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किसी ने हमारी शांति बिगाड़ने की कोशिश की तो उसको भी छोड़ना नहीं: राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े

किसी ने हमारी शांति बिगाड़ने की कोशिश की तो उसको भी छोड़ना नहीं: राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े

– ब्रह्माकुमारीज़ ने समाज, धर्म और देश के लिए त्याग, तपस्या और समर्पण किया: राज्यपाल
– राज्यपाल बोले- विश्व में ब्रह्माकुमारीज़ जैसा महिलाओं का इतना बड़ा दूसरा संगठन नहीं मिलेगा, समाज में शांति, एकता और विश्वास को बढ़ावा देने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है
– राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन 2025 का किया उदघाटन

पलवल/आबूरोड-27 सितंबर
कृष्ण कुमार छाबड़ा

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मीडिया विंग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन 2025 का शनिवार को विधिवत आगाज़ हो गया। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया। इसमें देशभर से प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, रेडियाे और वेब मीडिया से जुड़े 1500 से अधिक पत्रकार, संपादक और संवाददाता भाग ले रहे हैं। चार दिन तक चलने वाले इस महासम्मेलन में शांति, एकता और विश्वास विषय पर करेंगे मंथन-चिंतन किया जाएगा।
शुभारंभ पर मुख्य अतिथि राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि मुझे यहां आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। समाज में शांति, एकता और विश्वास को बढ़ावा देने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहते हैं। मीडिया लोकतंत्र की जड़ों को सींचकर सदा हरा रखने का कार्य करता है। हमारे भारत के लोगों के रक्त में ही लोकतंत्र है। चन्द्रगुप्त के राज्य में पाटलिपुत्र में नगर पंचायत में 30 सदस्य चुनकर आते थे। मैंने इसके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू जी की किताब भारत एक खोज में पढ़ा। लोकतंत्र में जो चुनकर आते हैं, जाति के आधार पर नहीं, विचार और देशहित के आधार पर चुनाव लड़े तो लोकतंत्र और मजबूत होगा। मीडिया को इस पर फोकस करना चाहिए।

संस्कृति बचाने का कार्य कर रही है ब्रह्माकुमारीज़-
राज्यपाल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ एक आध्यात्मिक विश्वविद्यालय है। प्राचीन भारतीय संस्कृति ज्ञान का प्रचार-प्रसार करता रहा है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। संस्था नशामुक्ति, पर्यावरण जागरण, अंधविश्वास दूर करने का भी काम कर रही है। ब्रह्मा बाबा ने इसकी स्थापना की। उनका हीरे का व्यापार था। ब्रह्माकुमारीज़ गांव-गांव में जाते हैं। लोगों को शांति और तरक्की का रास्ता बताते हैं। विश्व में महिलाओं का इतना बड़ा संगठन नहीं है, जितना ब्रह्माकुमारीज़ का है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्कृति बचाने का कार्य कर रही है। ब्रह्माकुमारीज़ ने त्याग, तपस्या और समर्पण किया है। ये देश, धर्म, समाज के लिए समर्पण किया है।

सनातन धर्म ने किसी पर टिप्पणी नहीं की-
राज्यपाल बागड़े ने कहा कि भारत की संस्कृति विश्व की पहली संस्कृति है। हजार वर्षों से ज्यादा समय तक हमारी संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने की कोशिश की गई है। मैकाले ने हमारी संस्कृति को बिगाड़ने के लिए वर्ष 1835 में जो शिक्षा पद्धति लागू की थी। विश्व में जब कुल 6 विश्वविद्यालय थे, उस समय हमारे पास नालंदा और तक्षशिला जैसे दो विशाल विश्वविद्यालय थे। जजिया कर लगाया गया, धर्म परिवर्तन किया गया। लेकिन हमारी संस्कृति नष्ट नहीं हुई, बल्कि तेजी से बढ़ रही है। क्योंकि हमारे यहां योगी, महात्मा हुए। हमने किसी पर आक्रमण नहीं किया। हम सर्वधर्म को मानते हैं। सनातन धर्म ने किसी पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन हमारे बारे में टिप्पणी की जाती है।

