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वर्षभर की सबसे उत्तम अमावस्या मौनी अमावस्या, इसका हमारे जीवन में अधिक महत्व हैं, यह अमावस्या पितृ के लिए पूजनीय हैं – पं.नित्यानंद श्रीमाली

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संवाददाता:- हर्षल रावल
29 जनवरी, 2025
सिरोही/राज.

वर्षभर की सबसे उत्तम अमावस्या मौनी अमावस्या, इसका हमारे जीवन में अधिक महत्व हैं, यह अमावस्या पितृ के लिए पूजनीय हैं – पं.नित्यानंद श्रीमाली

मौनी अमवस्या के दिन मौन व्रत करने और पितरों का पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है।


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सिरोही। सिरोही जिले के प्रख्यात पं. नित्यानंद श्रीमाली ने कहा कि मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन गंगा स्नान, दान, और मौन व्रत का विशेष महत्व होता है। मौनी अमावस्या का अर्थ है “मौन अथवा शांत रहना।” इस बार 29 जनवरी, बुधवार को मौनी अमावस्या का त्योहार मनाया जाएगा। यह दिन आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और आत्मचिंतन के लिए समर्पित है।

मौन व्रत करने की विधि

स्नान और शुद्धता मौनी:-
अमावस्या के दिवस सुबह शीघ्र उठकर गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के अमृत स्नान के समय जो भी श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है, इसलिए इस दिवस गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा स्नान व ध्यान करते है।

मौन का संकल्प लें:-
स्नान के पश्चात भगवान की पूजा करें और मौन रहने का संकल्प लें। संकल्प लेने के लिए भगवान विष्णु, शिव अथवा सूर्य देव का ध्यान करें।

उपवास रखें:-
मौनी अमावस्या पर उपवास करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। उपवास के दौरान फल, दूध, और हल्का भोजन किया जा सकता है। जल का सेवन करें, लेकिन तामसिक भोजन और अनावश्यक वस्तुओं से बचें।

ध्यान और प्रार्थना:-
मौन व्रत के दौरान ध्यान और प्रार्थना का विशेष महत्व है। शांत स्थान पर बैठकर ध्यान करें और ‘ॐ’ मंत्र का जप करें। यह मानसिक शांति और आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है।

दान का महत्व:-
मौनी अमावस्या पर दान करना पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन गरीब, ब्राह्मण, और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन दान करें।

मौन रहने के नियम:-
पं.नित्यानंद श्रीमाली ने कहा कि किसी भी प्रकार का वार्तालाप, क्लेश अथवा वाद-विवाद से बचें। मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें। दिनभर सकारात्मक विचार बनाए रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। आवश्यक हो तो केवल संकेतों के माध्यम से संवाद करें। क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या जैसी भावनाओं से बचें।

मौनी अमावस्या के लाभ:-
पं.नित्यानंद श्रीमाली ने कहा कि मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है। आत्म-अवलोकन और आत्मशुद्धि के लिए यह दिन उपयुक्त है। नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति में सहायता मिलती है। मौनी अमावस्या का दिवस साधना, ध्यान और दान के लिए समर्पित होता है। मौन व्रत से व्यक्ति अपने भीतर के शोर को शांत करके आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है। इसलिए, इस पवित्र दिन पर मौन व्रत का पालन करें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करें।

मौनी अमावस्या का महत्व:-
मान्यता है कि मौनी अमावस्या को पितृ धरती पर आते हैं। महाकुंभ में संगम में स्नान के साथ पितरों का तर्पण और दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार तय की गई अमृत स्नान की तिथियां अत्यंत शुभ और पुण्यकारी मानी जाती हैं।

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