रिपोर्टर:-अजय कुमार रजक
डुमरी,गिरिडीह
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि : देवेश कुमार
डुमरी:पृथ्वी दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए
शिक्षाविद देवेश कुमार ने कहा कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि अर्थात माता और जन्मभूमि को शास्त्रों में स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान दिया गया है।पृथ्वी हमारी जन्मभूमि है और भारतीय संस्कृति में इसे माता का दर्जा प्राप्त है। धरती माता को भारतीय संस्कृति के अनुरुप सम्मान देने और मातृ ऋण को चुकाने के लिए हम पूरे धरती-वासी 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाते हैं।पर्यावरणीय दृष्टिकोण से पृथ्वी को स्वस्थ रखने के संकल्प का दिन है,लोगों में जागरुकता फैलाने का दिन है पृथ्वी दिवस। 1970 में सेन फ्रांसिस्को में पहली बार युनेस्को ने 21 मार्च को शरद ऋतु की बेला में पृथ्वी दिवस मनाने का निर्णय लिया, जो बाद में प्रति वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाने लगा। 2025 में हम पृथ्वी दिवस की 55वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।पृथ्वी हमारी माता के समान है,यह हमें अपने सभी प्राकृतिक संसाधनों के साथ हमारा पालन-पोषण एक मां की भांति करती है।हमारा कर्तव्य है कि हम इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग कर पृथ्वी के अस्तित्व को सुनिश्चित करें और मानव जाति के अस्तित्व की निरंतरता को बनिऐ रखें।