अखिल भारतीय यादव महासभा द्वारा 18 नवंबर 1962 को रेजांगला एवं अन्य शहीद हुए यादव वीरों की स्मृति में वीरांगना सम्मान समारोह आयोजित
शिव कुमार यादव
नई दिल्ली
सत्याग्रह सभागार गांधी दर्शन राजघाट दिल्ली में आयोजित किया गया
आज दिल्ली के सत्याग्रह सभागार गांधी दर्शन राजघाट में रेजांगला युद्ध 18 नवंबर 1962 में शहीदों की स्मृति में वीरांगना सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में श्री हुकुमदेव नारायण यादव पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। वहीं श्री राजेन्द्र यादव पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश और हरियाणा के रेजांगला के शहीदों के परिजन मौजूद रहे।
रेज़ांगला की लड़ाई विश्व की 8 महानतम लड़ाइयों में से एक है। यह युद्ध भारत-चीन के बीच 18 नवंबर, 1962 को दीवाली के दिन हुआ था। यह लड़ाई भारतीय सेना की 13वीं बटालियन कुमाऊं रेजिमेंट और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच हुई थी। यह लड़ाई 16,000 फ़ीट की ऊंचाई पर हुई थी और वहां का तापमान -40 डिग्री था।इस लड़ाई के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य आपसे साझा कर रहा हूं।
इस लड़ाई में भारतीय सेना के 120 सैनिकों ने 3,000 से ज़्यादा चीनी सैनिकों का सामना किया था। और अदम्य साहस के साथ लड़ते हुए उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।
इस लड़ाई में भारतीय सेना ने रेज़ांगला के रणनीतिक पर्वत दर्रे का सफलतापूर्वक बचाव किया था.
इस लड़ाई में मेजर शैतान सिंह ने नेतृत्व किया था. उन्हें उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
इस लड़ाई में भारतीय सेना के 123 सैनिकों में से 114 ने अपनी जान गंवाई थी। इस लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने लगभग 3000 चीनी सैनिकों को मारा था। इस लड़ाई में चीनी सेना ने मानव तरंग रणनीति अपनाई थी। इस लड़ाई के बाद, चीन ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी थी।
आज जिला रेवाड़ी की वीरांगना और शहीदों के परिजन बिर्गेडियर श्योताज सिंह खोला, चंदगीराम साहब, सुबेदार मेजर धर्मदेव एवं सुबेदार सुरेन्द्र सिंह यादव की अध्यक्षता में दिल्ली पहुंचे। तथा अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा 1924 दिल्ली प्रदेश द्वारा
सम्मानित किया गया।
1.श्रीमती शकुंतला देवी पत्नी स्वर्गीय सिपाही धरम सिंह, गांव- लुखी। सिपाही धरम सिंह 13 कुमाऊं बटालियन के थे और 18 नवंबर, 1962 को प्रसिद्ध रेजांगला युद्ध के दौरान दुश्मनों से अदम्य साहस लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
2. श्रीमती संतरा देवी पत्नी स्वर्गीय पैराट्रूपर हीरा लाल, गांव- बालावास जिला- रेवाड़ी, प्रथम पैराशूट कमांडो बटालियन में 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान शहीद हो गईं। सिपाही हीरा लाल ने दुश्मन से लड़ते हुए अत्यंत बहादुरी का परिचय दिया और मां भारती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
3.श्रीमती बिमला देवी पत्नी नंबर -4154709 सिपाही राजेंद्र सिंह, गांव मस्तापुर जिला-रेवाड़ी, हरियाणा से। कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन के सिपाही राजेंद्र सिंह ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करके अपनी वीरता का परिचय दिया।
