सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़- सवांददाता ब्यूरो चीफ
पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीव संवर्धन के क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक संस्था “आपणो गाँव श्रीडूंगरगढ़ सेवा समिति” ने श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में घटती गिद्धों की संख्या को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। संस्था ने वन विभाग, श्रीडूंगरगढ़ रेंज को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजते हुए श्रीडूंगरगढ़ से कालू रोड की ओर स्थित वन भूमि पर “गिद्ध संरक्षण क्षेत्र” घोषित करने और “गिद्ध रेस्टोरेंट” स्थापित करने की मांग की है। संस्था के शूरवीर मोदी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस क्षेत्र में प्रतिदिन गिद्धों की उपस्थिति देखी जाती है, परंतु मृत पशुओं पर भोजन करते समय आवारा शिकारी कुत्तों द्वारा गिद्धों पर हमला कर उन्हें घायल या भगाया जाता है। जिससे गिद्ध पलायन कर रहे हैं और इनकी संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है। आज इस संदर्भ में सहायक वन संरक्षक सतपाल सिंह ने स्वयं मौके पर पहुँचकर क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान सेवा समिति की ओर से शूरवीर जी मोदी सत्यनारायण टाक और मदन सोनी उपस्थित रहे। मौके पर गिद्धों की उपस्थिति सुरक्षा चुनौतियाँ और प्रस्तावित संरचना की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रस्ताव में वन विभाग से मांग की गई है कि एक क्षेत्रफल में तारबंदी, जल स्रोत,मृत पशु समन्वय व्यवस्था,गार्ड व्यवस्था और कुत्ता-प्रतिबंधन जैसी सुविधाएँ विकसित की जाएँ। संस्था ने गिद्धों को सुरक्षित, डाइक्लोफेनाक रहित भोजन उपलब्ध कराने और क्षेत्र को संरक्षणस्थल के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया है। गिद्ध पारिस्थितिक तंत्र के सफाईकर्मी हैं। ये मृत पशुओं को खाते हैं और संक्रमण फैलने से रोकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि गिद्ध पूरी तरह विलुप्त हो जाएँ, तो समाज को गंभीर जैविक खतरे का सामना करना पड़ सकता है। इस खतरे को देखते हुए सेवा समिति ने यह पहल की है। संस्था के सत्यनारायण टाक ने बताया की इस पहल को “जटायु संरक्षण स्थल” नाम देने का उद्देश्य गिद्धों के प्रति पौराणिक और सामाजिक सम्मान को व्यक्त करना है मदन सोनी ने बताया कि यदि यह पहल साकार होती है, तो यह न केवल श्रीडूंगरगढ़ बल्कि पूरे राजस्थान के लिए वन्यजीव संरक्षण का उदाहरण बन सकती है। संस्था ने वन विभाग से इस दिशा में त्वरित सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया है।