अहमदाबाद और बेंगलुरु में एचएमपीवी के मामले मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट
–लोगों से एचएमपीवी वायरस से बचाव के लिए कोविड के नियमों का पालन करने की अपील की-
पलवल-07 दिसम्बर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
अहमदाबाद और बेंगलुरु में ह्यूमन मैटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले मिलने के बाद जिले में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। सिविल सर्जन डॉक्टर जय भगवान जाटान ने लोगों से वायरस से बचाव के लिए कोविड के नियमों का पालन करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि बच्चों के साथ-साथ 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों, एचआईवी, पुरानी (टीबी) ट्यूबरक्लोसिस, अस्थमा, (सांस के मरीज), हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज और हृदय रोग आदि के मरीजों को यह वाइरस दिक्कत कर सकता है। ऐसे हालातों में सावधानी बरतने की जरूरत है। सिविल सर्जन डॉक्टर जय भगवान जाटान ने बताया कि ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस एक रेस्पिरेटरी वायरस है। इस वायरस से पीड़ित होने पर आमतौर पर खांसी, बुखार और नाक बंद होने जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षण सर्दी की तरह होते हैं। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी पावर (प्रतिरोधक क्षमता) वाले लोगों में यह फ्लू जैसे लक्षण या ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। हालांकि इस समय चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि यह बीमारी नियंत्रण में है। किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस की तरह एचएमपीवी वायरस को रोकने का सबसे अच्छा तरीका साफ सफाई को ध्यान में रखकर एहतियात बरती जाएं।विशेषकों के मुताबिक एचएमपीवी वायरस ड्रॉपलेट (स्वसन बूंदों) और दूषित सतहों के माध्यम से फैल सकता है। अधिकांश मामले हल्के होते हैं और कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं। भारत में फिलहाल अब तक तीन मामले सामने आए हैं।
65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों और एचआईवी पुरानी टीबी आदि के मरीजों को यह वायरस दिक्कत कर सकता है।
इंटरनेट मीडिया से प्रतीकात्मक तस्वीर
एचएमपीवी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
नंबर 1. हाथों को बिना धुले चेहरे को छूने से बचें और संक्रमण की चपेट में आने पर घर में ही रहें। साबुन पानी से हाथों को बार-बार धोएं।
नंबर 2. घर से बाहर जाने पर मास्क का प्रयोग करें । खांसते समय अपने मुंह और नाक पर कपड़ा रखें या मास्क लगाएं।
आखिर क्या है ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी)
*वायरस की चपेट में आने वाले लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वास नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है। गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन)
और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।
*सामान्य मामलों में इस वायरस का असर 5 से 7 दिन तक रहता है।