संवाददाता – अंशु श्रीवास्तव
स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर रामबाण बस्ती मे आयोजित किया गया पूर्व छात्र संगम कार्यक्रम
जनपद – बस्ती
राज्य – उत्तर प्रदेश
अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती तथा स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती के अवसर पर सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग बस्ती में आज दिनांक 12-01-2025 दिन रविवार को पूर्व छात्र संगम का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय में विभिन्न वर्षो में अध्ययनरत पूर्व छात्रों का समागम हुआ। मंच पर विद्या भारती पूर्वी उ. प्र. के मंत्री डॉ. सौरभ मालवीय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक बस्ती विभाग के विभाग प्रचारक डॉ. अवधेश जी, पूर्व छात्र परिषद के प्रांत अध्यक्ष श्री प्रशांत पांडेय, विद्यालय के प्रबंधक डॉक्टर सुरेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व छात्र परिषद के अध्यक्ष डा. मानवेंद्र पाल और विद्यालय के प्रधानाचार्य गोविंद सिंह की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य गोविंद सिंह ने बताया कि सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना सन 1952 में हुई। इसी क्रम में विद्या भारती की स्थापना 1977 में हुई। पूरे भारत में विद्या भारती की 11 समितियां, 68 प्रांतीय समितियां, 24770 औपचारिक विद्यालय, संस्कार केंद्र और एकल विद्यालय चल रहे हैं। 144909 आचार्य 3538033 छात्र-छात्राओं को नियमित शिक्षा दे रहे हैं।
विद्यालय की स्थापना की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि सन 1982 में शिशु मंदिर के साथ कक्षा षष्ठ की व्यवस्था शुरू की गई, और 1985 में अपनी भूमि और भवन पर अलग से सरस्वती विद्या मंदिर की स्थापना की गई। पहले प्रधानाचार्य श्री श्रवण सिंह थे। 1998 में विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से हाई स्कूल की मान्यता और 2000 में इंटर की मान्यता मिली, प्रधानाचार्य श्री लालता प्रसाद पाण्डेय थे। उन्होंने विद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा भी की और इस कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य श्री श्रवण सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य श्री लालता प्रसाद पांडेय, विद्यालय के पूर्व आचार्य श्री जगदीश प्रसाद मिश्र, विद्यालय के पूर्व आचार्य एवं वर्तमान में नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर बलिया के प्रधानाचार्य श्री शैलेंद्र त्रिपाठी, पूर्व आचार्य राम नरोत्तम चौधरी, धर्मेंद्र त्रिपाठी, अमरनाथ त्रिपाठी एवं सहदेव पांडेय को सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में डॉ. सौरभ मालवीय ने कहा कि जीवन में दो अवसर हैं, जहां रहकर हम लोगों से जुड़े रहते हैं। वह नौकरी का स्थान और विद्यालय है , जहां से आप जुड़े हुए हैं। यह जानकर मुझे बहुत खुशी है। राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में शिक्षा का बहुत महत्व है, संस्कृति व सभ्यता का सनातन ही पुरातन और परंपरागत है। उन्होंने संस्कार के साथ जीवन मूल्य के महत्व और समर्पण के सुख की चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश और राष्ट्र के प्रति हमारी कृतज्ञता दिखनी चाहिए। उन्होंने पूर्व छात्रों का आह्वान किया कि वे एक ऐसी समिति बनाएं जो समाज के विभिन्न वर्गों की सहायता कर सके, जैसे अर्थाभाव में किसी की पढ़ाई बाधित न हो, गरीब किंतु मेधावी छात्रों को आर्थिक सहयोग, गरीब छात्राओं की विवाह की चिंता, अपंग लोगों की चिकित्सा के लिए सहयोग आदि। समापन सत्र में संघ के प्रांत प्रचारक प्रमुख सुनील जी ने पूर्व छात्र परिषद विषय पर विस्तृत विचार रखा। पूर्व छात्र परिषद के मंत्री भावेश पाण्डेय ने पूर्व छात्र परिषद कोष के निर्माण का प्रस्ताव रखा।
इस अवसर पर संगीत के कार्यक्रम भी हुए। पूर्व छात्र योगेश शुक्ल, संतोष शुक्ल, सत्येन्द्र त्रिपाठी,दुष्यंत सिंह,भावेश पांडेय,अंकुर वर्मा आदि ने भी अपनी पुरानी यादें साझा कीं। कार्यक्रम में पूर्व छात्र परिषद के सदस्यों द्वारा शिशु मंदिर और विद्या मंदिर के आचार्यों का गीता की पुस्तक, अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उत्तम दूबे, आलोक मिश्र, अजय शंकर, नवीन त्रिपाठी, अभिषेक ओझा, दीपक सिंह, अमित मिश्रा, नीरज त्रिपाठी, प्रशांत त्रिपाठी, अनुज मोदी, उमेश कुमार, राम प्रताप सिंह, रीतिकेश सहाय, नितेंद्र अग्रवाल, रविकांत मिश्र, अभिनव उपाध्याय, सचिन श्रीवास्तव, नितेश शर्मा, योगेश शुक्ल, आलोक पांडे, डॉ आलोक श्रीवास्तव, नीरज चौधरी आदि पूर्व छात्र उपस्थित रहे।