मध्य प्रदेश के जिला आगर मालवा
रिपोर्टर मोहम्मद आलम खान
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4 डॉक्टरों के भरोसे सिविल अस्पताल ओवर टाइम ड्यूटी कर कर
फिर भी स्वास्थ्य व्यवस्थाए लाचार
सुसनेर। शासन स्वास्थ्य व्यवस्थाओ को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बेहतर सुविधाओं का ढिंढोरा भले ही पीट रहा हो, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही बया कर रही है। करोड़ो रूपये खर्च कर कई संसाधन व सुविधाएं तो उपलब्ध है लेकिन इन संसाधनों का उपयोग कर मरीजो को लाभ देने के लिए डॉक्टर न के बराबर है। ऐसे ही हालात जिले की सुसनेर विकास खंड में बने हुए है। शासन ने सुसनेर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को सिविल का दर्जा भले ही दे दिया हो, लेकिन सिविल अस्पताल सुसनेर आज भी डॉक्टरो की कमी से जूझ रहा है। डॉक्टर के आभाव में सारी सुविधाएं व संसाधन बेकार है। हालात ये है कि वर्तमान में सुसनेर सिविल अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नही है। विकास खंड के सवा सौ गॉव की डेढ़ लाख आबादी सिर्फ 6 डॉक्टरों के भरोसे है। वर्तमान में सुसनेर सिविल अस्पताल में मात्र 5 डॉक्टर तैनात है। जिसमे से एक सीबीएमओ है जो कार्यालयीन कार्यो में व्यस्त है। शेष 4 डॉक्टर में से 2 महिला एवं 2 पुरूष डॉक्टर है। जिनके ऊपर ही पूरे अस्पताल का भार है। सिविल अस्पताल में प्रतिदिन जिला अस्पताल के लगभग 300 से 350 मरीज ओपीडी में अपना उपचार कराने आते है। इनमें से 25 से 30 मरीज वार्ड में भर्ती रहते है। अस्पताल में एक्सीडेंट, मेडिकल, पोस्टमार्टम, इमरजेंसी, पुलिस करवाई, एमएलसी, सब कुछ इन 4 डॉक्टरों के जिम्मे है। डॉक्टरो की कमी के चलते महिला डॉक्टरों को नाईट ड्यूटी करना पड़ रही है। हालात यह है कि एक डॉक्टर को ओवर टाइम भी काम करना पड़ रहा हैं फिर भी व्यवस्था बनाने में परेशानी आ रही है। अगर ऐसे में एक डॉक्टर भी अवकाश पर चला जाता है तो अस्पताल की व्यवस्थाए पूरी तरह गड़बड़ा जाती है। लेकिन क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अधिकारियों का स्वास्थ सम्बन्धी जन समस्या की और कोई ध्यान नही है। मरीजो की सुने तो अस्पताल में समय पर डॉक्टर नही मिल पाते है एक समय मे एक डॉक्टर के होने से उपचार के लिए लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। इस दौरान अगर इमरजेंसी केस आ जाए तो घण्टो इंतज़ार भी करना पड़ता है।
पोस्टमार्टम के लिए डेथ बॉडी लेकर इंतज़ार करते रहे परिजन
तहसील के डोंगरगढ़ गाँव मे जनपद सदस्य देवीलाल पिता बालचंद गुर्जर के द्वारा घर में फांसी लगाकर आत्म हत्या करने के मामले में शनिवार को पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को दो घण्टे इंतजार करना पड़ा। डॉक्टरों की कमी और मरीजों की भीड़ के चलते पोस्टमार्टम के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नही हुआ। ऐसे में जनप्रतिनिधियों को हस्तक्षेप के बाद शव का पोस्टमार्टम हो सका। जिसके बाद परिजनों को शव उपलब्ध हुआ। डॉक्टरो की कमी से पोस्टमार्टम में देरी के कारण अस्पताल में पदस्थ 2 डॉक्टरो को नोटीस की मार झेलना पड़ी।
पत्रकारों के आंदोलन के बाद हुई थी व्यवस्था, फिर जस की तस
सुसनेर अस्पताल में डॉक्टर की समस्या शुरू से रही है। डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर कई बार आंदोलन भी हुए है। मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा डॉक्टरो की मांग को लेकर कई बार ज्ञापन, धरना प्रदर्शन, पुतला दहन सहित आंदोलन किए गए। जिसके बाद अस्पताल में वैकल्पिक तौर पर डॉक्टरो का अटैचमेंट भी किया गया लेकिन कुछ दिनों बाद ही स्थित जस की तस बन जाती है। जो कि आज भी ऐसी ही है। आज भी अस्पताल डॉक्टरो की कमी से जूझ रहा है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा रहा है। संसाधन होते हुए भी मरीजों को अन्य शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है। जिससे मरीजों को अर्थ व समय दोनों का नुकसान झेलना पड़ता है।
जल्द ही हो जाएगी डॉक्टर की पूर्ति
सुसनेर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है शासन स्तर से संविदा नियुक्ति की जा रही है। जैसे ही डॉक्टर की नियुक्ति होती है सुसनेर अस्पताल में डॉक्टर की पूर्ति कर दी जाएगी।
डॉ राजेश गुप्ता
सीएचएमओ आगर