावी कारवाई अधिकारियों द्वारा नही की गई है। जबकि पहले भी झोलाछाप डॉक्टरो के इलाज से कई जान जा चुकी है।