सत्यार्थ न्यूज़ / मनीष माली की रिपोर्ट
श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर में कल से प्रारम्भ होगा 5 दिवसीय धार्मिक आयोजन
स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा व पंचकुण्डी महायज्ञ, स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा एवं अन्नकूट महोत्सव का होगा आयोजन
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर में सैकड़ो सालों बाद पहली बार शिखर पर होगा लाखो का स्वर्ण कलश स्थापित
कभी जीर्णशीर्ण परिसर में पीपल के नीचे विराजते थे हनुमानजी, अब बन चुका है भव्य मंदिर
सुसनेर। स्थानीय कंठाल नदी किनारे मेला ग्राउंड के पास स्थित क्षेत्र के लोगो की आस्था के केंद्र श्री खेड़ापति हनुमान मन्दिर मठ में कल शनिवार 16 नवम्बर से 20 नवम्बर तक पांच दिवसीय धार्मिक आयोजनों के साथ अन्नकूट महोत्सव स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा व पंचकुण्डी महायज्ञ का होगा।
उक्त जानकारी श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्यों , समिति के अध्यक्ष रामसिंह कांवल, लोकतंत्र प्रहरी संघ जिला संयोजक कैलाश बजाज, टेकचंद गेहलोत, मार्केटिंग अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह कांवल, दिलीप जैन सारँगयाखेड़ी, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि राहुल सिसोदिया, गोविंद सोनी, बालकिशन भावसार, गोविंद राठौर, आनंदीलाल सिसोदिया, रामेश्वर सोनी, संजय तिवारी, दीपक भावसार, दीपक गिरी, घनश्याम अग्रवाल, गिरधर सोनी, गोपाल माली आदि ने सँयुक्त रूप से देते हुए बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी श्री खेड़ापति हनुमानजी मठ मन्दिर सुसनेर में अन्नकूट महोत्सव के अवसर मन्दिर के शिखर पर स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा एवं पंचकुण्डीय महायज्ञ का आयोजन रखा गया है। समिति सदस्यों ने क्षेत्र के सभी हनुमान भक्तों एवं नगरवासियों से आग्रह किया है कि उक्त धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेकर निरन्तर जिर्णोव्दार कार्य में तन-मन-धन यथा शक्ति सहयोग प्रदान कर धर्मलाभ लेवें।
यहां पांच दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम के तहत कल 16 नवम्बर 2024 शनिवार को सर्वप्रथम कलश यात्रा का आयोजन प्रातः 10.30 बजे स्थानीय श्री मनकामनेश्वर मन्दिर से प्रारंभ होकर देव आह्वान, अग्नि स्थापना, यज्ञ प्रारंभ, जलाधिवास का आयोजन होगा। दूसरे दिन 17 नवम्बर 2024 रविवार को देवपूजन, वज्ञ, फल, फूल वास का कार्यक्रम होगा। तीसरे दिवस 18 नवम्बर 2024 सोमवार को देवपूजन, यज्ञ, पत्रादिवास कार्यक्रम होगा। चतुर्थ दिवस 19 नवम्बर 2024 मंगलवार को देवपूजन, यज्ञ, कलश एवं शिखर महाअभिषेक आयोजित होगा। पांच दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिवस 20 नवम्बर 2024 बुधवार कलश प्रतिष्ठा एवं सुन्दर काण्ड प्रारंभ प्रातः 11 बजे से होगा वही पूर्णाहूती के साथ श्रंगार आरती दोपहर 3 बजे से आयोजित होगी। तथा अन्नकूट महोत्सव एवं महाप्रसादी इसी दिन सायं 4 बजे से 9 बजे तक चलेगी।
सुसनेर नगर की मोक्ष दायिनी कंठाल नदी और इतवारीया श्मशान के किनारे स्थित नगर कोट की दीवारों से घिरा नगर का खेड़ापति हनुमान मंदिर मठ नगर स्थापना से पहले का होकर कई सालों पुराना है। श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर मठ समिति के अध्यक्ष रामसिंह काँवल एवं वरिष्ठ सदस्य टेकचंद गहलोत, गोविंद राठौर, संजय तिवारी एवं रामु सोनी ने बताया कि करीब एक हज़ार ज्यादा वर्ष पुराने इस मंदिर में जन सहयोग से पहली बार साढे सात लाख की लागत से निर्मित स्वर्ण कलश की स्थापना आगामी 16 नवम्बर से 20 नवम्बर तक चलने वाले स्वर्ण कलश प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के माध्यम से विधि विधान एवं हवन, यज्ञ, पूजा एवं महाआरती के साथ कि जाएगी। साथ इस अवसर पर पूरे क्षेत्र के हनुमान भक्तों का अन्न कूट महोत्सव भी प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी इसी अवधि में सम्पन्न होगा।
