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गुरु गोविन्द दोउ खडे, काके लागू पाय……(शिक्षक दिवस पर विशेष)

गुरु गोविन्द दोउ खडे, काके लागू पाय (शिक्षक दिवस पर विशेष)

पलवल-04 सिंतबर
कृष्ण कुमार छाबड़ा

 

भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को शत् शत् नमन । जिन्होनें अपने जन्म दिवस को ‘शिक्षक दिवस’ रुप मे मनाने की शुरुआत की जो शिक्षक समाज के मान-सम्मान को बढ़ाता है। वैसे तो हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को ‘गुरु दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। विश्व के बहुत सारे कवियों, लेखको ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।
गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।
कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्त्व को वर्णित करने के लिए काफ़ी हैं। भारतमें प्राचीन समय से ही गुरु व शिष्य परंपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृत्तांत ग्रंथों में भी मिलता है। हालाकि हमारे जीवन में माँ बाप का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगो भरी खुबसूरत संसार में लाते हैं। उनका उपकार हम किसी भी रूप में  नहीं  चुका सकते, परन्तु  इस समाज के रहने के योग्य हमें केवल गुरू ही बनाते हैं। यद्यपि माँ को बच्चे के प्रारंभिक गुरु का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जीने का असली सलीका उसे माँ के साथ साथ शिक्षक से ही मिलता है। समाज निर्माण के शिल्पकार कहे जाने वाले अध्यापको का महत्त्व यहीं खत्म नहीं होता, परन्तु वह ना सिर्फ़ छात्रों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उनके सुनहरे भविष्य की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।
भारतवर्ष मे अध्यापकों  को मान-सम्मान आदर तथा धन्यवाद देने के लिए 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। ‘शिक्षक दिवस’ कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है , लेकिन क्या हम इसके असली महत्त्व को समझते हैं। क्या शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन अपने अध्यापक को भेंट में  एक फूल या ‍कोई भी उपहार देना है ??? क्या यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका है ??? यदि आपको  शिक्षक दिवस का सही अर्थ  जानना है तो सर्वप्रथम हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि आप एक विधार्थी  हैं और ‍उम्र और अनुभव में अपने अध्यापक के सामने कुछ भी नही है और फिर हमारे संस्कार भी तो हमे यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का सम्मान  करना चाहिए। अपने अध्यापकों  का आदर-सत्कार करना चाहिए। हमें  अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर  संयम के साथ अपने अध्यापको की बात सुने तो निश्‍चित ही हमारा व्यवहार हमें बहुत बुलन्दीयो तक ले जाएगा और तभी हमारा ‘शिक्षक दिवस’ मनाने का महत्त्व भी सार्थक होगा।
किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक अध्यापक  ही छात्र में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है इसलिए कहा गया है कि-
“गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।”
कई ऋषि-मुनियों ने अपने गुरुओं से तपस्या की शिक्षा को पाकर जीवन को सार्थक बनाया। एकलव्य ने द्रोणाचार्य जी की मूर्ति को मानस गूरू मान कर धनुर्विद्या सीखी। यह उदाहरण प्रत्येक शिष्य के लिए प्रेरणादायक है।
शिक्षक दिवस की कुछ अनोखी जानकारी :-
जँहा भारत में  ‘शिक्षक दिवस’ 5 सितंबर को मनाया जाता है, वहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ‘शिक्षक दिवस’ का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है।अनोखी बात यह है कि शिक्षक दिवस दुनिया भर के देशो में भी मनाया जाता है, परन्तु अलग अलग दिनो और महीनों में । कुछ देशों में शिक्षक दिवस पर छुटटी रहती है तो कहीं-कहीं पर यह दिन कामकाजी ही रहता है।यूनेस्को ने साल 1994 मे 5 अक्टूबर को ‘अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ घोषित किया था। तभी से स शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और  उनके  महत्व के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से शिक्षक दिवस मनाते आ रहे है। हमारे पडोसी देश  चीन में शिक्षक दिवस की शुरुआत 1931 में ‘नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी’ में की गई थी। जिसकी स्वीकृति बाद में चीन सरकार ने 1932 में  दी। परन्तु बाद में
महान दार्शनिक कन्फ़्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को 1939 शिक्षक दिवस घोषित किया गया, लेकिन बाद मे सरकार साल1951 में इस घोषणा को स्थगित कर दिया। लगभग 34 साल बाद 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया।रूस में अब साल 1994 से शिक्षक दिवस विश्व शिक्षक दिवस के दिन यानि 5 अक्टूबर को ही मनाया जाता है परन्तु साल 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के प्रथम रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाते थे। वही विश्व महाशक्ति अमेरिका में शिक्षक दिवस का आयोजन मई माह के पहले सप्ताह के मंगलवार को होता है और वहाँ सप्ताह भर इसके आयोजन होते हैं।थाइलैंड में 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाने की स्वीकृति दी गई थी। शिक्षक दिवस के दिन यहाँ स्कूलों में अवकाश रहता है। अरब देश ईरान में प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की 2 मई 1980 में उनकी हत्या के बाद उनकी याद में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। तुर्की में वहा के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने 24 नवंबर को शिक्षक दिवस के रुप मे घोषित किया । मलेशिया में शिक्षक दिवस 16 मई को ‘हरि गुरु’ के नाम से मनाया  जाता है।

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