सत्यार्थ न्यूज़
मनोज कुमार माली सुसनेर
अमृत दो योजना के अन्तगर्त पार्क विकसित के लिए मिले 20 लाख की राशि को पहुँचाया नुकसान
पार्क की आधी जमीन अतिक्रमणकर्ताओं के लिए छोड़ नगर परिषद ने आम रास्ते ओर निकाय की व्यवसायिक करोड़ो की जगह पर करवा दिया पार्क का निर्माण
पार्क के चारों ओर शासकीय दुकान निर्माण की जा सकती थी परंतु पार्क की जमीन पर आवेद कब्जा हो रहा है
सुसनेर। नगरीय निकायों में जलापूर्ति, सीवरेज, जलाशयों के शुद्धीकरण और पार्कों का सुंदरीकरण करने के लिए मध्यप्रदेश में अमृत-दो योजना के तहत 11 हजार 786 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति, सीवेज नेटवर्क, जलाशयों की सफाई और सुंदरीकरण के साथ हरितभूमि हेतु पार्क का निर्माण किया जाता है। इस योजनांतर्गत नगर परिषद सुसनेर को भी करीब 20 लाख की राशि पार्क निर्माण एवं विस्तार हेतु प्राप्त हुई है। इसके तहत उक्त पार्क के लिए नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों ने लोकसेवा केंद्र के पीछे तहसील रोड़ से लगी भूमि का चयन किया था। एवं वार्ड एवं नगरवासियों के समक्ष भी यहां पार्क निर्माण का आश्वासन दिया गया था। परन्तु अमृत 2.0 के इंजीनियर ने जनप्रतिनिधियों एवं नगर परिषद के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा बताए स्थान की जगह तहसील रोड़ पर बस स्टैंड के समीप जय स्तम्भ वाले पार्क जिस पर नगर परिषद द्वारा यहां 2 करोड़ से ज्यादा राशि पिछले 20 सालों में खर्च करने के बाद भी आज तक इस जमीन पर एक पौधा भी उक्त स्थान पर नही पनप पाया। उस स्थान को तय किया। और इतना ही नही इस स्थान पर जमीन कम होने पर निकाय की शॉपिंग काम्प्लेक्स बनने वाली व्यवसायिक भूमि जिस पर दुकानों का निर्माण होना था। साथ जिस पर सेवजैल एवं लोकसेवा केंद्र पर जाने वाला रास्ते एवं न्यायालय में ज्यादा पक्षकार आने पर पक्षकारों के वाहन खड़े करने की रोड़ से लगी भूमि पर इस योजनांतर्गत बनने वाले पार्क का चयन कर दिया। एवं लेव आउट देकर आनन फानन में निर्माण भी प्रारम्भ करवा दिया। जबकि इस पार्क की पीछे साइड वाली भूमि पर कुछ लोगो ने मेटि एवं पर्दे बांधकर अस्थायी अतिक्रमण भी किया हुआ है। उसे भी नही हटाकर नगर परिषद की दुकानें बनने की जगह एवं पार्क की जगह जिस पर अतिक्रमण किया हुआ है उसे हटाये बिना जितनी जगह बची उस पर आधा अधूरा निर्माण कर मिली राशि को पलीता लगा दिया है। जबकि इस स्थान पर 25 करोड़ से अधिक की पेयजल सप्लाई की पाइपलाइन थी उसी पर अमृत सरोवर के इंजीनियर ने नलजल योजना को संचालित करने वाली अर्बन कम्पनी के स्थानीय कर्मचारियों की मोखित स्वीकृति पर दीवार की नींव बनवा दी। जिससे ये पाइपलाइन दीवार में दब गई। वही निर्माण के कारण ये डेमेज भी हो गयी थी जिसके कारण नगरवासियों को 5 दिनो तक इस भीषण गर्मी में प्यासा रहना पड़ा। वही पार्क की जगह में किये गए अतिक्रमण के कारण पार्क की बाउंड्रीवाल भी पूरी नही बनने से इस निर्माण का कोई औचित्य नही रहा। अमृत दो के इंजीनियर की मनमानी के कारण इस पार्क की खाली जगह को छोड़कर निकाय की व्यावसायिक जगह जो तहसील रोड़ से जस्ट लगी हुई है वहां अगर निकाय दुकानों का निर्माण करती तो करोड़ो रुपयों की आय नगर परिषद को होती उसका नुकसान अलग से किया गया। वही कही कही जगह तो तहसील रोड़ से बिल्कुल सटाकर इस पार्क की बाउंड्री का निर्माण किया गया है जबकि पीछे पार्क की खाली पड़ी जमीन को काम मे ना लेकर सड़क किनारे से इस बाउंड्रीवाल का निर्माण होने से भविष्य में कभी शहर में मास्टर प्लान लागू हुआ या वाहनो की आवाजाही बढ़ती है तो मार्ग को छोड़ा भी नही किया जा सकेगा और पीछे पार्क की खाली जमीन पर अतिक्रमण कर्ता भी तक तक पक्का निर्माण निकाय की सहमति से कर लेंगे। जब 2 करोड़ से अधिक की राशि इतने लंबे समय से नगर परिषद यहां खर्च करने के बावजूद एक पेड़ पौधों पथरीली जमीन के इस जगह नही पनप सका तो यह पार्क भी यहां विकसित नही होगा। ये जानकारी नागरिको एवं जनप्रतिनिधियों ने पहले ही इंजीनियर को दे दी थी। सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु भावसार ने इस योजना के इंजीनियर के विरुद्ध उचित कार्यवाही कर खर्च की गई राशि की वसूली की मांग कलेक्टर राघवेंद्रसिंह से की है।
चित्र 1 : सुसनेर तहसील रोड़ के समीप आम रास्ते को बाधित कर दुकान निर्माण की जगह पर इस तरह पार्क की बाउंड्री बनाई जा रही है।
चित्र 2 : सुसनेर न्यायालय के समीप तहसील रोड़ के पार्क का बिना अतिक्रमण हटाये करवा दिया इंजीनियरिंग ने निर्माण प्रारम्भ।