चिहरो नदी से रात में निकल रहा रेत ,प्रशासन का चुप्पी कही न कही सहमति नजर आ रही है
कांकेर/भानुप्रतापपुर
संवाददाता देवव्रत टांडिया

भानुप्रतापपुर। क्षेत्र में रेत माफियाओं की गतिविधियां इस कदर हावी हो चुकी हैं कि इन्हें रोकना असंभव सा प्रतीत होता जा रहा है। इन माफियाओं की बेलगाम हरकतों ने कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं है। स्थिति यह है कि जो भी अधिकारी इन्हें रोकने की कोशिश करता है, उसका तबादला तय माना जाता है। नतीजतन,प्रशासनिक अधिकारी चाहकर भी इन पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं। आम जनता त्रस्त है, बिना लीज खदानों से रात्रि में बड़ी संख्या में रेत निकाली जा रही हैं उसके बाद भी प्रशासन अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोई हुई है। चिहरो नदी से पिछले तीन महीनों से रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है अवैध उत्खनन के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार विरोध प्रदर्शन कर रेत से भरे हाईवा वाहनों को रोका गया है और प्रशासन को इसकी सूचना भी दिया जा रही हैं लेकिन राजस्व व खनिज विभाग कार्यवाही करने से पीछे हट रहे हैं, जिससे खनिज व राजस्व विभाग का संरक्षण साफ नज़र आ रहा है।

ग्रामीणों द्वारा लगातार शिकायत किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिसकी वजह से खनिज माफिया अल्प समय में अब अकूल संपत्ति इकट्ठा कर लिए हैं, शिकायत करने पर धमकी और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। चिहरो नदी से रोजाना सैकड़ों ट्राली रेत निकाल रहे हैं। खनिज विभाग के उदासीन रवैये के चलते खनिज माफिया सक्रिय हो रहे हैं। इससे राजस्व विभाग को लाखों का राजस्व हनी हो रहा है। इसकी जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को होने के बावजूद वे चुप्पी साधे हुए हैं। शिकायतें होने पर प्रशासन द्वारा गिने चुने कुछ लोगों को पकड़ा जाता है। वहीं नाममात्र के लिए कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन अवैध उत्खनन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। रेत माफिया खुलेआम नियमों की अवहेलना करते हुए बिना रॉयल्टी के ओवरलोड डंपर और हाइवा को तेज रफ्तार में दौड़ा रहे हैं। इन भारी वाहनों की वजह से दमकसा से दुर्गुकोंदल की सड़कें बदहाल हो चुकी हैं।

ओवरलोडिंग के कारण सड़कों की हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि यात्रियों और स्थानीय निवासियों का आवागमन मुश्किल हो गया है। सड़कों पर फैली हुई धूल और रेत के कारण आम जनता को रोजाना प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यातायात सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गई है।बिना रॉयल्टी और प्रशासनिक अनुमति के इन ओवरलोड डंपरों के चलने से शासन को करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है। रेत माफिया अपने फायदे के लिए इस काले धंधे को बेधड़क अंजाम दे रहे हैं, और इसका सीधा असर सरकारी राजस्व पर पड़ रहा है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो जिले में विकास कार्यों के लिए आवश्यक फंड की कमी हो सकती है। यह सवाल उठता है कि क्या शासन-प्रशासन इस राजस्व हानि को गंभीरता से लेगा और माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करेगा? कुछ दिनों पूर्व दुर्गुकोंदल ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व कार्यकर्ता दुर्गुकोंदल ब्लॉक में चल रहे अवैध रेत खदान के संबंध में एसडीएम कार्यालय पहुंच कर एसडीएम गंगाधर वाहिले को ज्ञापन सौपे थे और अवैध रेत खदान बंद करने की मांग किये थे एक सप्ताह में बंद नहीं होने के स्थिति में एसडीएम कार्यालय का घेराव करने की बात कही गई थी लेकिन कांग्रेसी कार्यकर्ता भी ठंडे बस्ते में चले गए हैं। जिले में रेत माफियाओं की इस दबंगई और नियमों की अवहेलना के बावजूद प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर क्यों इन माफियाओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है? आम जनता प्रशासन से उम्मीद कर रही है कि वह जल्द से जल्द इन माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करे और दुर्गुकोंदल क्षेत्र में स्थित रेत की अवैध खदानों और ओवरलोड वाहनों पर प्रतिबंध लगाए। जब तक शासन-प्रशासन जागेगा नहीं, तब तक जनता को रेत माफियाओं की इस मनमानी और आतंक का सामना करना पड़ेगा।


















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