शेयर बाजार में जारी गिरावट पर आज भी ब्रेक नहीं लगा है। इस हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में भी स्टॉक मार्केट लाल निशान पर बंद हुआ। यह गिरावट एफआईआई की बिकवाली और निराशाजनक तिमाही नतीजों के साथ ही महंगाई दर में वृद्धि के कारण आई है।
आज बीएसई सेंसेक्स 110.64 अंक या 0.14 फीसदी गिरकर 77,580.31 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 26.35 अंक या 0.11 प्रतिशत गिरकर 23,532.70 पर बंद हुआ। निफ्टी में लगातार छठे दिन गिरावट जारी रही।
टॉप गेनर और लूजर स्टॉक
आज सेंसेक्स पैक से, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एनटीपीसी, नेस्ले, इंडसइंड बैंक, पावर ग्रिड, अदानी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स और बजाज फिनसर्व के शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। वहीं, दूसरी तरफ रिलायंस इंडस्ट्रीज, कोटक महिंद्रा बैंक, टेक महिंद्रा, महिंद्रा एंड महिंद्रा और एचडीएफसी बैंक के शेयर लाभ यानी तेजी के साथ बंद हुए।
जारी है महंगाई का प्रकोप
गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि थोक महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के दायरेको पार कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई। बढ़ती महंगाई के कारण दिसंबर में रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम है।
ग्लोबल मार्केट का हाल
एशियाई बाजारों में, टोक्यो, शंघाई और हांगकांग निचले स्तर पर बंद हुए जबकि सियोल सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुआ। यूरोपीय बाजार बढ़त पर कारोबार कर रहे थे। बुधवार को अमेरिकी बाजार मिले-जुले रुख पर बंद हुए। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.06 प्रतिशत गिरकर 72.24 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
डीआईआई ने शुरू की खरीदारी
एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 2,502.58 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 6,145.24 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
4 पैसे गिरा रुपया
आज डॉलर के मुकाबले रुपया 4 पैसे गिरकर बंद हुआ। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.40 पर खुला। वहीं सत्र के दौरान भारतीय करेंसी ने 84.39 के उच्चतम स्तर और 84.43 के निचले स्तर को छुआ। अंततः रुपया ग्रीनबैक के मुकाबले 84.43 (अनंतिम) के अपने ताज़ा सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ, जो कि इसके पिछले बंद भाव से 4 पैसे कम है।
पिछले कारोबारी सत्र यानी बुधवार को रुपया एक सीमित दायरे में घूमता रहा और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.39 पर स्थिर बंद हुआ।
बाजार में सबकुछ ठीक चल रहा था. उतार-चढ़ाव के बीच शेयर मार्केट से भारतीय रिटेल निवेशक ठीक-ठाक प्रॉफिट बना रहे थे. फिर सितंबर महीने के आखिरी में अचानक से बाजार में बिकवाली शुरू हुई और इस बिकवाली की स्पीड ऐसी कि अगले एक महीने में निफ्टी 27 सितंबर के अपने ऑल टाइम हाई 26,277 से 10% नीचे आ गया. एक्सपर्ट आगे 10 फीसदी और गिरने की बात कर रहे हैं. यानी निफ्टी जल्द 21,300 के लेवल पर जा सकता है. अब सवाल ये है कि ऐसा क्यों? यह गिरावट कब तक जारी रहेगी? बाजार में इससे पहले ऐसा कब हुआ था. तब बाजार ने कैसा रिएक्ट किया. सबकुछ डिटेल में समझेंगे
विदेशी निवेशकों ने बढ़ाई टेंशन
ईटी की रिपोर्ट में कैशथेचाओस डॉट कॉम के जय बाला कहते हैं कि मुझे उम्मीद है कि साल के अंत तक निफ्टी लगभग 21,300 तक पहुंच जाएगा और बैंकिंग इंडेक्स 42,000 के करीब पहुंच जाएगा, जिसमें बीच में 49,000 और 47,000 पर रुक सकता है. सेम ऐसा ही हाल सेंसेक्स में भी देखने को मिल सकता है. पिछले कारोबारी सेशन में निफ्टी ने इंट्राडे ट्रेडिंग में अपने 200-डीएमए को तोड़ दिया था और 23,500 अंक के करीब 5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था. सितंबर में निफ्टी के शिखर पर पहुंचने के बाद से एफआईआई ने दलाल स्ट्रीट से रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपए निकाले हैं, क्योंकि दूसरी तिमाही की कमजोर नतीजों के कारण रेटिंग में गिरावट आ रही है.
कब तक जारी रहेगी गिरावट?
