गांव बघोला स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए लगाया गया स्वास्थ्य जांच शिविर
संतुलित व सात्विक भोजन करने से सात्विक बुद्धि बनती है : प्रधानाचार्य बलवीर सिंह
पलवल-07 दिसम्बर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तत्वाधान में सिविल सर्जन डॉ जय भगवान जाटान के दिशा निर्देशन व डिप्टी सिविल सर्जन डॉ रामेश्वरी के मार्गदर्शन में गांव बघोला स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया गया। शिविर में 120 छात्र छात्राओं के स्वास्थ्य की जांच व स्क्रीनिंग की गई। आयुष मेडिकल ऑफिसर डॉ रवि विहान ने बताया कि अनीमिया मुक्त भारत बनाने के लिए सभी बच्चों के हीमोग्लोबिन की जांच की गई तथा आयरन फोलिक एसिड की गोलियां तथा अन्य दवाईयां भी वितरित की गईं। शिविर में गम्भीर अनीमिया,भेंगापन, रिफ्लेक्टिव एरर व कान बहने आदि से ग्रस्त पाए गये बच्चों को पलवल के डीईआईसी सेंटर में उपचार हेतु रेफर किया गया। उन्होंने बताया कि रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं (कणों) यानि हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम होने की स्थिति को एनीमिया कहा जाता है। उन्होंने बताया कि यह तीन प्रकार का होता है। लौह युक्त खाद्य पदार्थ न खाने, पेट में कीड़े होने, संक्रमण व मलेरिया के कारण लाल रक्त कणिकाओं के कम होने के कारण अनीमिया हो सकता है। उम्र अनुसार गंभीर एनीमिया, मध्य एनीमिया और निम्न एनीमिया का वर्गीकरण 6 महीने से 5 साल की उम्र तक, गंभीर एनीमिया 7 ग्राम/डेसी लीटर से कम, मध्यम एनीमिया 7 से 9.9 ग्राम, निम्न एनीमिया 10 से 10.9 ग्राम/डेसीलीटर तथा 5 से 10 साल तक की उम्र तक गंभीर एनीमिया 8 ग्राम/डेसीलीटर से कम , मध्यम एनीमिया 8 से 10.9 ग्राम/डेसीलीटर तथा निम्न एनीमिया 11 से 11.4 ग्राम/डेसीलीटर लीटर होता है ।इसी तरह 10 से 19 साल तक की उम्र तक गंभीर एनीमिया 8 ग्राम/डेसीलीटर से कम, मध्य एनीमिया 8 से 10.9 ग्राम/ डेसीलीटर तथा निम्न एनीमिया 11 से 11.9 ग्राम /डेसीलीटर की श्रेणी में आता है। एनीमिया के लक्षण होंठ, जीभ, आंखों और नाखूनों में फीकापन नजर आता है।नाखूनों का पीलापन पाया जाना एनीमिया का चिन्ह है।उन्होंने बताया कि तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमों द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों व सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच व स्क्रीनिंग करके गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को डीईआईसी सेंटर में रेफर कर दिया जाता है। प्रधानाचार्य बलबीर सिंह ने बताया कि सात्विक भोजन करने से सात्विक बुद्धि बनती है और बच्चे संस्कार वान बनते हैं तथा कुप्रवृत्तियों से दूर रहते हैं। उन्होंने बच्चों को अपने माता-पिता और गुरुओं की आज्ञा का पालन करने के लिए प्रेरित किया। आयुष मेडिकल ऑफिसर प्रीति गर्ग ने बच्चों को आयरन युक्त भोजन, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल खाने व लोहे की कढ़ाई में खाना बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों को अनीमिया से बचने के लिए गुड व चने खाने की सलाह दी। उन्होंने खाने से पहले व बाद में साबुन पानी से हाथ साफ करने व साफ़ सफाई से रहने की सलाह दी। इस अवसर पर डॉ रवि विहान, डॉ प्रीति गर्ग, प्रधानाचार्य बलवीर सिंह, प्रवक्ता राजेंद्र तथा स्कूल के विद्यार्थी मौजूद रहे।