4. श्रीमती खजानी देवी पत्नी-नंबर-4161046 सिपाही मंगतू राम, गांव- बिठवाना जिला- रेवाड़ी। सिपाही मंगतू राम, कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन से थे, जिन्होंने 30 नवंबर 1971 को ऑपरेशन-कैक्टस लिली के दौरान दुश्मन से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
5.श्रीमती सुशीला देवी पत्नी सिपाही गार्ड्समैन लखपत सिंह, गांव- भाकली, जिला- रेवाड़ी। सिपाही लखपत सिंह ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स रेजिमेंट से थे, जिन्होंने 6 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी और इतिहास के पन्नों से सदा के लिए अमर हो गए।
6.श्रीमती बबली देवी पत्नी स्वर्गीय लांस नायक वीरेंद्र सिंह, विजय नगर जिला-रेवाड़ी से हैं। नायक वीरेंद्र सिंह कुमाऊं रेजिमेंट से थे और 06 अप्रैल 1997 को ऑपरेशन-रक्षक के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे।
7.श्रीमती मंत्रा देवी पत्नी स्वर्गीय हवलदार राम सिंह, गांव- मुंडी, जिला- रेवाड़ी, 13वीं बटालियन कुमाऊं रेजिमेंट से थीं, जिन्होंने ऑपरेशन रक्षक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी।
8.श्रीमती कमला देवी पत्नी हवलदार दीन दयाल, ग्राम मसानी। हवलदार दीन दयाल 97वीं बटालियन आर्टिलरी रेजिमेंट में तैनात थे। ऑपरेशन राइनो के दौरान उन्हें जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था, जहां उग्रवादियों से लड़ते हुए उन्होंने अपनी जान दे दी
9.श्रीमती सुनीता देवी पत्नी स्वर्गीय सिपाही राकेश कुमार रेवाड़ी की रहने वाली थीं। 46 एयर डिफेंस रेजिमेंट के सिपाही राकेश कुमार 23 राष्ट्रीय राइफल बटालियन में तैनात थे और 02 सितंबर 2000 को ऑपरेशन रक्षक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
10.श्रीमती कृष्णा यादव पत्नी नायक विजय पाल गांव-सहारनवास जिला-रेवाड़ी। आर्मी मेडिकल कोर (एएमसी) से एनके विजय पाल को ऑपरेशन-पराक्रम के लिए 17 राष्ट्रीय राइफल में प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया गया था जब उन्होंने 20 जुलाई 2005 को अपना जीवन लगा दिया। .
11.मनीषा देवी पत्नी स्वर्गीय परमिंदर सिंह गांव-प्राणपुरा जिला-रेवाड़ी। 19 कुमाऊं बटालियन में तैनात सिपाही परमिंदर ने 18 अगस्त 2010 को संयुक्त राष्ट्र मिशन पर कांगो में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
12.श्रीमती राम कला पत्नी एन.के. हरफूल सिंह, गांव मुसेपुर जिला-रेवाड़ी से हैं। एनके हरफूल सिंह को 19 कुमाऊं बटालियन में तैनात किया गया था। उन्होंने 1986 में ऑपरेशन रक्षक के दौरान जम्मू-कश्मीर में अपनी जान दे दी।
13.श्रीमती इंद्रावती पत्नी नं.-जे.सी. 538040 नायब सूबेदार धन राज, गांव-धवाना जिला-रेवाड़ी। नायब सूबेदार धन राज ने सितंबर 1996 में आतंकवाद विरोधी अभियान में आतंकवादियों से लड़ते हुए जम्मू-कश्मीर में अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया।
14.श्रीमती सुमित्रा देवी पत्नी स्वर्गीय हवलदार हरपाल सिंह गांव-औलांत जिला-रेवाड़ी। हवलदार हरपाल 10 पैरा एसएफ यूनिट से थे और अप्रैल 2000 में जम्मू-कश्मीर के डोडा सेक्टर में ऑपरेशन रक्षक में युद्ध में हताहत हो गए।
15.श्रीमती सुनीता देवी पत्नी सिपाही प्रदीप कुमार, गांव- बिठवाना जिला- रेवाड़ी। सिपाही प्रदीप कुमार 85 आर्म्ड रेजिमेंट से 22 राष्ट्रीय राइफल में प्रतिनियुक्ति पर थे, जो उनकी मूल इकाई थी, जहां उन्होंने 2008 में आतंकवाद से लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
इनके अलावा धर्मवीर सिंह, बह्मदेव,राम मेहर और रेजांगला युद्ध के जीवित यौद्धा कैप्टन रामचंद्र जी को भी सम्मानित किया गया।