प्रसिद्ध पिपलिया खेड़ा बालाजी हनुमान मंदिर की 14 माह में खुली दान पेटी निकले 17 लाख 21हजार 295 रूपये
भक्ति और आस्था का संगम में देखा गया बालाजी हनुमान मंदिर में दान पेटी में निकले लाखों रुपए
सत्यार्थ न्यूज़ ब्यूरो चीफ
मनोज कुमार माली सोयत कला
सोयत कला नगर में इंदौर कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग 552 जी के पास स्थित मध्य प्रदेश राजस्थान की सीमा पर स्थित भक्तों की आस्था का केंद्र अति प्राचीन प्रसिद्ध श्री पिपलिया खेड़ा बालाजी हनुमान मंदिर की गुरुवार प्रातः 11:00 बजे धार्मिक मंदिर समिति सचिव नायब तहसीलदार राजेश श्री माल की मौजूदगी में 14 माह के अंतराल के बाद दान पेटी खोली गई जिसकी गिनती सुबह 11:00 शुरू हुई जो रात्रि 9:00 बजे तक चली जिसमें 17 लाख 21हजार 295रूपये की राशि निकल गई इस अवसर पर 6 बैंक कर्मी तथा राजस्व गिरदावर सहित 15 पटवारी एवं सुरक्षा के लिए मौजूद सुरक्षा गार्ड ऑफ के जवान सहित कहीं धर्म प्रेमी बंधु मौजूद रहे
प्रसिद्ध मंदिर पर दानदाताओं की भावनाओं के अनुरूप मंदिर पर नहीं हो रहा विकास
प्रसिद्ध पिपलिया खेड़ा बालाजी मंदिर के विकास के लिए दानदाताओं द्वारा दान पेटी में जो राशि डाली जाती है वह राशि संग्रहित कर बैंक में जमा कर दी जाती है यह राशि दानदाताओं की भावनाओं के अनुरूप मंदिर के विकास कार्यों मे लगाई जानी चाहिए लेकिन दान पेटी से निकली जाने वाली राशि बैंक के सरकारी खजाने में जमा की जा रही है पर मंदिर नवनिर्माण को लेकर केवल भक्तों को आश्वासन ही मिल रहा है विगत तीन माह पूर्व प्रसिद्ध पिपलिया खेड़ा बालाजी मंदिर पर जिन्नौद्धार को लेकर बालाजी मित्र मंडल द्वारा आयोजन रखा गया था जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सांसद रोडमल नागर भी पहुंचे थे जहां पर सांसद द्वारा अपने उद्बोधन में कहा था कि मंदिर तो दिव्य ही है इस भव्य बनाना है यही नहीं यह भी कहा गया था कि मकर संक्रांति तक सारी कार्रवाई पूर्ण कर एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया जाएगा और मकर संक्रांति तक इसका निर्माण शुरू किया जाना प्रस्तावित किया गया था पर मकर संक्रांति बीत जाने के बाद भी मंदिर जीर्णोद्धार को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है मंदिर विकास को लेकर कई बार मंदिर समिति द्वारा अधिकारियों से चर्चा की गई एवं आयोजन भी किए गए यही नहीं लगातार मीडिया द्वारा भी समय-समय पर मंदिर की अवस्थाओं को लेकर समाचार प्रकाशित किए गए लेकिन अधिकारियों द्वारा इस तरफ अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसकी वजह से दानदाताओं की भावनाओं को ठेस पहुंच रही हैं यही नहीं दिलचस्प बात तो यह है कि मंदिर नवनिर्माण के लिए यहां पर दो अलग-अलग गुट द्वारा मंदिर का भूमि पूजन भी किया गया था पर आज तक कार्य शुरू नहीं हुआ