० अगर आपके होंठ फट रहे हैं या पीरियड का दिक्कत है तो नाभि में डालें सरसो तेल ०
क्या आप जानते हैं नाभि में सरसो तेल लगाने के फायदे…?नहीं न,तो पढ़िए इस पूरी लेख को,इसमें आपको सेहत की खास समस्या की मिलेगी जानकारी…
नाभी में गाय का शुध्द घी या सरसो तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता को दूर किया जा सकता है।आप कुछ दिन इसका प्रयोग कर फर्क महसूस कर सकते हैं।
1.आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर होना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये…
सोने से पहले 3 से 7 बूँदें गाय का शुध्द घी या नारियल का तेल नाभी में डालें और नाभी क्षेत्र में डेढ ईंच गोलाई में फैला दें।
2.घुटने के दर्द के लिए
सोने से पूर्व तीन से सात बूंद एरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला दें।
3. शरीर में कमपन्न,जोड़ोँ के दर्द और शुष्क त्वचा के लिए
रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद शुद्ध राई या शुद्ध सरसो के तेल को नाभी में डालें फिर नाभि क्षेत्र में डेढ ईंच की गोलाई में फैला दें।
4.चेहरे और गाल पर होने वाले पिंपल्स (मुहासा)
नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में डालें और नाभि क्षेत्र के चारो तरफ डेढ़ इंच तक फैला दें।
5. जोड़ो का दर्द,और फटे होंठ
अगर आपके होंठ फट रहे हैं या आपको जोड़ों का दर्द है,तो आप अपने नाभि में सरसों तेल की कुछ बूंदें लगाएं।
नोट : आपको यह प्रयोग कुछ अजीब सा अट पटा सा जरूर लग रहा होगा,लेकिन ए प्राचीन औषधि बहुत ही फायदेमंद है।
6. सर्दी ज़ुकाम से राहत
क्या आपको सर्दी, जुकाम है, तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद है, हममे से कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हें बार बार सर्दी ज़ुकाम की शिकायत रहती है।तो नाभि में सरसो तेल लगाएं।ये सर्दी और जुकाम की अचूक दवा है इससे आपका पुराने से पुराना सर्दी ज़ुकाम ठीक हो जाएगा।
7. पीरियड्स की दिक्कत
आज कल लड़कियों को मासिक काल में तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों में गर्ल्स/ओमेन्स बॉडी में बहुत सारे होर्मोनेल चेंजेस भी होते है जिसके कारण ना उनका मूड ठीक रहता हैं और ना उनका स्वास्थ्य। लेकिन अगर आप मासिक धर्म में होने वाली इन समस्याओं से बचना चाहती हैं,तो रुई के फाहे को ब्रांडी में भिगोएं और और इसे नाभि में रखें, इससे आपको इन दिक्कतों से बहुत जल्द छुटकारा मिल जाएगी।
8. मुहासे के लिए
लड़का हो फिर चाहे लड़की हो हर कोई मुहासे की समस्या से परेशान रहता हैं अगर आप भी इसी समस्या से परेशान हैं और कोई भी उपाय काम नहीं आ रहा हैं तो नीम तेल की कुछ बूंदें नाभि में डालकर और आस-पास मसाज करने से आपके कील-मुहाँसे ठीक हो सकते हैं, और आपकी त्वचा बेदाग़ व सुंदर हो जायेगी।
9. चेहरे का निखार
अगर आपका चेहरा दागरहित तथा सुंदर हो तो क्या कहना, कहा जाता है कि बादाम के तेल की कुछ बूंदें नाभि में डालने और इसके आसपास लगाने से चेहरे पर निखार आता है और आपकी रंगत भी अच्छी होती है।
– नाभि में गाय की शुद्ध घी की दो बूंदे लगाकर हल्की मालिश करने से होने वाले 7 फायदों के बारे में
ग्लो स्किन :- गाय का शुद्ध घी नाभि में लगाने से स्किन में नमी बनी रहती है जिससे फेयरनेस बढती है।
चेहरे ही चमक :- गाय की शुद्ध घी नाभि में डालने से स्किन की ड्राईनेस दूर होती है और चेहरे की चमक तथा कोमलता बढ़ती है।
बालों का झड़ना :- गाय की शुद्ध घी नाभि में डालने और नाभि क्षेत्र में डेढ़ इंच तक फैला देने से बालों का झड़ना रुकता है, बालों कि शाइनिंग बढती है।
घुटनों का दर्द :- गाय का शुद्ध घी नाभि में डालने और नाभि क्षेत्र में फैला देने से घुटनों का दर्द दूर करने में फ़ायदेमंद है और जॉइंट पैन से बचाता है।
पिम्पल्स और दाग-धब्बे :- नाभि में गाय का शुद्ध घी डालने से चेहरे के पिम्पल्स (मुहासा) ठीक होते हैं तथा दाग-धब्बे दूर होते है।
कटे-फटे होंठ :- नाभि में गाय का शुद्ध घी डालने और इसके आसपास लगाने से कटे – फटे होंठ ठीक हो जाते हैं।
कब्ज :- गाय का शुद्ध घी नाभि में डालने और इसके आसपास लगाने से पेट की समस्या दूर होती है और कब्ज से बचाव होता है।
नाभी में तेल डालने का कारण :-हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है, इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण,हमारी दादी नानी मां बच्चे के पेट और नाभी क्षेत्र के आसपास लगाया करती थीं।और बच्चे का दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है तेल का।
नोट:- घी या सरसो तेल नाभी में डालते समय ड्रापर का प्रयोग करें, ताकि उसे डालने में आसानी रहे।
कुछ भी प्रयोग करने से पहले आप चिकित्सकीय परामर्श जरूर कर लें।सत्यार्थ वेब न्यूज मीडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है।किसी भी समस्या के लिए सत्यार्थ वेब न्यूज मीडिया जिम्मेदार नहीं है।
कोई भी प्रयोग आपके स्वविवेक और चिकित्सकीय परामर्श पर निर्भर करता है।
{ सत्यार्थ वेब न्यूज }
शिवरतन कुमार गुप्ता “राज़”
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महराजगंज