जिला चीफ ब्यूरो संजीव शर्मा
गंजबासौदा
वेत्रवती घाट पर चारों वेदों और 18 पुराणों का राम कथा के साथ वाचन हुआ प्रारंभ।
गंजबासौदा वेत्रवती घाट स्थित नौलखी आश्रम पर विराट प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित हो रहे श्रीसीताराम महायज्ञ में प्रथम दिवस आचार्यों ने वैदिक मंत्रों के साथ देवताओं का आव्हान कर यजमानों को यज्ञ मंडप में प्रवेश कराया।
काशी,अयोध्या, वृंदावन से आए वेदपाठी विद्वान ब्राह्मणों द्वारा 18 पुराणों, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम,जगन्नाथ अष्टक के साथ यज्ञशाला के चारों द्वारों पर सामवेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद के पाठ प्रारंभ हो गए हैं। क्षेत्र में आध्यात्मि ऊर्जा,शांति,
संपन्नता और यज्ञ की सफलता के लिए इन पाठों का प्रतिदिन यज्ञ के दौरान वाचन किया जाएगा।
मालूम हो कि नौलखी आश्रम पर यज्ञशाला में यजमानों के द्वारा देवताओं का आवाहन किया गया। यज्ञ में वर्णित सभी यजमानों ने काशी और उड़ीसा से आए यज्ञ के आचार्य एवं प्रतिष्ठाचार्यों के साथ यज्ञ मंडप में प्रवेश किया। काशी से आए यज्ञ के प्रधान प्रतिष्ठाचार्य पंडित मथुरा प्रसाद सहित अन्य ब्राह्मणों ने पंचाग, वास्तु,गणपति पूजन,कलश स्थापना, नांदी श्राद्ध का पूजन कराया। यज्ञ के मुख्य यजमान राकेश मरखेड़कर ने सपत्नीक प्रधान पीठ सहित अन्य पीठों की पूजन संपन्न कराई। जबकि अन्य यजमानों के द्वारा अपनी अपनी वेदियों की पूजन की गई। कथा के प्रारंभ में मंच पर महंत राम मनोहर दास महाराज द्वारा अयोध्या से आए कथा व्यास रत्नेश प्रपन्नाचार्य महाराज सहित तीर्थ क्षेत्र से आए अन्य संतों,महामंडलेश्वरों का पुष्पहारों से स्वागत किया।
अयोध्या से कथा व्यास रत्नेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने वाल्मीकि रामायण के मार्मिक प्रसंगों के द्वारा प्रारंभ में बताया कि इस धरा पर रामायण ही सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ के साथ-साथ इतिहास भी है। रामायण का हर पात्र कर्तव्य पालन के सिद्धांत सीखता है रामायण का एक साधारण पक्षी भी धर्म का पालन करते हुए दिखाई देता है। हमारा सनातन धर्म उन वेदों की तरह है जो अनादि काल से आज भी भूमि पर केवल भारत भूमि का ही नहीं बल्कि विश्व कल्याण की भावना से सबको मार्गदर्शन दे रहे हैं। वेद दुर्लभ हैं लेकिन जब भगवान अवतार लेते हैं तो वेद ही नहीं बल्कि वह सब को सहज सुलभ प्राप्त हो जाते हैं जिस तरह कोल, भील, शबरी केवट, जटायु को प्राप्त हुए। वेदों का अवतार ही वाल्मीकि रामायण के रूप में हुआ है। अयोध्या से आए कथा व्यास रत्नेश प्रपन्नाचार्य महाराज सहित तीर्थ क्षेत्र से आए अन्य संतों,महामंडलेश्वर नारायणदास महाराज चित्रकूट, बद्रीका आश्रम धरणीधरदास महाराज, अयोध्या से आए काका गुरु माधव दास जी महाराज, अशोकदास महाराज,विष्णुदास महाराज, गोविंददास महाराज,कमलादास महाराज, रामप्यारे दास महाराज अध्योध्या,वृंदावन सुदामा कुटी के महंत,जगमोहन दास महाराज चित्रकूट एवं पंचमुखी हनुमान मंदिर गुना सिया रामदास महाराज का स्वागत किया।