जनपद पंचायत गौरेला में 15वें वित्त आयोग की राशि में बड़ा घोटाला,
51 लाख की स्वीकृति, लेकिन भुगतान में गड़बड़ी: जांच की मांग”
जनपद पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने की जांच और कार्रवाई की मांग
फर्जी भुगतान और ऑनलाइन रिपोर्टिंग में गड़बड़ी: अधिकारियों पर आरोप,
गौरेला जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार का मामला, प्रशासन पर सवाल,

सूरज यादव, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही| जनपद पंचायत गौरेला में 15वें वित्त आयोग की राशि के उपयोग को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। जनपद पंचायत अध्यक्ष शिवनाथ बघेल और उपाध्यक्ष गायत्री राठौर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
51 लाख की स्वीकृति, लेकिन भुगतान में गड़बड़ी:
वित्तीय वर्ष 2024-25 की सामान्य सभा बैठक में कुल 51 लाख रुपये के कार्य स्वीकृत किए गए थे। लेकिन आरोप है कि जिन कार्यों की वास्तविक प्रगति नहीं हुई, उन्हें भी ऑनलाइन पोर्टल पर पूर्ण या आंशिक रूप से दिखा दिया गया। इससे करोड़ों रुपये का फर्जी भुगतान प्रदर्शित हो गया।
अध्यक्ष बघेल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार,
11 जून 2024 से 11 सितम्बर 2024 तक ₹29,80,122, ₹19,86,744, ₹7,00,000 और ₹10,96,765 जैसी बड़ी राशि भुगतान में दर्शाई गई।जबकि हकीकत यह है कि अधिकांश कार्यों का क्रियान्वयन अभी शुरू भी नहीं हुआ है।
अधिकारियों-कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप:
जनपद पंचायत प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा है कि यह पूरा मामला DSC (डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट) के माध्यम से की गई फर्जी अपलोडिंग और भुगतान से जुड़ा है। आरोप है कि अधिकारी-कर्मचारी मिलकर ऑनलाइन रिपोर्ट में फर्जी एंट्री डालते रहे और जमीनी हकीकत को नज़रअंदाज किया गया। जांच की मांग, पर कार्यवाही अटकी पत्र में मांग की गई है कि इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। लेकिन अब तक मामले में कोई ठोस प्रशासनिक कदम नहीं उठाया गया है। कलेक्टर कार्यालय तक शिकायत पहुँचने के बावजूद फाइलें जांच में लंबित हैं।

इस देरी पर पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने सवाल खड़े किए हैं।
जब ऑनलाइन रिपोर्टिंग में गड़बड़ी साफ-साफ दिख रही है, तब भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही ?यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो पंचायत स्तर पर विकास कार्य पूरी तरह ठप हो जाएंगे और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
पंचायत राजनीति में गरमाया मुद्दा:
यह मामला अब जनपद पंचायत की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है। जनप्रतिनिधि लगातार दबाव बना रहे हैं कि दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर निलंबन और विभागीय कार्रवाई हो। वहीं, जिला प्रशासन की चुप्पी ने ग्रामीणों के बीच भी असंतोष बढ़ा दिया है।


















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