न्यूज रिपोर्टर मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
गौ माता के पंचगव्य से मिलती है जीवनोपयोगी ताकत जानिए योग एक्सपर्ट ओम प्रकाश कालवा के साथ।
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योग एक्सपर्ट ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 54 वां अंक प्रकाशित करते हुए गौ माता के पंचगव्य से मिलती है जीवनोपयोगी ताकत के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया।
1.गाय क्या है ?
-ब्रह्मांड के संचालक सूर्य नारायण की सीधी प्रतिनिधि है इसका पृथ्वी पर प्रकृति का संतुलन तथा विभिन्न योनियों का पालन पोषण होता रहे (ऋग्वेद के 28 वें अध्याय में)
2.गौ माता एवं विदेशी गाय में अंतर क्या है?
-गौमाता की पीठ ऊपर की ओर उठी हुई होती है। कुबड़ थु (सूर्य केतु नाड़ी) विदेशी गाय में नहीं। गले के नीचे की त्वचा झूलती हुई गौमाता विदेशी गाय ने नहीं सिंगों का आकार बड़ा गौ माता में और विदेशी गाय में नहीं होते या बहुत छोटे सिंग होते हैं गौ माता की त्वचा ढीली, फैली हुई, अति संवेदनशील विदेशी गाय में त्वचा संकुचित, कम संवेदनसील होती है।
3.पंचगव्य
गो मूत्र, गोबर, दूध, दही, घी।
(1)-गोमूत्र-कांच/मिट्टी के बर्तन में लेकर कपड़े के आठ तहों से छानकर (सूती कपड़ा) 1/4 कप भूखे पेट लेना चाहिए। 24 तत्व विभिन्न रोगों को ठीक करने में।जैसे मोटापा, कैंसर, मधुमेह, कब्ज, गैस, भूख की कमी, वात रोग, कफ, दमा, नेत्र रोग, स्वपनदोष, स्त्री रोग, बाल रोग।
(2)-गोबर (विषनाशक) विषधारी जीव के काटने पर गोबर गोमूत्र के घोल में डुबो देना चाहिए और नकसीर में सूंघना चाहिए।
(3)-दूध-संपूर्ण आहार + रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। 1 पौंड दूध = 4 अंडे + 250 ग्राम मांस (एक बराबर) Vita 2 = कैंसर नाशक विदेशी गाय में A-1 = जो कैंसर कारक होता है। दस्त हो जाने पर एक गिलास दूध नींबू का रस। चोट लगने पर एक गिलास दूध हल्दी। TB (क्षय रोग ) = पर्याप्त गौ दूध ।
(4)-दही-गर्भिणी यदि चाँदी के बर्तन में दही जमा कर लेने पर संतान स्वस्थ, सुंदर, बुद्धिमान होगी।
(5)-घी-अनिद्रा घी गुनगुना करके दो-दो बूंदें नाक में डालें घी से 10 मिनट तक मालिश करें तलवों की। घाव – हेल्दी घी। भूख की कमी भोजन के पहले एक चम्मच घी, सेंधा नमक + नींबू का रस । पर्यावरण शास्त्र- वातावरण के कीटाणु नष्ट होते हैं। हवन करने से सात्विक तरंगों का संचार। गंदगी में गोमूत्र का छिड़काव करना चाहिए।
4.गाय के पदार्थ
-ग्व्यं पवित्रं च रसायन च पथ्यं च हृदयं बल बुद्धिम।आयुः प्रद रक्त विकारी हारि त्रिदोष हृदोग विषापहें स्यात।
5.नंदिनी नामक गाय
-राजा दिलिप (राम के पूर्वज)न केवलं पयाप्ता प्रसुतिम वे ही मन कम दुग्धम प्रसन्नमं
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।