जैन धर्म के अनुसार योग एक्सपर्ट ओम कालवा के द्वारा जानें चैतन्य केंद्रों के बारे में विस्तृत जानकारी।-
न्यूज़ रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
श्री डूंगरगढ़। कस्बे की तुलसी सेवा संस्थान के महाप्रज्ञ प्रेक्षा ध्यान सभागार भवन में सेवाएं प्रदान कर रहे राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त प्रदेश के लोकप्रिय योगगुरू ओम प्रकाश कालवा ने जानकारी देते हुए बताया। जैन धर्म में शरीर के मुख्य तेरह प्रकार के चैतन्य केंद्रों के बारे में विशेष चर्चा करते हुए कहा गया है कि प्रेक्षा ध्यान एवं योग के माध्यम से उन तमाम केंद्रों को जागृत किया जा सकता है।
1. शक्ति केंद्र – मेरुदंड के निचले सिरे पर
2. स्वास्थ्य केंद्र- पेडू के मध्य भाग पर
3. तेजस केंद्र – नाभि के स्थान पर
4. आनंद केंद्र – हृदय के पास
5. विशुद्धि केंद्र – कंठ के मध्य भाग पर
6. ब्रह्म केन्द्र – जीभ के अग्र भाग पर
7. प्राण केंद्र – नाक के अग्र भाग पर
8. अप्रमाद केंद्र – दोनों कानों के आसपास भाग पर
9. चाक्षुष केंद्र – दोनों आंखों के भीतर
10. दर्शन केंद्र – दोनों भृकुटियों के मध्य भाग पर
11. ज्योति केंद्र – ललाट के मध्य भाग पर
12. शांति केंद्र – सिर के अग्र भाग पर
13. ज्ञान केंद्र – चोटी के स्थान पर
इन केंद्रों को जागृत करने के लिए योग साधक को अपनी दैनिक दिनचर्या में नियमित योग को शामिल करना होगा और अनुभवी योग प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास करते रहने से निश्चित ही शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता है।
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