संवाददाता पंकज कुमार शुक्ला
बहराइच अवैध वाहनों की चपेट मे नौनिहाल बच्चों की जान को खतरे में डाल रहे स्कूली वाहन
बहराइच में गोंडा मार्ग पर ऑटों में बिना सुर
बहराइच। जिले के स्कूलों में कई वाहन जुगाड़ व्यवस्था से संचालित होते हैं। जिसमें सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए बच्चों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। ई-रिक्शा पर भी क्षमता से अधिक बच्चों को ढोया जा रहा है। पड़ोसी जिला बाराबंकी में मंगलवार की शाम बच्चों से भरी बस अनियंत्रित होकर सड़क पर घिसटते हुई हादसे का शिकार हो गई थी। इस दौरान तीन बच्चों समेत चार की मौत हो गई थी। जिले में भी काफी संख्या में अनफिट व मानकों के विरुद्ध स्कूली वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की आशंका बनी हुई है.
नियमों व मानकों की अनदेखी करते हुए वाहन सड़क पर सरपट दौड़ रहे हैं और जिम्मेदार मूक दर्शक बन हादसे के होने का इंतजार कर रहे हैँ। किसी भी स्कूल के बाहर विभागीय अफसर वाहनों की जांच करते हुए नहीं दिख रहे। सुरक्षित यातायात के नियमों का पालन कराने के लिए भी जिम्मेदार सड़क पर मौजूद नहीं हैं।
435 स्कूली वाहन पंजीकृत
जिले के आरटीओ विभाग में लगभग 146 स्कूल बसों सहित 435 छोटे बड़े वाहन पंजीकृत हैं। जिनमें से 25 बसें पिछले सप्ताह अनफिट घोषित की गई थीं। वहीं 10,266 ई-रिक्शा और 2,731 ऑटो पंजीकृत हैं। इनके अलावा काफी संख्या में अनाधिकृत व खटारा वाहन भी बच्चों को स्कूल ले जाने व लाने में उपयोग किया जा रहा है।
बरत रहे लापरवाही
कई स्कूल वाहनों को घरेलू सिलेंडर से चलाया जा रहा है। अधिकतर वाहनों में सीट क्षमता से ज्यादा संख्या में बच्चों को बैठाया जाता है। वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के लिए मानकों का पालन नहीं हो पा रहा है। जिसकी तरफ न तो स्कूल प्रबंधन ध्यान दे रहे न ही परिवहन विभाग।
अभियान चलाकर की जाएगी कार्रवाई
नए स्कूली वाहनों की आठ साल की फिटनेस होती है। इसके बाद भी हर दो साल में अधिकारियों द्वारा वाहनों की फिटनेस जांची जाती है। आठ साल पुराने वाहनों की प्रत्येक वर्ष फिटनेस परखी जाती है। उसके बाद ही उसे सड़क पर चलने की इजाजत मिलती है। समय-समय पर टीमें बनाकर मानकों में खरे न उतरने वाले वाहनों पर कार्रवाई की जाती है। अभियान चलाकर फिर से कार्रवाई की जाएगी।
ओपी सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन