कटनी पुलिस में तबादलों की लिस्ट गायब, दशकों से जमे हैं थानेदार और सिपाही
, नियमों की अनदेखी, बेनामी संपत्ति और असामाजिक तत्वों से सांठगांठ का खेल
सत्यार्थ न्यूज़ संवाददाता
कटनी,मध्य प्रदेश के कटनी जिले में पुलिस विभाग में तबादला नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बावजूद, जिले के कई थानों में 10-15 सालों से जमे थानेदार, हवलदार और सिपाहियों की सूची पुलिस मुख्यालय भोपाल नहीं भेजी गई। यह सूची उन कर्मियों की थी, जो पांच साल से अधिक समय से एक ही स्थान पर तैनात हैं। विशेष महानिदेशक, भोपाल ने 13 जून को दोबारा सर्कुलर जारी कर सभी जोनल, रेंज और एसपी कार्यालयों को ऐसी सूचियां तुरंत भेजने के निर्देश दिए हैं।
दशकों से डटे हैं पुलिसकर्मी
कटनी जिले में कई इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर (एसआई), सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई), हवलदार और आरक्षक 10 से 15 सालों से एक ही जगह पदस्थ हैं। एसपी कार्यालय में एक स्टेनो तो 11 साल से जमा है और प्रमोशन भी पा रहा है। कुछ पुलिसकर्मी तो स्थानीय भाजपा नेताओं के रिश्तेदार हैं। एक थानेदार, जो कथित तौर पर एक नेता की बहू हैं, 2015 से कटनी रेंज में ही तैनात हैं। उनके खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप भी दबा दिए गए। ऐसे कई पुलिसकर्मी हैं, जो पांच साल की अवधि कब की पूरी कर चुके, लेकिन प्रभावशाली नेताओं की कृपा से अपनी कुर्सी पर डटे हैं।
असामाजिक तत्वों से गठजोड़, बेनामी संपत्ति का धंधा
जिले में कई पुलिसकर्मियों की असामाजिक तत्वों और गुंडों से सांठगांठ की बात सामने आ रही है। ये पुलिसकर्मी न केवल गुंडों की सिफारिश अफसरों से कराते हैं, बल्कि उन्हें लग्जरी कार जैसे तोहफे भी दिलवाते हैं। इतना ही नहीं, 10-12 साल से पदस्थ हवलदार और सिपाही करोड़ों की जमीन-जायदाद के सौदे कर रहे हैं। सूदखोरी, फर्जी शिकायतों के जरिए भयादोहन और स्मैक-गांजा जैसे नशे का धंधा इन्हीं की छत्रछाया में फल-फूल रहा है।
विधायक की पुकार भी बेअसर
कटनी के विधायक संदीप जायसवाल कई जनसभाओं में स्मैक, गांजा और क्रिकेट सट्टे के धंधे को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन अवैध गतिविधियों ने सैकड़ों परिवारों को बर्बाद कर दिया है, लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। उनकी शिकायतें भी नजरअंदाज की जा रही हैं।पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल
विशेष महानिदेशक ने अपने सर्कुलर में साफ कहा है कि लंबे समय तक एक ही स्थान पर तैनात कर्मियों के कारण पुलिस कार्यप्रणाली की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। कटनी में यह स्थिति स्पष्ट दिखाई दे रही है, जहां तबादला नीति को लागू करने में जानबूझकर लापरवाही बरती जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या भोपाल से दोबारा जारी सर्कुलर का असर कटनी में दिखेगा, या प्रभावशाली नेताओं के दबाव में नियम फिर से ताक पर रखे जाएंगे?
प्रशासन से अपील
जिले की जनता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग है कि पुलिस विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए तबादला नीति को सख्ती से लागू किया जाए। साथ ही, असामाजिक तत्वों के साथ सांठगांठ और बेनामी संपत्ति के धंधे में लिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।