हम किसी की शांति भंग नहीं करेंगे-
राज्यपाल ने कहा कि किसी ने हमारी शांति बिगाड़ने की कोशिश किया तो उसको भी छोड़ना नहीं, ये बात हमें ध्यान रखना होगा। हम किसी की शांति भंग नहीं करेंगे। पंडित नेहरू ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि मैक्समूलर जर्मन इतिहासकार था। उसने लिखा हमें आश्चर्य होता है कि भारत की दो किताबों में लोगों की श्रद्धा है। एक का नाम रामायण, दूसरे का नाम गीता है। 23 मार्च 1922 को महात्मा गांधी ने भाषण दिया कि हम भूखे मर रहे हैं। मैकाले ने कहा था- भारत में कोई भूखा नहीं, चोर नहीं, भिखारी नहीं है, लेकिन उन्होंने हमें कहां लाकर छोड़ा कि देश ने भुखमरी भी देखी। आज हम दुग्ध उत्पादन में विश्व मंे नम्बर एक हैं। गेहूं उत्पादन में दूसरे नम्बर पर हैं।

शांति हम सबका स्वधर्म है: राजयोगी मोहिनी दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा ने कहा कि मुझे जर्नलिस्ट ब्रह्माकुमारी चाहिए तो मैं पढ़ने के लिए गई। मीडिया का एक मतलब प्रमोशन होता है। बाबा की इच्छा थी सबको ये संदेश मिले। करीब 60-70 देशों में जाना हुआ। हमारा उद्देश्य प्रचार करना नहीं था, हम चाहते थे आपके मन को शांति मिले। हिंसा, स्वार्थ बढ़ रहा है। होनी तो ‘पीस’ चाहिए पर अब ‘पीसेस’ हो रहे हैं। हमारी भावना पत्रकारों को शांति, ज्ञान, सुख दें। मैं कई देशों में बड़े-बड़े पत्रकारों

से मिली। एक तो मुस्कुराना भूल गया था। ब्रह्माकुमारीज़ में हर कोई मुस्कुराता नज़र आता हैं। शांति हम सबका स्वधर्म है। शांति के सागर हमारे पिता हैं। हमें इसका अभ्यास करना है, ये हमारा स्वभाव बन जाएगा। शांति अपने मन से शुरू होती है। समाज, परिवार और विश्व में शांति हो।

भारत को देखने की आंखें आप ही हैं-
मप्र भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि पत्रकार सामाजिक, सांस्कृतिक चेतना के वाहक हैं। आप दैनिक इतिहास लिख रहे हैं। भारत को देखने की आंखें आप ही हैं। ये कोशिश है कि जनसंवाद से जुड़े लोग मिलें, विचार करें। हम डिजिटल समय में हैं, जहां रोज नया कंटेंट रचा जा रहा है। आज सामान्य व्यक्ति को भी अभिव्यक्ति का मंच मिला हुआ है। लेकिन ये लोगों तक मिली पहुंच बहुत बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है। नकारात्मक, फेक व ट्रोलिंग के दौर में आपका कंटेंट रचनात्मक होना चाहिए। सोशल मीडिाय से आप लाउड स्पीकर, कंटेंट क्रियेटर और कंटेंट रिफॉर्मर बन सकते हैं।

ब्रह्माकुमारीज़ के प्रयासों को पूरे विश्व में फैलाएं-
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. मानसिंह परमार ने कहा कि आज विश्व को शांति की जरूरत है, शांति से एकता होती है और विश्वास जन्म लेता है। हमारे वेदों, शास्त्रों में भी यही शिक्षा दी गई है। हम तो शांति के दूत हैं। पूरे विश्व को शांति का संदेश देने वाले लोग हैं। भारत के संविधान की प्रस्तावना को देखेंगे तो पाएंगे हमारे यहां शांति, एकता विश्वास को जगह दी गई है। शांति का दीपक भी मीडिया के माध्यम से जलता है। ब्रह्माकुमारीज़ के जितने भी मीडिया महासम्मेलन हुए हैं, उनमें पारित प्रस्ताव हुए हैं, अच्छी पत्रकारिता के लिए उससे अच्छी आचार संहिता हो ही नहीं सकती। हमें उसे सरकार को सौंपना चाहिए। हमें चाहिए कि समाज आगे बढ़े, देश विश्वगुरु बने, ब्रह्माकुमारीज़ के प्रयासों को पूरे विश्व में फैलाएं।
इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों से आये गणमान्य व्यक्ति और पूरे भारत वर्ष से आये पत्रकार मौजूद रहे।

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