कांकेर – प्राचीन अनोखी परंपराओं और रीति रिवाजों को संजोए रख देव जात्रा कर देवी देवताओं की कराई गई शादी*
सत्यार्थ न्यूज़ संवाददाता पुनीत मरकाम ✍️✍️
कांकेर। प्रकृति प्रेमी आदिवासी समाज अपनी अनूठी परंपरा और रीति-रिवाज के लिए जाना जाता है, प्रकृति पूजक आदिवासी समाज के लोगों में देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था सदियों से रही है, इसी के चलते समाज के लोग अपने पुरखों से चली आ रही है
प्राचीन संस्कृति और देव परंपरा के गढ़ आज भी उसी रूप में कर रहे हैं। अंतिम छोर पर बसे ग्राम सुरेली में कावड़े परिवार द्वारा 19 से 23 मई तक देव यात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए उनकी शादी की घोषणा की गई। जिसे मैडमिंग पेन करसाद कहा जाता है।
सुरेली में कावड़े परिवार द्वारा देव हीराकुंवारी के बेटे की शादी पेन करसाड़ हुई। इस आयोजन में लगभग 30 से अधिक गांवों के देवी देवता आंगा देव, डांग डोली छत्र गायता पुजारी सम्मिलित हुए। देवी देवताओं को विधिवत अमंत्रण भेजा गया था। जहां पर सभी देवी देवताओं को उनके पंसद के अनुसार पूजन सामग्री गायता पुजारी के द्वारा अर्प्ति की गई। बारी-बारी से सभी देवी देवताओं की सेवा अर्जी की जाएगी। इस वर्ष की घटनाओं के कारण गांव में मेला तीन दिनों तक जैसा बना रहा। 19 मई को देवी देवताओं का जात्रा स्थल ग्राम सुरेली में आगमन हुआ। जिसके बाद 20 मई को पेन करसाड़ मदमिंग विवाह की पूरी रस्म अदा की गई। 21 मई को टीकावन के बाद पेन सेवा हुई। 22 को पेन आगमन के साथ पेन की स्थापना हुई। पेन सिरहा प्रभुराम कावड़े ने बताया कि परंपरा से चली आ रही परंपरा को चलवाते हुए पेन करसाद मदमिंग का आयोजन किया गया है, उन्होंने बताया कि समाज में मनुष्य की तरह ही देवी देवताओं में भी विवाह ब्याह होता है। देवी देवताओं की शादी करने से कुल के लोगों और पूरे गांव को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, मनोहर सिंह ने बताया कि स्थानीय लोगों की देवी देवताओं में अपार आस्था है। कभी-कभी भी विपत्ति के समय देवी देवता उनकी मदद करते हैं, जिसे उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया है।