बाबा साहब की 134 वीं जयंती के उपलक्ष्य में जनपद पंचायत लहार में सव्याख्यानमाला का आयोजन सम्पन्न
पत्रकार मंगल सिंह कुशवाह मिहोना जिला भिण्ड
जनपद पंचायत सभागार में डॉ भीमराव अंबेडकर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोज शास्त्री मुख्य अतिथि जबर सिंह कुशवाहा, विशिष्ट अतिथि के रूप में मान बाबू शर्मा, बृजपाल सिंह कुशवाहा उपस्थित रहे जन अभियान परिषद लहार द्वारा आज डाॅ भीमराव अंबेडकर की जयंती व्याख्यान माला आयोजन किया गया सर्वप्रथम अंबेडकर जी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत किया गया अपने संबोधन में जिसमें मनोज शास्त्री ने कहा कि अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेक प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया। उनके बचपन का नाम भीवा था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था,जो कि उनके आंबडवे गाँव से संबंधित था। क्योंकी कोकण प्रांत के लोग अपना उपनाम गाँव के नाम से रखते थे अतः आम्बेडकर के आंबडवे गाँव से आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया। बाद में एक देवरुखे ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव आम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे ने उनके नाम से शआंबडवेकर हटाकर अपना सरल आम्बेडकर उपनाम जोड़ दिया, इसके बाद जिला समन्वयक डॉ. शिवप्रसाद सिंह भदौरिया जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आम्बेडकर 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए जहां उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय बड़ौदा के गायकवाड़ द्वारा स्थापित एक योजना के अंतर्गत न्यूयॉर्क नगर स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए तीन वर्ष के लिए 11,5 डॉलर प्रति माह बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। वहां पहुँचने के तुरन्त बाद वे लिविंगस्टन हॉल में पारसी मित्र नवल भातेना के साथ बस गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी कला स्नातकोत्तर ;एम॰ए॰द्ध परीक्षा पास की जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय और समाजशास्त्रए इतिहास दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर शोध कार्य प्रस्तुत किया। आम्बेडकर जॉन डेवी और लोकतंत्र पर उनके काम से प्रभावित थे। अंत में सुनील कुमार चतुर्वेदी ब्लाॅक समन्वयक संचालन ने किया सभी का आभार व्यक्त रणबीर सिंह कौरव द्वारा किया नवांकुर संस्था प्रतिनिधि परामर्शदाता प्रस्फुटन समिति सदस्य उपस्थित अजमेर सिंह कौरव धर्मेंद्र सिंह जादौन विष्णु चतुर्वेदी दिनेश शर्मा सुनील कुमार गुप्ता मंजू गुप्ता सपना शर्मा जनपद पंचायत के रामशरण तिवारी अकाउंटेंट छात्रों में नैंसी अग्रवाल आरती शुक्ला निशा अग्रवाल राखी गुप्ता सृष्टि अग्रवाल श्रुति रौनक खुशी सेन ऋषि सेन अतुल कुमार मनमोहन राय सुमित सिंह नितिन से भारी पंकज दुबे रुचि शर्मा शुभी शर्मा दिनेश कुमार शर्मा शीलू राजावत मिताली गुप्ता प्राची गुप्ता राधेश्याम विकास सिंह जगराम सिंह लहार/जनपद पंचायत सभागार में डॉ भीमराव अंबेडकर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोज शास्त्री मुख्य अतिथि जबर सिंह कुशवाहा, विशिष्ट अतिथि के रूप में मान बाबू शर्मा, बृजपाल सिंह कुशवाहा उपस्थित रहे जन अभियान परिषद लहार द्वारा आज डाॅ भीमराव अंबेडकर की जयंती व्याख्यान माला आयोजन किया गया सर्वप्रथम अंबेडकर जी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत किया गया अपने संबोधन में जिसमें मनोज शास्त्री ने कहा कि अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेक प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया। उनके बचपन का नाम भीवा था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था,जो कि उनके आंबडवे गाँव से संबंधित था। क्योंकी कोकण प्रांत के लोग अपना उपनाम गाँव के नाम से रखते थे अतः आम्बेडकर के आंबडवे गाँव से आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया। बाद में एक देवरुखे ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव आम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे ने उनके नाम से शआंबडवेकर हटाकर अपना सरल आम्बेडकर उपनाम जोड़ दिया, इसके बाद जिला समन्वयक डॉ. शिवप्रसाद सिंह भदौरिया जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आम्बेडकर 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए जहां उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय बड़ौदा के गायकवाड़ द्वारा स्थापित एक योजना के अंतर्गत न्यूयॉर्क नगर स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए तीन वर्ष के लिए 11,5 डॉलर प्रति माह बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। वहां पहुँचने के तुरन्त बाद वे लिविंगस्टन हॉल में पारसी मित्र नवल भातेना के साथ बस गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी कला स्नातकोत्तर ;एम॰ए॰द्ध परीक्षा पास की जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय और समाजशास्त्रए इतिहास दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर शोध कार्य प्रस्तुत किया। आम्बेडकर जॉन डेवी और लोकतंत्र पर उनके काम से प्रभावित थे। अंत में सुनील कुमार चतुर्वेदी ब्लाॅक समन्वयक संचालन ने किया सभी का आभार व्यक्त रणबीर सिंह कौरव द्वारा किया नवांकुर संस्था प्रतिनिधि परामर्शदाता प्रस्फुटन समिति सदस्य उपस्थित अजमेर सिंह कौरव धर्मेंद्र सिंह जादौन विष्णु चतुर्वेदी दिनेश शर्मा सुनील कुमार गुप्ता मंजू गुप्ता सपना शर्मा जनपद पंचायत के रामशरण तिवारी अकाउंटेंट छात्रों में नैंसी अग्रवाल आरती शुक्ला निशा अग्रवाल राखी गुप्ता सृष्टि अग्रवाल श्रुति रौनक खुशी सेन ऋषि सेन अतुल कुमार मनमोहन राय सुमित सिंह नितिन से भारी पंकज दुबे रुचि शर्मा शुभी शर्मा दिनेश कुमार शर्मा शीलू राजावत मिताली गुप्ता प्राची गुप्ता राधेश्याम विकास सिंह जगराम सिंह