इस मंदिर का सेवा कार्य करने वाले गिर परिवार की 15 वीं पीढ़ी के दीपक गिर बताते हैं कि यह मंदिर पहले नगर की सीमा से बाहर होकर हनुमान गढ़ी था, जो उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए मठों में से एक है। पहले जीर्णशीर्ण परिसर में हनुमानजी विराजते थे। अब इस स्थान पर भव्य मंदिर बन चुका है।
नगर के इतिहासकार 82 वर्षीय रामप्रताप भावसार सुसनेरी बताते हैं- जैसा उन्होंने सुसनेर के इतिहास में उल्लेख किया उसके अनुसार आज से आठ दशक पूर्व जीर्णशीर्ण परिसर में एक पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान प्रतिमा स्थित थी। साथ ही आम, शहतूत, जामुन, बिल्बपत्र, पीपल के पेड़ मौजूद थे। पीपल के पेड़ के नीचे से ही निकले पीपलेश्वर महादेव है। पीपल का पेड़ तो खत्म हो गया लेकिन जीर्णोद्धार के बाद आज भी कई पेड़ों को संरक्षित रखा हुआ है। प्राचीन समय में साधु-संतों का ठहराव का स्थान रहे इस मंदिर में धुनी भी है। मंदिर की देखरेख पहले गिर परिवार के पास थी लेकिन अब ट्रस्ट इसका संचालन करता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष रामसिंह कांवल के अनुसार मंदिर काफी प्राचीन है। इसकी प्राचीनता का अंदाजा तो उन्हें नहीं लेकिन अब इसकी जिम्मेदारी ट्रस्ट संभालता है। मंदिर के पीछे खोखली माता का स्थान है जिसकी मान्यता है कि यहां कि मिट्टी से खांसी की बीमारी खत्म होती है।
एक-एक रुपया जोड़ किया मंदिर जीर्णोद्धार
काफी प्राचीन और जीर्णशीर्ण मंदिर का जीर्णोद्धार पूरे नगर के जनसहयोग से किया गया है जो आज भव्य रूप ले चुका है। नगर में दान पेटी के माध्यम से एक-एक रुपया इकट्ठा किया गया और दानदाताओं के सहयोग से इसका निर्माण हुआ। इसमें धर्मशाला व शिखर निर्माण सहित अन्य कार्य हुए। अब मंदिर में दान के अतिरिक्त धर्मशाला और दानपेटी की आवक से कार्य होते हैं। युवाओं के व्यायाम के लिए व्यायामशाला भी है। मंदिर में नगरवासियों की काफी आस्था है तो कई चमत्कारिक घटनाएं भी जुड़ी हैं।
समिति द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का बहिष्कार करते हुए भोजन के दौरान अन्नकूट में डिस्पोजल गिलास का उपयोग नहीं किया जाता है। इस अवसर पर खेडापति हनुमानजी का आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा।
आम लोगो के सहयोग से होगी स्वर्ण कलश की स्थापना
जहां इस मंदिर को भव्य रूप आम नागरिकों ने एक एक रुपये से सहयोग पूरा किया गया है तो वही लोगो ने अपनी श्रद्धानुसार स्वर्ण दान कर करीब साढ़े सात लाख रुपये की लागत से इंदौर के बाबा श्री गोल्ड एवं सिल्वर आर्ट वर्क इंदौर के संचालक एवं कारीगर महेश शर्मा एवं डीपीन शर्मा द्वारा इस शिखर का निर्माण किया गया है। जिसकी स्थापना सैकड़ो सालों के बाद एवं कई सदियों के गुजरने के बाद पहली बार इस मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश की स्थापना होगी। इन शर्मा बंधुओ द्वारा इससे पहले इन्होंने महाकांल मन्दिर उज्जैन, खजराना मन्दिर इंदौर, शिर्डी के साईं बाबा मन्दिर, बागेश्वर धाम मन्दिर एवं नलखेड़ा के मां बगुलामुखी मन्दिर सहित अनेकों मंदिरों के शिखरों का निर्माण किया जा चुका है।
ये हुएं विकास कार्य, अब जल्दी प्रवेश द्वार भी तैयार होगा
मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के चलते मंदिर अभी तक लाखो रूपयो की लागत से मंदिर में विकास कार्य हो चुके है। जनहित के अलावा पूर्व विधायक राणा विक्रमसिंह ने भी यहां अपनी विधायक निधि से अपने कार्यकाल में प्रतिवर्ष 5 लाख की राशि दी गयी थी। जिससे इसमें मंदिर का शिखर, धर्मशाला, परिसर, किलेनूमा दीवार, सामुदायिक भवन, भोजनशाला, मंदिर के बाहर सुरक्षा की दृष्टी से बाउन्ड्रीवाल आदि शामिल है। अब विकास कार्यो की अगली कडी में मंदिर के बाहर ही 15 लाख रूपये की लागत से प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। स्वर्ण कलश एवं अन्नकूट महोत्सव के दौरान इसका भी विधिवत शुभारंभ किया जाएगा।