सीएलएसए के लॉरेंस बालेंको का मानना है कि भारत का सापेक्षिक रूप से खराब प्रदर्शन जारी रह सकता है और संभवतः 2025 की पहली तिमाही तक यही सेम स्थिति देखने को मिल सकती है. उन्होंने कहा कि किसी भी क्लियर पैटर्न की पहचान करने में 6-12 महीने लग सकते हैं. निफ्टी को 22,800 पर डाउनसाइड सपोर्ट मिलता दिख रहा है. निफ्टी में फिलहाल ब्रेकआउट के कोई बड़े संकेत नहीं हैं और कोई भी बड़ी उछाल सीमित लगती है
ऐसे कर सकते हैं प्लानिंग
चूंकि बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है, इसलिए बाजार विशेषज्ञ व्यापारियों को याद दिला रहे हैं कि पुरानी कहावत है कि गिरते हुए चाकू को पकड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. वह कहते हैं कि आप बाजार से बाहर रहकर तूफान का सामना करते हैं, इस तरह आप अपने रिटर्न के लिए जोरदार ताकत जुटाते हैं और जब आप नकदी पर होते हैं तो बाजार अतिरिक्त अल्फा उत्पन्न करते हैं. वह कहते हैं कि ऐसे मौके पर रिटेल निवेशकों को धैर्य के साथ अधिक कैश जुटाना चाहिए और लॉन्ग टर्म के हिसाब से एक सही समय पर एंट्री लेनी चाहिए.
इतिहास से सीखें सबक
पिछले दो मौकों पर जब निफ्टी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 10% नीचे आया था. यह सितंबर 2022 और मार्च 2023 की बात है. तब इंडेक्स जल्द ही वापस उछल गया था. अभी निफ्टी जून 2022 के सपोर्ट के रेंज में कारोबार कर रहा है. इसे 200 मुविंग एवरेज के आसपास में सपोर्ट मिल रहा है. अगर आप चार्ट पर इसका रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स चेक करते हैं तो वह भी 40-60 के रेंज में मुवमेंट दिखा रहा है, जो ट्रेंड को देखते हुए गिरावट की ओर इशार कर रही है
शेयर बाजार में गिरावट थमने (Stock Market Crash) का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन मार्केट गिरकर बंद हो रहा है, जिससे निवेशकों के बीच एक डर का माहौल गहरा होता जा रहा है. 27 सितंबर से लेकर अभी तक का डाटा देखें तो निवेशकों को 50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. वहीं Sensex-Nifty इंडेक्स अपने रिकॉर्ड हाई से 10 फीसदी टूट चुके हैं. यानी कि अब मार्केट में इस गिरावट को करेक्शन नाम दिया जा सकता है. Reliance Industries, Tata Motors और एशियन पेंट्स जैसे हैवीवेट शेयरों में ज्यादा गिरावट आई है.
शेयर बाजार में आए इस करेक्शन से पुराने से लेकर नए निवेशक सभी के पोर्टफोलियो में रिटर्न काफी कम हो चुके हैं. ज्यादा गिरावट मिडकैप और स्मॉल कैप इंडेक्स में आई है. बीते एक महीने के दौरान निफ्टी इंडेक्स में 1400 अंक या 5.60% की गिरावट आई है. एक सप्ताह में 630 अंक या 2.60 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं सेंसेक्स (Sensex) 3770 अंक या 4.60% गिरा है. एक सप्ताह के दौरान 1500 अंक या 2 फीसदी की गिरावट आई है.
बीएसई मिडकैप इंडेक्स 1 महीने में 8.63% या 4,191 अंक और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 7.24% या 4100 अंक गिरा है. वहीं आज भी शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है. बीएसई सेंसेक्स 191 अंक टूटकर 77,499.95 लेवल पर पहुंच गया है. Nifty 43 अंक गिरकर 23,515.70 पर पहुंच गया है
क्यों गिर रहा शेयर बाजार?
पहली वजह- शेयर बाजार में गिरावट की बड़ी वजह कई कंपनियों के तिमाही नतीजे खराब आए हैं. रिलायंस से लेकर एशियन पेंट्स और इंडसइंड बैंक के नतीजों ने सबसे ज्यादा डराया है.
दूसरा बड़ा कारण- अमेरिका में ट्रंप की जीत से महंगाई बढ़ने की आशंका गहरा गई है. अमेरिकी 10 वर्षीय बॉन्ड की पैदावार में उछाल आया और डॉलर चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो कि आज CPI महंगाई को बढ़ावा दे सकता है. फेड रेट कट की उम्मीदें भी कम हो चुकी हैं.
तीसरा कारण- भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशक तेजी से भाग रहे हैं. पिछले महीने 1 लाख करोड़ से ज्यादा का अमाउंट शेयर बाजार से निकाले गए थे. वहीं पिछले सप्ताह विदेशी निवेशकों ने 20 हजार करोड़ की निकासी की थी. भारतीय बाजार से पैसा निकालने का बड़ा कारण ग्लोबल मार्केट में तेजी है और निवेशक ट्रंप के आने से ग्लोबल मार्केट की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं.
चौथी वजह- चीन ने अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया है. इससे विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से निकासी कर चीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
अभी क्या करना चाहिए?
शेयर बाजार में गिरावट के बीच कई एक्सपर्ट्स की सलाह है कि निवेशकों को अभी भारतीय शेयर बाजार में इंतजार करना चाहिए और जबतक की बाजार में उतार-चढ़ाव स्थिर नहीं हो जाती है, तबतक कुछ भी खरीदारी करने से बचना चाहिए और पहले से ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है.